Alsi Ki Kheti: अलसी, जिसे फ्लैक्ससीड भी कहा जाता है, सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके तेल और बीजों का उपयोग खाने और औषधीय उपचार में किया जाता है। अलसी की खेती न सिर्फ सेहत के लिए गुणकारी है, बल्कि यह किसानों के लिए भी एक लाभदायक फसल साबित हो सकती है। इसकी खेती में न तो किसी प्रकार का कोई रोग लगता है और न ही इसमें किसी खाद की जरूरत पड़ती है। आइए, जानते हैं कि अलसी की खेती कैसे की जाती है और इसके लिए क्या-क्या जरूरी है।
अलसी की खेती (Alsi Ki Kheti) क्यों करें?
अलसी की खेती बिना किसी बड़े खर्च के की जा सकती है। इसे रोगों का खतरा नहीं होता, और इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। सहारनपुर के किसान सुरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने एक बीघे खेत में अलसी की खेती की है, और इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
अलसी से प्रति बीघा करीब दो क्विंटल उत्पादन होता है, और बाजार में इसकी कीमत 18,000 से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलती है। यह फसल कम मेहनत में ज्यादा लाभ देने वाली है। पुराने समय में बड़े बुजुर्ग अलसी की खेती बड़े पैमाने पर किया करते थे, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से कैल्शियम से भरपूर होती है और शरीर को मजबूती देती है।
जलवायु और मिट्टी
अलसी की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। यह फसल 15°C से 25°C के तापमान में अच्छी तरह विकसित होती है। अलसी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि अधिक पानी जमा होने से फसल खराब हो सकती है।
खेत की तैयारी
अलसी की खेती (Alsi Ki Kheti) शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी करनी चाहिए। खेत की 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। जुताई के बाद खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं। खेत में पानी जमा न हो, इसके लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
बुवाई का समय
अलसी की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है। इसकी बुवाई बीजों के द्वारा की जाती है। बीजों को खेत में 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।
सिंचाई
अलसी की खेती में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। हालांकि, गर्मी के मौसम में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।
खाद और उर्वरक
अलसी की खेती (Alsi Ki Kheti) में जैविक खाद का उपयोग करना बेहतर होता है। बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट डालें। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इनकी मात्रा मिट्टी की जांच के बाद ही तय करनी चाहिए।
रोग व कीटों से बचाव
अलसी की फसल को कीट और रोगों का खतरा कम होता है। फिर भी, कभी-कभी जड़ सड़न और पत्तियों पर धब्बे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। अधिक पानी देने से बचें, क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं।
कटाई
अलसी की फसल 4-5 महीने में तैयार हो जाती है। जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगें और सूखने लगें, तो समझ जाएं कि फसल कटाई के लिए तैयार है। कटाई के बाद बीजों को अच्छी तरह साफ करके सुखा लेना चाहिए। सूखे हुए बीजों को बाजार में बेचा जा सकता है।
मुनाफा
अलसी के बीजों की मांग आयुर्वेदिक दवाओं, खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में बहुत अधिक है। इसकी कीमत बाजार में अच्छी मिलती है। एक बीघा खेत से लगभग 2 क्विंटल अलसी प्राप्त होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अलसी के तेल का उपयोग खाने और औषधीय उपचार में किया जाता है, जिससे इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है।
ये भी पढ़ें- प्याज की फसल को थ्रिप्स कीट से बचाने के 5 देसी नुस्खे, फरवरी में ऐसे करें इस्तेमाल