वाराणसी में शिवराज सिंह ने किसानों को दिया संदेश, नई तकनीक अपनाएं, उत्पादन बढ़ाएं

किसान भाइयों, अब खेती को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का समय आ गया है! केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) में एक बड़ी समीक्षा बैठक की। इस बैठक में देशभर के वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के विशेषज्ञ और कृषि विभाग के अधिकारी शामिल हुए। चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को और तेज करने का आह्वान किया, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो और खेती आत्मनिर्भर बने। उन्होंने कहा कि खेतों में किसानों की मेहनत और लैब में वैज्ञानिकों की शोध को मिलाकर ही कृषि में क्रांति आएगी।

‘लैब टू लैंड’ से बदलेगी खेती की तस्वीर

शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ मॉडल की तारीफ की और कहा कि देश के 16,000 कृषि वैज्ञानिकों का काम खेतों तक पहुँचना चाहिए। बैठक में उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि टमाटर जैसी फसलों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने, सूखा पाउडर बनाने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तेजी से शोध करें। साथ ही, उन्होंने आगामी रबी सीजन के लिए क्षेत्रवार कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। चौहान ने बताया कि इस अभियान के तहत 2,170 टीमें 60,000 से ज्यादा गाँवों में 1.45 करोड़ किसानों से मिल चुकी हैं, ताकि उनकी समस्याओं को समझकर शोध को सही दिशा दी जाए।

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जीनोम एडिटिंग और जैविक खेती पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने सब्जी उत्पादन को टिकाऊ और निर्यात के लायक बनाने के लिए जीनोम एडिटिंग, बीज उपचार और जैविक खेती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई और उन्नत किस्मों के बीज, आधुनिक तकनीकें और किसानों के अपने नवाचार खेतों तक पहुँचाने होंगे। नकली खाद, खराब बीज और हानिकारक कीटनाशकों से किसानों को बचाने के लिए सख्त कानून बनाने की बात भी कही। चौहान ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है फसल का उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, उचित दाम दिलाना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना।

जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारी

चौहान ने जलवायु परिवर्तन को खेती के लिए बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश, गर्मी या सूखे जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सब्जी उत्पादन में लचीलापन लाना होगा। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और अनुसंधान संस्थानों को एक मजबूत कड़ी बनना होगा, ताकि नई तकनीकें तेजी से किसानों तक पहुँचें। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे सप्ताह में तीन दिन खेतों में जाकर किसानों की समस्याएँ सुनें और समाधान दें। खुद चौहान ने वादा किया कि वे हर हफ्ते दो दिन खेतों में किसानों के बीच रहेंगे।

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किसानों के नवाचारों को मिलेगा बढ़ावा

बैठक में चौहान ने किसानों के नवाचारों को पहचानने और बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने बताया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत सोयाबीन, गन्ना, कपास और दालों जैसी फसलों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में विशेष चर्चाएँ होंगी। मसलन, सोयाबीन के लिए इंदौर, गन्ने के लिए मेरठ और कपास के लिए कोयंबटूर में बैठकें होंगी। ये कदम किसानों की ज़रूरतों के हिसाब से शोध को दिशा देंगे। साथ ही, खराब बीज और कीटनाशकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विशेष टीमें बनाई जाएँगी।

चौहान ने कहा कि भारत को दुनिया का “खाद्य टोकरी” बनाना है। इसके लिए सरकार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने पर काम कर रही है। किसान भाई अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें, जहाँ उन्हें नई तकनीकों, बीजों और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। इस अभियान से न सिर्फ़ सब्जी उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों को बेहतर दाम और निर्यात के मौके भी मिलेंगे।

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  • Shashikant

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