जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए सरकार चला रही है यह योजनाएँ, पढ़ें पूरी डिटेल

Organic Farming Schemes India: देश में फसल की लागत कम करने, किसानों की आय बढ़ाने, और लोगों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद देने के लिए सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। केंद्र सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनसे किसान रासायनिक उर्वरकों से दूर होकर मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में इन योजनाओं की जानकारी दी। ये योजनाएँ 2015 से चल रही हैं और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विशेष फोकस है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि जैविक खेती से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और बाज़ार में बेहतर दाम मिलते हैं। आइए जानें इन योजनाओं के बारे में विस्तार से।

परंपरागत कृषि विकास योजना क्या है

परंपरागत कृषि विकास योजना 2015-16 से शुरू हुई है, जो मिट्टी की सेहत और जल धारण क्षमता सुधारने पर जोर देती है। यह योजना जैविक खेती को बढ़ावा देती है, जिसमें उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन, विपणन, और कटाई के बाद प्रबंधन शामिल है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि इस योजना से टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है। योजना के तहत तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये का अनुदान मिलता है, जिसमें प्रशिक्षण, डेटा प्रबंधन, और प्रमाणन जैसे घटक शामिल हैं।

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परंपरागत योजना में अनुदान की राशि

इस योजना में किसानों को तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपये का अनुदान ऑन-फार्म/ऑफ-फार्म जैविक निवेश के लिए दिया जाता है। यह राशि प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण से मिलती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि यह अनुदान जैविक खाद और बीज खरीदने में मदद करता है। योजना से जुड़ने के लिए स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करें।

जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन

पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन भी 2015 से चल रहा है। यह योजना जैविक खेती को बढ़ावा देती है और किसानों को उत्पादन से विपणन तक सहायता देती है। योजना के तहत तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 46,500 रुपये का अनुदान मिलता है, जिसमें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का निर्माण, जैविक निवेश, और प्रमाणन शामिल हैं। किसानों के अनुभव बताते हैं कि यह मिशन पूर्वोत्तर के किसानों की आय बढ़ाने में कारगर है।

मिशन में अनुदान की डिटेल

इस मिशन में किसानों को तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 32,500 रुपये का अनुदान मिलता है। इसमें 15,000 रुपये सीधे किसानों के बैंक में जाते हैं, और 17,500 रुपये राज्य एजेंसी के जरिए रोपण सामग्री के लिए। किसानों के अनुभव बताते हैं कि यह अनुदान जैविक उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद करता है। आवेदन के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के कृषि विभाग से संपर्क करें।

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पीएम-प्रणाम योजना का महत्व

सरकार मिट्टी की जांच के आधार पर उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए “धरती माता के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)” शुरू किया गया है। यह योजना राज्यों को वैकल्पिक उर्वरकों जैसे जैविक और जैव उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत राज्यों को उर्वरक सब्सिडी की बचत का 50 प्रतिशत प्रोत्साहन मिलता है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि इससे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होता है और मिट्टी की सेहत सुधरती है।

पीएम-प्रणाम से मिलने वाले फायदे

यह योजना मिट्टी स्वास्थ्य, जल संरक्षण, और टिकाऊ उत्पादकता पर फोकस करती है। सरकार ने किण्वित जैविक खाद के लिए 1,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की बाजार विकास सहायता भी घोषित की है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि जैविक उर्वरकों से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद मिलते हैं। योजना से जुड़ने के लिए स्थानीय कृषि केंद्रों से संपर्क करें।

जैविक खेती से फसल की लागत कम होती है और आय बढ़ती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि जैविक उत्पाद बाज़ार में ऊँचे दामों पर बिकते हैं। ये योजनाएँ किसानों को प्रशिक्षण, प्रमाणन, और विपणन में मदद करती हैं। मिट्टी की उर्वरता बढ़ने से लंबे समय तक पैदावार बनी रहती है। किसानों को सलाह है कि इन योजनाओं का लाभ उठाएँ और जैविक खेती अपनाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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