केंद्र सरकार ने खेती में पानी की बर्बादी को रोकने और सिंचाई को और बेहतर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (M-CADWM) की उप-योजना को 2025-26 के लिए मंजूरी दे दी गई है। इस योजना पर 1600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका मकसद है कि खेतों तक पानी पहुंचाने की पुरानी व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, ताकि हर बूंद का सही इस्तेमाल हो और किसानों की पैदावार बढ़े।
खेतों तक पानी पहुंचाने का नया तरीका
इस योजना का सबसे बड़ा लक्ष्य है कि नहरों और तालाबों जैसे जल स्रोतों से खेतों तक पानी को आसानी से और बिना नुकसान के पहुंचाया जाए। इसके लिए सरकार आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही है। योजना में दबावयुक्त भूमिगत पाइपों की व्यवस्था होगी, जिससे एक हेक्टेयर तक के खेतों में माइक्रो-इरीगेशन यानी ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा। ये तरीके पानी की बचत करते हैं और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी देते हैं। इससे छोटे किसानों को भी फायदा होगा, जिनके पास ज्यादा संसाधन नहीं होते।
आधुनिक तकनीक से पानी का सही हिसाब
योजना में SCADA (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल होगा। ये तकनीकें पानी की खपत और उपलब्धता पर नजर रखेंगी। मसलन, कितना पानी खेत में गया, कितना बर्बाद हुआ, इसका सही-सही आंकड़ा मिलेगा। इससे पानी का दुरुपयोग रुकेगा और किसान अपनी फसल को सही समय पर सही मात्रा में पानी दे पाएंगे। ये सब मिलकर फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करेगा।
जल उपयोगकर्ता समितियों की अहम भूमिका
पानी के प्रबंधन को और टिकाऊ बनाने के लिए जल उपयोगकर्ता समितियां (WUA) बनाई जाएंगी। ये समितियां स्थानीय स्तर पर सिंचाई के काम को देखेंगी और पानी के सही बंटवारे का जिम्मा लेंगी। इन्हें अगले पांच साल तक किसान उत्पादक संगठन (FPO) और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) जैसे संगठनों से जोड़ा जाएगा। इससे न सिर्फ काम में पारदर्शिता आएगी, बल्कि गांव के लोग भी अपने खेतों के लिए बेहतर फैसले ले सकेंगे।
पायलट प्रोजेक्ट्स से होगी शुरुआत
सरकार पहले कुछ चुनिंदा इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू करेगी। ये प्रोजेक्ट्स अलग-अलग जलवायु वाले क्षेत्रों में होंगे, जहां राज्यों की मदद और पैसे से काम होगा। इनके नतीजों को देखकर अप्रैल 2026 से पूरे देश में एक बड़ी योजना शुरू की जाएगी। अगर शुरुआती दौर में कोई कमी रह गई, तो उसे सुधारकर आगे बढ़ा जाएगा। इससे योजना को जमीनी स्तर पर लागू करना आसान होगा।
खेती को बनाएंगे आकर्षक और फायदेमंद
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये योजना सही ढंग से लागू हुई, तो खेती की कई पुरानी परेशानियां दूर हो सकती हैं। पानी की कमी की वजह से होने वाला नुकसान कम होगा और फसल की पैदावार बढ़ेगी। साथ ही, आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल खेती को नई पीढ़ी के लिए भी दिलचस्प बनाएगा। गांव के नौजवान अगर इन तकनीकों को अपनाएं, तो खेती उनके लिए सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि अच्छी कमाई का जरिया भी बनेगी।
इस योजना का असली फायदा तभी मिलेगा, जब इसे गांव-गांव तक पूरी ईमानदारी से लागू किया जाए। कई बार अच्छी योजनाएं कागजों तक सिमटकर रह जाती हैं। इसलिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करना होगा, ताकि हर खेत तक पानी पहुंचे और किसानों को इसका पूरा लाभ मिले।
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