खीरे की ये किस्म 45 दिन में भर देगी टोकरी और जेब, किसान कर रहे ताबड़तोड़ कमाई!

Top 5 Cucumber Variety in 2025: भारत के किसान भाइयों के लिए खीरे की खेती किसी खजाने से कम नहीं है। बाज़ार में खीरे की मांग हमेशा बनी रहती है, और अच्छे दाम भी मिलते हैं। चाहे सब्जी मंडी हो या शहर का बाज़ार, खीरा हर जगह बिकता है। बारिश का मौसम खीरे की खेती के लिए सबसे सही समय माना जाता है, क्योंकि इस समय फसल अच्छी होती है और कीट-रोगों का खतरा कम रहता है। अगर सही समय पर बुवाई की जाए और उन्नत किस्मों का चयन किया जाए, तो किसान कम लागत में मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खीरे की कुछ खास किस्में न सिर्फ़ ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि रोगों से भी बचाती हैं।

नामधारी-एनएस 404

खीरे की नामधारी-एनएस 404 किस्म किसानों के लिए वरदान है। इस किस्म के फल बेलनाकार और हल्के हरे रंग के होते हैं, जिनका वजन 200 से 220 ग्राम तक होता है। खास बात ये है कि ये फसल बुवाई के सिर्फ़ 30-32 दिन में तैयार हो जाती है। इसके फल न सिर्फ़ अच्छे आकार के होते हैं, बल्कि गुणवत्ता में भी शानदार होते हैं। इन्हें बाज़ार में ले जाना और बेचना आसान है। इस किस्म से किसान अच्छी पैदावार पा सकते हैं, और मुनाफा भी बढ़िया मिलता है।

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स्वर्ण शीतल

स्वर्ण शीतल खीरे की एक और शानदार किस्म है, जो मध्यम आकार के ठोस और हरे फल देती है। इस किस्म की खासियत है कि ये चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण जैसे रोगों से लड़ने में मज़बूत है। इससे प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। ये किस्म उन किसानों के लिए बेस्ट है, जो कम लागत में ज्यादा फसल चाहते हैं। इसके फल बाज़ार में अच्छा दाम लाते हैं, और इसकी देखभाल भी आसान है।

पंत संकर खीरा-1

पंत संकर खीरा-1 किस्म के फल 20 सेंटीमीटर लंबे और हरे रंग के होते हैं। ये किस्म बुवाई के करीब 50 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक हो सकती है। ये फल बाज़ार में खूब पसंद किए जाते हैं, क्योंकि इनका स्वाद और बनावट ग्राहकों को भाती है। इस किस्म को उगाने से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, और खेती की लागत भी जल्दी निकल आती है।

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स्वर्ण पूर्णिमा

स्वर्ण पूर्णिमा खीरे की ऐसी किस्म है, जो लंबे, सीधे और हल्के हरे रंग के फल देती है। ये फल ठोस और बाज़ार में माँग वाले होते हैं। इस किस्म की फसल 45 से 50 दिन में तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 200 से 225 क्विंटल तक पैदावार देती है। इसकी खेती उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जो मध्यम अवधि में फसल चाहते हैं। इसके फल लंबे समय तक ताज़ा रहते हैं, जिससे बिक्री में आसानी होती है।

पूसा संयोग

पूसा संयोग एक हाइब्रिड किस्म है, जिसके फल 22 से 30 सेंटीमीटर लंबे और हरे रंग के होते हैं। इनमें पीले कांटे और कुरकुरा गूदा होता है, जो ग्राहकों को खूब पसंद आता है। ये किस्म बुवाई के 50 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार देती है। इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, और बाज़ार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।

खीरे की खेती के लिए टिप्स

खीरे की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर बुवाई बहुत ज़रूरी है। बारिश का मौसम (जून-जुलाई) इसके लिए सबसे अच्छा है। मिट्टी को अच्छे से तैयार करें, और जैविक खाद का इस्तेमाल करें। पानी की निकासी का ध्यान रखें, क्योंकि खीरे को ज़्यादा गीली मिट्टी पसंद नहीं। कीट और रोगों से बचाव के लिए समय-समय पर खेत की जाँच करें और कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें। अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करके इन उन्नत किस्मों के बीज ले सकते हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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