रागी, जिसे गाँवों में मडुआ के नाम से जाना जाता है, अब किसानों के लिए मुनाफे का नया रास्ता बन रही है। हैदराबाद के अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने दुनिया का पहला रैपिड-रागी स्पीड ब्रीडिंग प्रोटोकॉल विकसित किया है। यह तकनीक रागी की फसल को 100-135 दिनों से घटाकर 68-85 दिन में तैयार करती है।
इसका मतलब है कि अब किसान साल में एक-दो की जगह चार से पांच फसलें उगा सकते हैं। ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक बताते हैं कि यह तकनीक छोटे और सीमांत किसानों के लिए क्रांतिकारी है, जो कम समय में ज़्यादा पैदावार और मुनाफा देगी। यह श्री अन्न को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम है, जो भारत और अफ्रीका में पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत है।
रैपिड-रागी प्रोटोकॉल का कमाल
रैपिड-रागी प्रोटोकॉल रागी की खेती को तेज, सस्ता, और अधिक उत्पादक बनाता है। ICRISAT के वैश्विक अनुसंधान निदेशक डॉ. सीन मेयस के अनुसार, सही रोशनी, तापमान, और सीमित सिंचाई के साथ यह तकनीक संसाधनों की बचत करती है। यह सूखा-सहिष्णु रागी को और प्रभावी बनाती है। रागी, बाजरा और ज्वार के बाद तीसरा सबसे महत्वपूर्ण श्री अन्न है। यह कैल्शियम, आयरन, और फाइबर से भरपूर है, जो कुपोषण से लड़ने में मदद करता है।
भारत द्वारा 2018 को राष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष और संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष घोषित करने के बाद, यह प्रोटोकॉल रागी उत्पादन को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यह तकनीक स्कूल फीडिंग कार्यक्रमों और सार्वजनिक पोषण योजनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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खेती के लिए सही ज़मीन और माहौल
रागी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु का सही चयन जरूरी है। यह फसल दोमट, लाल, या रेतीली मिट्टी में अच्छी तरह उगती है, बशर्ते जल निकासी अच्छी हो। रैपिड-रागी प्रोटोकॉल में 9 घंटे की रोशनी, 29 ± 2 डिग्री सेल्सियस तापमान, और 70% नमी की जरूरत होती है। यह तकनीक प्राकृतिक रोशनी का उपयोग करती है, जिससे लागत कम रहती है।
अगर आपके खेत में पेड़ों की छाया है, तो यह और फायदेमंद हो सकता है। मिट्टी की जाँच के लिए स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें। यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पानी जमा न हो, क्योंकि रागी जलभराव सहन नहीं करती। मानसून की शुरुआत यानी जून-जुलाई रोपाई का सबसे अच्छा समय है, जब मिट्टी में नमी रहती है।
रोपाई और प्रोटोकॉल की प्रक्रिया
रैपिड-रागी में रोपाई के लिए सही घनत्व और पोषण का ध्यान रखा जाता है। प्रति 1.5 वर्ग फुट में 105 पौधे लगाए जाते हैं। 20-25 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे खोदें, जिनमें 2-3 मीटर की दूरी हो। प्रत्येक गड्ढे में 5-10 किलो गोबर या वर्मी कम्पोस्ट डालें। उन्नत किस्में जैसे ‘NAROMIL 3’ (अधिक आयरन) या ‘EUFM-401’ (अधिक प्रोटीन) चुनें। पौधों को बाँस या लकड़ी के खंभों से सहारा दें। रैपिड-रागी में 0.17% Hoagland’s No. 2 घोल का छिड़काव और सीमित सिंचाई की जाती है, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं। यह सुनिश्चित करें कि पौधे जमीन को न छूएँ, ताकि कीटों से बचाव हो। यह तकनीक तेज अंकुरण और जल्दी परिपक्वता सुनिश्चित करती है।
देखभाल और पोषण का प्रबंधन
रागी की खेती में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, या नीम की खली का उपयोग करें। प्रत्येक पौधे को साल में 10-15 किलो जैविक खाद दें, खासकर मानसून और सर्दियों में। नीम का तेल या गौमूत्र का छिड़काव कीटों से बचाने में प्रभावी है। अगर कीटों की समस्या बढ़े, तो जैविक दायरे में रहते हुए बीएचसी पाउडर का हल्का छिड़काव करें। रैपिड-रागी में सीमित सिंचाई करें, ताकि जलभराव न हो। पौधों की नियमित निगरानी करें और सूखी पत्तियों को हटाएँ। यह तकनीक फसल को 68-85 दिनों में तैयार करती है, जिससे समय और लागत की बचत होती है।
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