जाने क्या है जायटॉनिक गोधन, लाभकारी जैविक खेती और पशुपालन के लिए आधुनिक समाधान

Zytonic Godhan: किसान भाइयों, भारत, जहाँ लाखों किसान खेती पर निर्भर हैं, पहले हरित क्रांति से आत्मनिर्भर बना, लेकिन अब उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। उच्च उपज वाले बीज, मशीनीकृत खेती, और रासायनिक खाद-कीटनाशकों ने उत्पादन बढ़ाया, मगर मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया। पशुपालन का महत्व घटा, गोबर की उपलब्धता कम हुई, और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता बढ़ी। ऐसे में जायडेक्स कंपनी का जायटॉनिक गोधन एक उम्मीद बनकर उभरा है, जो गोबर को 45-60 दिन में समृद्ध जैविक खाद में बदलता है। आइए, जानते हैं कि ये तकनीक कैसे मिट्टी को जीवंत कर रही है और किसानों को लाभ पहुँचा रही है।

हरित क्रांति का छुपा असर

वर्षों पहले हरित क्रांति ने भारत को अनाज का गढ़ बनाया। उच्च उपज वाले बीज और मशीनीकरण ने पैदावार को आसमान पर पहुँचाया, लेकिन इसके पीछे की कीमत भारी थी। रासायनिक खाद और कीटनाशकों ने मिट्टी की जैविक संरचना को कमजोर किया, जिससे उसकी जीवन शक्ति घट गई। साथ ही, मशीनीकृत खेती ने बैलों और गैर-दूध देने वाले पशुओं की जरूरत खत्म कर दी। इससे गोबर की मात्रा कम हुई और किसान रासायनिक उर्वरकों पर आश्रित हो गए। आज मिट्टी की सेहत खराब होने से फसलें कमजोर पड़ रही हैं, और पर्यावरण पर भी बोझ बढ़ा है।

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जायटॉनिक गोधन, एक आधुनिक समाधान

इन समस्याओं को देखते हुए जायडेक्स कंपनी ने Zytonic Godhan पेश किया है, जो एक सरल और प्रभावी तकनीक पर आधारित है। ये उत्पाद गोबर और जैविक अवशेषों को सिर्फ 45-60 दिन में उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद में बदल देता है। इसमें जैव कवक जैव-पाचन तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो लिग्निन और सेल्युलोज को ह्यूमस और ह्यूमिक एसिड में तब्दील करता है। परिणामस्वरूप, काली-भुरभुरी खाद तैयार होती है, जो वर्मीकम्पोस्ट जितनी प्रभावी है। ये खाद मिट्टी में तेजी से घुलती है और पौधों को तुरंत पोषण देती है, जो खेती को फिर से प्राकृतिक रास्ते पर लाती है।

फसलों और मिट्टी को नई ऊर्जा

इसकी की खासियत ये है कि यह सभी फसलों अनाज, सब्जियाँ, या फल के लिए उपयुक्त है। इस खाद से मिट्टी के सूक्ष्मजीव, जैसे बैक्टीरिया और कवक, को 3-6 महीने तक पोषण मिलता है, जो जैविक खेती की सफलता की कुंजी है। पारंपरिक खाद बनाने में 8-12 महीने लगते हैं, जबकि Zytonic Godhan इसे आधे समय में तैयार कर देता है। इससे किसान समय और मेहनत बचा सकते हैं। इसके इस्तेमाल से रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता कम होती है, और “प्रकल्प संजीवनी” विधि से सिंचाई में 40-50% पानी की बचत होती है। ये बदलाव मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और फसलों की गुणवत्ता को निखारता है।

पशुपालन को लाभ का सौदा

जायटॉनिक गोधन न सिर्फ मिट्टी, बल्कि पशुपालन को भी नई दिशा दे रहा है। पहले बिना दूध देने वाले पशु, जैसे बूढ़ी गायें और बैल, अनुपयोगी माने जाते थे। लेकिन अब इनके गोबर से उच्च गुणवत्ता वाली खाद बनाकर किसान मुनाफा कमा सकते हैं। एक पशु से सालाना 6 टन खाद बनती है, जो बाजार में ₹5,000-₹6,000 प्रति टन की दर से ₹30,000-₹36,000 तक बिक सकती है। चारा और रखरखाव की लागत ₹25,000 और Zytonic Godhan की तकनीक की लागत ₹3,600 आने पर भी शुद्ध लाभ ₹1,400-₹7,400 प्रति पशु रहता है। इससे पशुओं की उपेक्षा खत्म होगी और टिकाऊ खेती को बल मिलेगा।

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सावधानियाँ: सही तरीका जरूरी

जायटॉनिक गोधन का फायदा लेने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। 2-4 महीने पुराना गोबर इस्तेमाल करें, क्योंकि ताजा गोबर सड़न पैदा कर सकता है। 1 मीट्रिक टन गोबर के लिए 2 किलोग्राम Zytonic Godhan डालें और ढेर की ऊँचाई 1 मीटर (3 फीट) तक रखें, ताकि हवा का संचार हो। ढेर को Zytonic घोल से भिगोएँ और पराली या जूट की बोरी से ढकें, जो हवा आने-जाने दे। मिट्टी या रेत न मिलाएँ और ज्यादा पानी से बचें, वरना पाचन प्रक्रिया बिगड़ सकती है। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर ही ये खाद अपना कमाल दिखाएगी।

मुनाफा और पर्यावरण का संतुलन

जायटॉनिक गोधन से तैयार खाद की प्रभावशीलता इतनी है कि इसे पारंपरिक खाद की तुलना में 6-8 गुना कम मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो लागत कम करता है। इससे रासायनिक उर्वरकों की जरूरत घटती है, जो मिट्टी और सेहत को नुकसान से बचाती है। गाँवों में ये तकनीक किसानों को मुनाफा और पर्यावरण को सुरक्षा दोनों दे रही है। जुलाई 2025 से शुरू होने वाले खरीफ सीजन में इसका इस्तेमाल फसलों को मजबूती दे सकता है। नीचे दी गई सरणी इसकी तुलना पारंपरिक खाद से दिखाती है:

विशेषता

Zytonic Godhan

पारंपरिक खाद

तैयार होने का समय

45-60 दिन

8-12 महीने

पानी की बचत

40-50%

ना के बराबर

प्रभावशीलता

6-8 गुना अधिक

सीमित

रासायनिक निर्भरता

कम

अधिक

सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, जिसमें Zytonic Godhan जैसी तकनीकों पर सब्सिडी मिलती है। नजदीकी कृषि केंद्र से इसे खरीदकर ट्रेनिंग ली जा सकती है। ये कदम खेती की लागत कम करेगा और मिट्टी को फिर से उपजाऊ बनाएगा।

जायटॉनिक गोधन के साथ भारत फिर से प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है। ये तकनीक मिट्टी की सेहत, पशुपालन का लाभ, और मुनाफा तीनों देती है। आइए, मिलकर इस बदलाव को अपनाएँ और खेतों को हरा-भरा बनाएँ।

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Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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