दीवाली जैसे त्योहारों में आमतौर पर सब्जियों के दाम आसमान छूते हैं, लेकिन इस बार टमाटर के थोक भाव में कोई खास हलचल नहीं दिखी। बल्कि, पिछले साल की तुलना में ये भाव औसतन 47 प्रतिशत तक गिर गए हैं। उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की बात है, लेकिन किसानों के लिए चिंता का सबब बन गई है। कृषि उपज मंडी समितियों के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर 2025 में देशभर में टमाटर का औसत थोक मूल्य 2,583 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल के 4,901 रुपये के मुकाबले करीब आधा है। यह गिरावट फसल की अच्छी पैदावार और सामान्य मौसम की वजह से हुई है, लेकिन किसानों की कमाई पर असर पड़ रहा है।
मासिक भाव स्थिर, लेकिन सालाना झटका
देश के विभिन्न मंडियों में अक्टूबर के थोक भाव सितंबर के लगभग बराबर रहीं, यानी 2,583 रुपये प्रति क्विंटल। लेकिन पिछले साल की तुलना करें तो 45 से 65 प्रतिशत की बड़ी गिरावट साफ दिखती है। 2024 में भारी बारिश और रोगों ने फसल को नुकसान पहुँचाया था, जिससे दाम चढ़ गए थे। इस बार हालात सामान्य रहे, इसलिए आपूर्ति बढ़ी और भाव नीचे आ गए। किसान संगठनों का कहना है कि ऐसी स्थिति में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य या वैकल्पिक बाजार की जरूरत है, वरना नुकसान और बढ़ेगा।
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महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा गिरावट
देश में सबसे तेज गिरावट महाराष्ट्र में देखने को मिली, जहाँ टमाटर का औसत थोक भाव 1,140 रुपये प्रति क्विंटल रहा। यह सितंबर से 9.9 प्रतिशत और पिछले साल से 66.6 प्रतिशत कम है। उत्तर प्रदेश में भी भाव 2,034 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुँचे, जो सितंबर से 14 प्रतिशत और सालाना 54 प्रतिशत नीचे हैं। मध्य प्रदेश के मंडियों में 1,322 रुपये प्रति क्विंटल का भाव सितंबर से 13.5 प्रतिशत और पिछले वर्ष से 31 प्रतिशत कम रहा। कर्नाटक में भाव 1,176 रुपये प्रति क्विंटल पर लुढ़के, जो सालाना 47 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
उत्तर भारत में भी दाम नरम पड़े
हरियाणा और पंजाब जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में भी टमाटर के भाव दबाव में दिखे। हरियाणा में 2,190 रुपये प्रति क्विंटल और पंजाब में 1,970 रुपये का भाव मासिक आधार पर 5 से 5.4 प्रतिशत गिरा। गुजरात में थोड़ी बढ़त आई, लेकिन वहाँ भी सालाना 64 प्रतिशत की कमी रही। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में परिवहन खर्च और कम आपूर्ति से भाव राष्ट्रीय औसत से ऊपर, करीब 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। तेलंगाना और तमिलनाडु में पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आई, जबकि नागालैंड और मेघालय में स्थानीय कमी से हल्की बढ़ोतरी हुई।
किसानों की चिंता
यह गिरावट किसानों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है, क्योंकि अच्छी फसल होने के बावजूद दाम कम होने से मुनाफा कम हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्टोरेज सुविधाओं का अभाव और मध्यस्थों की भूमिका भी भावों को प्रभावित कर रही है। सरकार को किसानों के हित में न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करने और वैकल्पिक बाजार विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। उपभोक्ताओं को सस्ता टमाटर मिल रहा है, लेकिन किसानों को राहत के उपाय जरूरी हैं।
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