क्यों खास है श्री राम 303 गेहूं? किसानों को मिल रही है रिकॉर्ड पैदावार और मोटा मुनाफा

Shree Ram 303 Wheat Variety: रबी का मौसम आते ही किसानों की नज़र ऐसी गेहूं किस्म पर टिकती है जो कम मेहनत में ज़्यादा फायदा दे। श्री राम फार्म सॉल्यूशंस ने किसानों की इस उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए श्री राम 303 नामक हाइब्रिड गेहूं किस्म पेश की है। यह किस्म 2022 में किसानों के बीच सुपरहिट रही, और इसकी वजह है इसकी रिकॉर्ड तोड़ 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार।

खास बात यह है कि इसके लंबे, चमकदार दाने और रोगों से लड़ने की ताकत इसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में किसानों का पसंदीदा बनाती है। श्री राम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के विशेषज्ञों ने इसे खेतों में क्रांति लाने के लिए डिज़ाइन किया है। यह न सिर्फ उपज बढ़ाती है, बल्कि लागत घटाकर मुनाफा दोगुना करने का वादा करती है।

श्री राम 303 की ताकत

श्री राम 303 की सबसे बड़ी खासियत है इसके पौधों में कल्लों की अधिक संख्या, जो हर पौधे से ज़्यादा बालियाँ और दाने देती है। औसतन यह 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, और उम्दा देखभाल के साथ यह आंकड़ा 90 क्विंटल तक जा सकता है। इसके दाने लंबे, हार्ड और सुनहरे रंग के होते हैं, जो बाजार में 2400-2800 रुपये प्रति क्विंटल की प्रीमियम कीमत लाते हैं।

पौधे 95-100 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं, जो तेज हवाओं में भी गिरते नहीं। फसल 145-150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, और बालियाँ 95-100 दिनों में निकलने लगती हैं। प्रोटीन 11-12% और गीला ग्लूटन 28-30% होने से यह चपाती और बिस्कुट उद्योग के लिए शानदार है। यह किस्म विभिन्न फसल चक्रों, जैसे धान-गेहूं या कपास-गेहूं, में स्थिर प्रदर्शन देती है।

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रोगों से जंग

खेती में रोग सबसे बड़ा दुश्मन होते हैं, लेकिन श्री राम 303 इस मोर्चे पर भी मज़बूत है। यह भूरा रतुआ (ब्राउन रस्ट) और हेल्मिन्थोस्पोरियम लीफ स्पॉट के प्रति उच्च सहनशीलता रखती है। प्राकृतिक परीक्षणों में इसकी ACI वैल्यू कम रही है, जो रासायनिक छिड़काव की लागत 20-25% तक घटाती है। स्मट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोगों के प्रति भी यह मध्यम प्रतिरोध दिखाती है। इसके मजबूत जीनोटाइप के कारण फसल लंबे समय तक स्वस्थ रहती है, और किसानों को कीटनाशकों पर कम खर्च करना पड़ता है। यह खासियत इसे जलवायु परिवर्तन के दौर में भरोसेमंद बनाती है, खासकर उन इलाकों में जहां रोगों का प्रकोप ज़्यादा होता है।

खेती के लिए बेस्ट जगह

श्री राम 303 को मध्य और उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों के लिए तैयार किया गया है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान के कुछ हिस्सों में यह शानदार नतीजे देती है। यह किस्म सिंचित खेतों में सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन सीमित पानी की स्थिति में भी 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर उपज दे सकती है। दोमट या काली मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, इसके लिए आदर्श है। सितंबर के अंत से नवंबर के मध्य तक का समय बुवाई के लिए बेस्ट है, क्योंकि 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके अंकुरण को बढ़ावा देता है। ठंडा मौसम फसल की बढ़ोतरी और दाने की गुणवत्ता को और बेहतर करता है।

बुवाई का सही तरीका

श्री राम 303 की बुवाई नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में करें, ताकि ठंडा मौसम इसका पूरा फायदा उठाए। बीज दर 40 किलोग्राम प्रति एकड़ (100 किलो/हेक्टेयर) रखें। ड्रिल विधि से 20 सेंटीमीटर पंक्ति दूरी और 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो) या विटावैक्स (2.5 ग्राम/किलो) से उपचारित करें ताकि फफूंदी और स्मट रोग न हों।

खेत को 3-4 बार जुताई करके भुरभुरा करें और 80-100 क्विंटल सड़ी गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। उर्वरक में नाइट्रोजन 120-130 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दें। आधा नाइट्रोजन बुवाई पर और बाकी दो हिस्सों में 25 और 50 दिन बाद डालें। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे जिंक सल्फेट (20 किलो/हेक्टेयर) का उपयोग जड़ों और दानों की गुणवत्ता बढ़ाता है।

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पानी और देखभाल

श्री राम 303 को 5-6 बार पानी देना काफी है। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें, फिर हर 20-25 दिन पर। फूल आने (60-70 दिन) और दाना बनने (90-100 दिन) के समय पानी का विशेष ध्यान रखें। अधिक पानी से जड़ गलन का खतरा रहता है, इसलिए ड्रिप या फ्लड मेथड में संतुलन बनाएँ। खरपतवार को 20-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई से हटाएँ। पेंडीमेथालिन (1 किलो सक्रिय तत्व/हेक्टेयर) शुरुआती खरपतवार नियंत्रण में मदद करता है। रोगों के लिए मैनकोजेब (2 किलो/हेक्टेयर) और कीटों जैसे एफिड्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.2 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। जैविक खेती में नीम तेल (5 मिली/लीटर) या ट्राइकोडर्मा (5 किलो/हेक्टेयर) उपयोगी है।

कटाई का समय

145-150 दिनों में श्री राम 303 पककर तैयार हो जाती है। जब पौधे सुनहरे-पीले हो जाएँ और दाने सख्त हों, तब कटाई करें। सुबह या शाम को कटाई करने से दाने की चमक बनी रहती है। औसत उपज 27 क्विंटल प्रति एकड़ (70-80 क्विंटल/हेक्टेयर) है। कटाई के बाद दानों को 10-12% नमी तक सुखाएँ और बोरी में भरकर ठंडी, सूखी जगह पर रखें। भंडारण से पहले फ्यूमिगेशन (एल्यूमिनियम फॉस्फाइड 10 ग्राम/टन) करें ताकि कीट न लगें।

खेत से लाखों तक

प्रति एकड़ लागत 20,000-25,000 रुपये (बीज, उर्वरक, सिंचाई, श्रम) होने पर 27 क्विंटल उपज से 2500 रुपये/क्विंटल के हिसाब से 67,500 रुपये की आय होती है। शुद्ध मुनाफा 40,000-45,000 रुपये प्रति एकड़ है। प्रति हेक्टेयर 70-80 क्विंटल उपज से 1.7-2 लाख रुपये आय और 1.2-1.5 लाख मुनाफा संभव है। प्रीमियम दाने और कम रोग लागत इसे और आकर्षक बनाते हैं।

श्री राम 303 गेहूं किस्म अपनी बंपर पैदावार, रोग सहनशीलता और बाजार में मांग के साथ किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खोलती है। इस रबी सीजन में इसे अपनाकर अपने खेत को सोना उगलने वाली ज़मीन बनाएँ।

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  • Shashikant

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