Kodo Millet Free Seed: किसान भाइयों, अब समय है अपनी खेती को नया रंग देने का! गन्ना, धान और गेहूँ तो आप बरसों से उगा रहे हैं, लेकिन अब सरकार मोटे अनाज यानी श्री अन्न की खेती को बढ़ावा दे रही है। खासकर कोदौ की खेती, जो न सिर्फ़ कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है, बल्कि सेहत के लिए भी रामबाण है। लखीमपुर खीरी में कृषि विभाग इस बार कोदौ की खेती को लेकर खासा उत्साहित है और किसानों को मुफ्त बीज की मिनी किट दे रहा है। आइए जानते हैं कि कोदौ की खेती कैसे आपके लिए फायदे का सौदा हो सकती है।
कम मेहनत में ज्यादा फायदा
कोदौ, जिसे पुराने ज़माने में ‘गरीबों का चावल’ कहते थे, आज बड़े-बड़े शहरों में सेहत का खजाना माना जा रहा है। यह फसल खरीफ के मौसम में, यानी जून के मध्य से जुलाई के अंत तक, आसानी से उगाई जा सकती है। लखीमपुर खीरी जैसे इलाकों में, जहाँ बारिश का मौसम खेती के लिए मुफीद है, कोदौ की खेती धान से भी सस्ती पड़ती है। धान की फसल को जहाँ ढेर सारा पानी चाहिए, वहीं कोदौ कम पानी में भी लहलहा उठता है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि कोदौ का पौधा धान जैसा दिखता है, लेकिन इसकी खेती में पानी, खाद और मेहनत कम लगती है। इससे किसान भाइयों का खर्चा बचता है और मुनाफा बढ़ता है।
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मुफ्त बीज किट
लखीमपुर खीरी के किसानों के लिए अच्छी खबर ये है कि कृषि विभाग इस बार कोदौ की खेती को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त बीज बाँट रहा है। अपर जिला कृषि अधिकारी सत्यवीर सिंह के मुताबिक, जिले में 3.18 क्विंटल कोदौ के बीज मिनी किट के रूप में किसानों को दिए जाएँगे। एक मिनी किट में करीब 3 किलो बीज होता है, जो एक हेक्टेयर खेत के लिए काफी है। यानी, आपको बीज खरीदने का खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा। बस अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और इस योजना का फायदा उठाएँ। यह कदम न सिर्फ़ खेती को आसान बनाएगा, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद करेगा।
कोदौ की खेती का आसान तरीका
कोदौ की खेती शुरू करने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना ज़रूरी है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत को समतल करके बीज बोएँ। कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कोदौ की बुवाई पंक्तियों में करें, ताकि फसल को बढ़ने में आसानी हो। एक हेक्टेयर में 8 से 10 किलो बीज काफी होता है।
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अगर आप जैविक खेती करना चाहते हैं, तो गोबर की सड़ी हुई खाद का इस्तेमाल करें। यह मिट्टी को ताकत देता है और फसल को कीटों से बचाने में भी मदद करता है। कोदौ की फसल 60 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल तक उपज दे सकती है। बाज़ार में कोदौ का भाव 2400 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल जाता है, जो धान से भी बेहतर है।
क्यों चुनें कोदौ की खेती?
लखीमपुर खीरी जैसे इलाकों में, जहाँ गन्ना और धान की खेती आम है, कोदौ एक नया और फायदेमंद विकल्प हो सकता है। यह फसल सूखा सहन कर सकती है और कम पानी में भी अच्छी उपज देती है। साथ ही, सरकार की मुफ्त बीज योजना और बढ़ती बाज़ार माँग इसे और आकर्षक बनाती है। अगर आप अपने खेतों में कुछ नया आज़माना चाहते हैं, तो कोदौ की खेती आपके लिए सही मौका है। अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें, मुफ्त बीज लें और खेती की नई शुरुआत करें।
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