डीएपी-यूरिया खाद की भारी किल्लत, पूरे दिन लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटे किसान

Fertilizer Crisis: हर राज्य में किसान धान, मक्का, और सोयाबीन की फसल तैयार करने में जुटे हैं, लेकिन इस बीच डीएपी और यूरिया की मांग आसमान छू रही है। कई जगहों पर इन उर्वरकों की भारी कमी देखने को मिल रही है, जो किसानों की चिंता बढ़ा रही है। हरियाणा के सिरसा जिले में ये समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। नाथूसरी चोपता में इफको केंद्र पर हालात तब बेकाबू हो गए, जब एक ट्रक में 500 बैग डीएपी लेकर पहुँचा और सैकड़ों किसान जुट गए। खरीफ सीजन की शुरुआत में उर्वरकों की कमी का डर भीड़ और अफरा-तफरी का कारण बना। आइए, इस संकट की जड़ों और समाधान की राह पर नजर डालते हैं।

उर्वरक की कमी का संकट बेकाबू हुए किसान

सिरसा जिले के नाथूसरी चोपता में शुक्रवार को जो हुआ, वो किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया। इफको केंद्र पर 500 बैग डीएपी की आपूर्ति हुई, लेकिन मांग इतनी ज्यादा थी कि भीड़ बेकाबू हो गई। आसपास के गाँवों से किसान सुबह से ही जमा हो गए, कुछ पैदल तो कुछ ट्रैक्टर या मोटरसाइकिल से। चिलचिलाती गर्मी में बिना खाना-पीना लिए पूरे दिन इंतजार करने के बाद भी कई हाथ खाली रहे। इससे गुस्सा फूट पड़ा और प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। ये हालात सिर्फ़ एक दिन का मंजर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में उर्वरक संकट की कहानी बयान करते हैं।

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खाद के लिए दर-दर क्यों भटक रहे किसान

नाथूसरी कलां, लुदेसर, तरकांवाली जैसे गाँवों से आए किसानों ने सुबह से कतारों में खड़े होकर इंतजार किया, लेकिन आपूर्ति मांग के आगे बौनी रही। प्रशासन ने प्रति किसान चार बैग की सीमा तय की, ताकि सबको बराबर मौका मिले, लेकिन शाम तक 500 बैग खत्म होने के बाद भी सैकड़ों निराश होकर लौट गए। कईयों ने बताया कि बिना उर्वरक के खेतों में बुवाई अधूरी रह गई है, जो फसल के लिए खतरा बन सकता है। ये स्थिति ओढन जैसे इलाकों में और गंभीर है, जहाँ पिछले पांच महीनों से डीएपी नहीं पहुँचा और यूरिया भी अनियमित है।

प्रशासन का कदम

इफको के बिक्री अधिकारी ने बताया कि ट्रक पहुँचते ही भीड़ इतनी बढ़ गई कि नियंत्रण मुश्किल हो गया, इसलिए पुलिस को बुलाना पड़ा। प्रशासन जमाखोरी रोकने और समान वितरण के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन आपूर्ति की कमी गले की फांस बन गई है। प्राथमिक कृषि सहकारी समिति के प्रबंधक ने कहा कि 12 गाँवों के लिए 10,000 बैग यूरिया और 8,000 डीएपी की माँग की गई थी, मगर सिर्फ़ 1,500 बैग मिले, जो जरूरत का एक छोटा हिस्सा है। ये असंतुलन किसानों को परेशान कर रहा है।

खेतों का संकट

ओढन और नुहियांवाली जैसे गाँवों में हालात और खराब हैं। बिना उर्वरक के किसान खेतों की सिंचाई करने को मजबूर हैं, जो फसल की पैदावार को जोखिम में डाल रहा है। खरीफ सीजन में डीएपी और यूरिया की कमी से बुवाई का समय गँवाने का डर सता रहा है। कई जगहों पर किसानों को एक केंद्र से दूसरे केंद्र तक भटकना पड़ रहा है, जहाँ न तो आपूर्ति का भरोसा है और न ही समय पर राहत।

किसानों का कहना है कि सरकार को बुवाई के इस चरम मौसम में उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। सहकारी समितियों और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा, ताकि हर गाँव तक समय पर खाद पहुँचे। वितरण में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने की जरूरत है, वरना फसल विफलता का खतरा मंडरा सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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