Bajra Ki Kheti Tips: मॉनसून की बारिश के साथ खेतों में हरियाली छा जाती है। ये समय बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, तिल, ग्वार, मूंग, उड़द, चंवला और मोठ जैसी खरीफ फसलों के लिए सबसे बढ़िया है। ये फसलें बारिश के पानी से पनपती हैं और गर्म, नम मौसम में खूब बढ़ती हैं। तबीजी फार्म के कृषि अनुसंधान अधिकारी (उद्यान) उपवन शंकर गुप्ता बताते हैं कि सही तकनीकों से इन फसलों की पैदावार बढ़ सकती है और खर्चा भी कम रहता है। उनके मुताबिक, बीज उपचार, मिट्टी की देखभाल, उर्वरक का सही इस्तेमाल और खरपतवार नियंत्रण जैसे आसान तरीके आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना सकते हैं।
बीज उपचार से फसल को दें ताकत
खरीफ फसलों की अच्छी शुरुआत के लिए बीज उपचार बहुत ज़रूरी है। उपवन शंकर गुप्ता के अनुसार, ये सस्ता और असरदार तरीका है, जो फसल को कीटों और रोगों से बचाता है। बीजों को पहले कवकनाशी, फिर कीटनाशी और आखिर में जीवाणु कल्चर से ट्रीट करें। कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा बताते हैं कि बाजरे में तुलासिता, हरित बाली और अरगट जैसे रोगों से बचने के लिए 6 ग्राम मेटालेक्जिल प्रति किलो बीज से उपचार करें। दीमक, सफेद लट और तना छेदक जैसे कीटों से बचाव के लिए 8.75 मिली इमिडाक्लोप्रिड या 7.5 ग्राम क्लोथायोनिडिन प्रति किलो बीज डालें। ये तरीके फसल को मज़बूत बनाते हैं और पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं।
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मिट्टी और खाद का सही जुगाड़
खेत की मिट्टी फसल की नींव है। मिट्टी अच्छी होगी, तो फसल भी लहलहाएगी। कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी सलाह देते हैं कि खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जाँच करवाएँ, ताकि पता चले कि उसमें क्या कमी है। जाँच के आधार पर ही खाद और उर्वरक डालें। बाजरे की खेती में प्रति हेक्टेयर 104 किलो यूरिया और 65 किलो डीएपी या 130 किलो यूरिया और 188 किलो एसएसपी चाहिए। बुवाई से पहले यूरिया की आधी मात्रा और डीएपी या एसएसपी की पूरी मात्रा खेत में डालें। बाकी यूरिया बुवाई के 25-30 दिन बाद, बारिश के समय डालें। रसायन डालते वक्त चश्मा, दस्ताने और मास्क पहनें, ताकि सेहत सुरक्षित रहे।
खरपतवार से छुटकारा
खरपतवार फसलों के लिए सिरदर्द हैं, क्योंकि ये पानी और पोषण छीन लेते हैं। उपवन शंकर गुप्ता बताते हैं कि खरपतवार नियंत्रण से पैदावार 30-40% तक बढ़ सकती है। बाजरे की खेती में बुवाई के तुरंत बाद आधा किलो एट्राजीन 50 डब्ल्यूपी प्रति हेक्टेयर छिड़कें। साथ ही, बुवाई के तीसरे या चौथे हफ्ते में निराई-गुड़ाई करें, ताकि खरपतवार जड़ से निकल जाएँ। अगर खेत में सिंचाई की सुविधा है, तो फसल में फूल आने, सिट्टे निकलने और दाना बनने के समय ज़रूरत के हिसाब से पानी दें।
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सही समय पर बुवाई का कमाल
खरीफ फसलों की बुवाई का सबसे अच्छा समय जून के मध्य से जुलाई का तीसरा हफ्ता है। कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) राम करण जाट बताते हैं कि बाजरे के लिए प्रति हेक्टेयर 4 किलो बीज काफी हैं। सही समय पर बुवाई करने से फसल को बारिश का पूरा फायदा मिलता है। अगर आप रोग और कीटों से बचने वाली उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करें, तो फसल और भी शानदार होगी।
कम खर्च में मोटा फायदा
खरीफ फसलों की सही देखभाल से आप कम पैसे में ज्यादा पैदावार पा सकते हैं। उपवन शंकर गुप्ता, डॉ. जितेन्द्र शर्मा, डॉ. कमलेश चौधरी और राम करण जाट जैसे विशेषज्ञों की सलाह से बीज उपचार, खाद का सही इस्तेमाल और खरपतवार नियंत्रण आसान हो जाता है। ये तरीके न सिर्फ़ आपके खेत को हरा-भरा रखते हैं, बल्कि पर्यावरण की भी देखभाल करते हैं। इस मॉनसून इन आसान नुस्खों को अपनाएँ और अपनी फसल को चमकाएँ।
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