हरियाणा में पानी का संकट कोई नई बात नहीं है। धान की खेती से भूजल स्तर तेज़ी से नीचे जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने खरीफ 2025 के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना को और मज़बूत किया है। इस योजना का मकसद है धान की जगह कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना।
विभाग ने इस साल 1 लाख एकड़ ज़मीन को फसल विविधीकरण के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। अंबाला के कृषि उपनिदेशक डॉ. जसविंदर सैनी बताते हैं कि ये योजना न सिर्फ़ पानी बचाएगी, बल्कि किसानों की कमाई भी बढ़ाएगी। कपास, मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जियाँ, बागवानी, चारा और कृषि वानिकी जैसी फसलों को उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 8,000 रुपये की सहायता मिलेगी।
किस जिले को कितना लक्ष्य
हरियाणा सरकार ने इस योजना के लिए जिलों को अलग-अलग लक्ष्य दिए हैं। सबसे ज़्यादा 17,950 एकड़ का लक्ष्य सिरसा को मिला है। इसके बाद यमुनानगर को 12,305, जींद को 11,510, फतेहाबाद को 8,980, हिसार को 8,810 और कैथल को 7,210 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है। बाकी जिलों में 125 से 6,400 एकड़ तक के लक्ष्य हैं।
कुल 1 लाख एकड़ में से 39,835 एकड़ कपास, 29,080 एकड़ चारा, 15,285 एकड़ सब्जियाँ और बागवानी, 6,440 एकड़ कृषि वानिकी, 5,245 एकड़ दलहन, 3,500 एकड़ मक्का और 615 एकड़ तिलहन के लिए तय किए गए हैं। हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि ये लक्ष्य भूजल बचाने और खेती को टिकाऊ बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
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कौन ले सकता है योजना का लाभ
इस योजना का फायदा हर कोई नहीं उठा सकता। डॉ. जसविंदर सैनी बताते हैं कि सिर्फ़ वही किसान पात्र हैं, जिन्होंने पिछले साल धान उगाया था और अब वैकल्पिक फसलें उगा रहे हैं। साथ ही, पिछले खरीफ सीजन में इस योजना के तहत फसल बदलने वाले और इस साल भी वैकल्पिक फसलों को जारी रखने वाले किसान भी शामिल हैं।
अगर किसी ने पिछले साल के धान वाले खेत को इस बार परती छोड़ दिया, तो वो भी पात्र है। लेकिन, अगर पिछले चार साल में उसी खेत में गैर-धान फसल उगाई गई है, तो प्रोत्साहन राशि नहीं मिलेगी। किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा (MFMB) पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। सत्यापन के बाद खरीद सीजन के अंत में 8,000 रुपये प्रति एकड़ सीधे बैंक खाते में आएंगे।
पानी और मिट्टी की सेहत के लिए ज़रूरी
हरियाणा में धान की खेती से भूजल 40 मीटर से नीचे चला गया है, खासकर सिरसा, कैथल, कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद जैसे जिलों में। इस योजना से न सिर्फ़ पानी बचेगा, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। कपास, मक्का, मूंग, उड़द, तिल और सब्जियाँ जैसी फसलें धान से कम पानी लेती हैं। सरकार इन फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी, ताकि किसानों को नुकसान न हो। इसके अलावा, ड्रिप इरिगेशन के लिए 85 फीसदी सब्सिडी और मक्का बीज बोने वाली मशीनों के लिए सहायता भी दी जा रही है।
किसानों के लिए सुनहरा मौका
कृषि मंत्री जेपी दलाल के मुताबिक, इस योजना से 2023 में 22,565 करोड़ लीटर पानी बचा था। खरीफ 2025 में 1 लाख एकड़ का लक्ष्य पानी और पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ किसानों की कमाई बढ़ाने का रास्ता खोलेगा। डॉ. सैनी कहते हैं कि अंबाला में 5,060 एकड़ का लक्ष्य आसानी से पूरा हो सकता है, क्योंकि किसान अब बागवानी और कृषि वानिकी की ओर रुझान दिखा रहे हैं। अगर आप भी इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो जल्दी से MFMB पोर्टल पर पंजीकरण करें और अपने खेत को हरा-भरा बनाएँ।
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