Farming Tips in Summer : हमारे गाँव के किसान भाइयों के लिए खेती ही सब कुछ है। अगर सही वक्त पर सही काम कर लिया जाए, तो न सिर्फ फसल की सेहत सुधरती है, बल्कि पैदावार भी इतनी बढ़ती है कि जेब में मुनाफा भर जाता है। इसके लिए जरूरी है कि हमें अपनी फसलों की जरूरत समझ आए – उन्हें कब पानी चाहिए, कब खाद चाहिए, और कब आराम चाहिए। मौसम बदलता है, तो फसलों की मांग भी बदल जाती है।
रबी, खरीफ और जायद की फसलों का अपना-अपना हिसाब-किताब होता है। बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिक भी यही कहते हैं कि सही समय पर मेहनत करो, तो फायदा पक्का है। तो चलो, अप्रैल से जून तक के खेती के कामों को समझते हैं, ताकि खेत हरा-भरा रहे और घर में खुशहाली आए।
अप्रैल में खेत को तैयार रखें, फसल को चमकाएं
अप्रैल का महीना आते ही रबी की फसलें तैयार हो जाती हैं। जो फसल पक गई है, उसे काट लें, दाना निकालें और अच्छे से रख लें, ताकि नमी या कीड़े उसे खराब न करें। इस महीने के शुरू में ही गर्मी की मूंग, उड़द, मक्का और चारे की फसलों की बुवाई निपटा लें। जिन भाइयों ने वसंत वाली मक्का बोई है, उसमें घास-फूस साफ करें, खरपतवार हटायें, ऊपर से यूरिया डालें और मिट्टी चढ़ाकर पानी दे दें। गर्मी की जुताई शुरू कर दें, ताकि खरपतवार, कीड़े और बीमारियाँ खेत में न टिकें।
गर्मी की फसलों में कीड़ों और रोगों से बचाने के लिए दवा का छिड़काव करें। नील-हरित शैवाल की खाद बनानी हो, तो क्यारियाँ तैयार कर लो और उसमें खाद डालकर 5-10 सेमी पानी बनाए रखें। फल वाले पेड़ लगाने का मन हो, तो गड्ढे खोद लें, एक बराबर दूरी रखना मत भूलें। कटाई के बाद खेत खाली हो जाए, तो मिट्टी का नमूना लें और पास की सॉइल लैब में चेक करवाएं, ताकि पता चले कि खेत को क्या चाहिए।
मई में मेहनत का रंग, खेत में लाएं नया ढंग
मई आते ही मौसम बदलने लगता है और पानी की टेंशन बढ़ जाती है। ऐसे में धान की जगह सोयाबीन, बाजरा, ज्वार, कोदो या कंगनी जैसे मोटे अनाज की खेती पर जोर दो, ये कम पानी में भी बढ़िया चलते हैं। खेत तैयार करते वक्त रोटावेटर मत चलवायें, वरना मिट्टी के नीचे सख्त परत बन जाएगी और जड़ें ठीक से बढ़ नहीं पाएंगी। फसल कमजोर हो जाएगी। मक्का, चारा, सूरजमुखी या मूंग जैसी खड़ी फसलों में घास साफ करें, पानी दें और जरूरत पड़े तो यूरिया डाल दें। महीने के आखिर में वसंत की मक्का और सूरजमुखी काट लें, दाने सुखाकर रख लें।
खरीफ धान के बीज तैयार कर लो और उनकी क्यारी बना लो। अगर अगहन धान की लंबी किस्म बोनी हो, तो 20 मई के बाद क्यारी में डाल दो। बीज बोने से पहले बीजोपचार जरूर करो, ताकि बीमारी न लगे। मक्का और धान के खेत में गोबर या जैविक खाद डालकर जोताई कर लो। हरी खाद के लिए उड़द बो दो और पिछले महीने की चारे वाली उड़द को पानी देते रहो।
गर्मी की सब्जियों को हफ्ते में पानी दो। जून में बरसाती प्याज की क्यारी तैयार करो। खाली खेत को हल से जोतकर खुला छोड़ दो। खाद के गड्ढों में पानी डालकर मिट्टी से ढक दो। पहली बारिश होते ही हल्दी, अदरक और रतालू बो दो। वन नर्सरी में सागौन, शीशम, गम्हार और महुआ के बीज डालने का सही वक्त है। जानवरों को कीड़ों और पक्षियों से बचाने का भी इंतजाम कर लो।
जून में बारिश का साथ, फसल में डालें जान
जून आते ही बारिश की उम्मीद जागती है। धान की सीधी बुवाई करनी हो, तो जल्दी पकने वाला बीज चुनो और 15 जून तक सीड ड्रिल से बो दो। मध्यम और कम समय वाले धान की क्यारियाँ 8 से 22 जून तक तैयार कर लो। आम, लीची जैसे फलदार पेड़ों के गड्ढों को खाद, उर्वरक और थाइमेट के साथ भर दो। अगहनी धान 15 जून तक बो दो और 15-20 दिन बाद नील-हरित शैवाल का छिड़काव करो।
गर्मी की मक्का को पानी दो, कीड़ों से बचाओ और भुट्टे निकलते वक्त यूरिया डाल दो। अगेती बरसाती मक्का की घास साफ करो और खरीफ मक्का की बुवाई पूरी कर लो। गर्मी की मूंग तोड़ लो और बाकी को हरी खाद के लिए मिट्टी में मिला दो। मूंग, उड़द, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन और तिल जैसी खरीफ फसलें बो दो, बीजोपचार करके पंक्तियों में डालो। सब्जियों की देखभाल करो और पशुओं को टीका लगवाओ, ताकि डाकाहा या गलघोंटू जैसी बीमारियाँ न हों।
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