अब कंद नहीं, रोपाई से उगेंगे आलू बीज! विदेशी किस्मों पर काम कर रहा अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र

आगरा के सींगना में किसान भाइयों के लिए बड़ी खुशखबरी है! यहाँ अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (CIP) का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र खुलने जा रहा है। इस केंद्र में आलू की विदेशी किस्मों को नई तकनीक से तैयार किया जाएगा, जिससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा होगा। अब आलू की खेती पुराने कंदों से नहीं, बल्कि एपिकल रूट कटिंग (ARC) तकनीक से होगी। इस तकनीक को पेरू के वैज्ञानिकों ने बनाया है, और अब यह आगरा के खेतों में नया रंग लाएगी। इस तरीके में आलू के पौधे के ऊपरी हिस्से से कटिंग ली जाती है, जिसे जड़ों के साथ उगाया जाता है। इससे कम समय में ज्यादा और बेहतर पौधे तैयार होते हैं।

टिशू कल्चर से बीज किसानों को फायदा

इस नई तकनीक में पहले प्रयोगशाला में टिशू कल्चर से आलू के पौधे बनाए जाएँगे। फिर इन्हें पॉलीहाउस और नेट हाउस में तैयार किया जाएगा। इसके बाद ये बीज किसानों को मिलेंगे, ताकि वे अपने खेतों में इन्हें उगा सकें। उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ. धर्मपाल सिंह बताते हैं कि ARC तकनीक से कम समय में ज्यादा पौधे तैयार हो सकते हैं, और ये बीज उच्च गुणवत्ता वाले होंगे। इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी, और कीट-रोगों का खतरा भी कम होगा। यह तकनीक आलू की खेती को आसान और सस्ता बनाएगी, जिससे किसान भाई ज्यादा कमाई कर सकेंगे।

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गर्मी में भी उगेगा आलू

आलू की खेती आमतौर पर ठंडे मौसम में होती है। आगरा से फर्रुखाबाद तक सर्दियों में आलू की बुआई का ज़ोर रहता है। लेकिन इस नए केंद्र में ऐसी किस्मों पर शोध होगा, जो गर्म मौसम में भी उग सकें। पेरू के विशेषज्ञ ऐसी आलू की किस्में विकसित करेंगे, जिन्हें कम पानी चाहिए। यह शोध आगरा, मथुरा, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी और आसपास के इलाकों के लिए खास होगा। अगर यह शोध कामयाब रहा, तो गर्मियों में भी आलू की खेती हो सकेगी। इससे किसानों को सालभर कमाई का मौका मिलेगा।

आलू की खेती का मौजूदा हाल

आगरा और आसपास के इलाकों में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहाँ पुखराज, कुफरी बहार, कुफरी आनंद, चिप्सोना, सूर्या, लालिमा और नीलकंठ जैसी किस्में उगाई जाती हैं। आगरा में हर साल करीब 71 हजार हेक्टेयर में आलू की बुआई होती है, और 50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन होता है। फिरोज़ाबाद में 60 हजार हेक्टेयर में खेती होती है, और 1.25 लाख किसान इससे जुड़े हैं। मैनपुरी में 22,800 हेक्टेयर में 7.32 लाख टन आलू पैदा होता है। इस नए केंद्र से इन इलाकों में आलू की गुणवत्ता और पैदावार को और बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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सांसद की मेहनत से मिली कामयाबी

इस केंद्र को आगरा में लाने का पूरा श्रेय फतेहपुर सीकरी से भाजपा सांसद राजकुमार चाहर को जाता है। उन्होंने बताया कि दूसरी बार सांसद बनने के बाद से वे इस केंद्र के लिए जी-जान से जुटे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार बात की। कृषि मंत्रालय में लगातार पैरवी की। उनकी मेहनत रंग लाई, और अब आगरा दक्षिण एशिया में आलू की खेती का बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। सांसद चाहर ने इसे किसानों के लिए बड़ी सौगात बताया और प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।

सींगना में 138 हेक्टेयर में फैले राजकीय आलू फार्म में से 10 हेक्टेयर इस अनुसंधान केंद्र के लिए रखा गया है। यह केंद्र न सिर्फ़ आलू की नई किस्में लाएगा, बल्कि किसानों को नई तकनीक और बेहतर बीज भी देगा। इससे आगरा और आसपास के किसानों की कमाई बढ़ेगी, और उनकी खेती में नया जोश आएगा। अगर आप भी इस तकनीक का फायदा उठाना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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