Agri Advice: गेहूं और सरसों की पैदावार पर बड़ा खतरा! कृषि वैज्ञानिकों ने बताये बचाव के अचूक उपाय

Agri Advice: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा के वैज्ञानिकों ने गेहूं और सरसों की फसलों को लेकर नई सलाह जारी की है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बदलते मौसम के कारण इन फसलों की पैदावार पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यदि किसान समय रहते जरूरी उपाय नहीं अपनाते हैं, तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने क्या सलाह दी है और कैसे फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

गेहूं की फसल के लिए जरूरी सलाह

गेहूं की फसल में सबसे बड़ा खतरा रतुआ रोग से होता है। यह तीन प्रकार का होता है— काला रतुआ, भूरा रतुआ और पीला रतुआ। वैज्ञानिकों के अनुसार, किसान अपनी फसल की निगरानी रखें और समय पर उपचार करें। पीला रतुआ 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तेजी से फैलता है। यदि तापमान 25 डिग्री से ऊपर चला जाए तो इसका प्रभाव कम हो जाता है। भूरा रतुआ 15-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान और नमी वाली जलवायु में फैलता है। काला रतुआ 20 डिग्री से अधिक तापमान और शुष्क मौसम में ज्यादा फैलता है।

रोकथाम के लिए किसान अपने खेतों में नियमित रूप से निगरानी करें और जैसे ही रतुआ के लक्षण दिखें, तुरंत उपचार करें। डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। यदि संक्रमण ज्यादा हो जाए तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें और आवश्यक दवाओं का प्रयोग करें।

सरसों की फसल के लिए जरूरी सलाह

सरसों की फसल में सबसे बड़ा खतरा चेपा (माहू) कीट से होता है। यह कीट पत्तियों, तनों, फूलों और नई फलियों का रस चूसकर फसल को कमजोर कर देता है। इससे न केवल पैदावार घटती है, बल्कि सरसों में तेल की मात्रा भी कम हो जाती है। चेपा कीट ठंडे और बादल वाले मौसम में तेजी से फैलता है। यह मधुस्राव (मीठा पदार्थ) निकालते हैं, जिस पर काली फफूंद पनपती है और पौधे की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बाधित होती है।

सरसों की फसल को इस कीट से बचाने के लिए किसान रासायनिक और जैविक उपाय अपना सकते हैं। इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल (40 एमएल प्रति एकड़) को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। मेटासिस्टोक्स, रोगोर, या मेलाथियान दवाओं का छिड़काव भी लाभदायक रहेगा। डाइमिथोएट घटक युक्त अग्रोअर या प्रोफ़ेनोफ़ॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी का छिड़काव करने से भी यह कीट नियंत्रित रहता है। जैविक उपायों में नीम के तेल को तरल साबुन के साथ मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। नीम की निंबोली के सत का 5% घोल बनाकर छिड़काव करने से भी लाभ मिलता है। प्रभावित फूलों और पत्तियों को तोड़कर तुरंत नष्ट कर देना चाहिए।

गेहूं और सरसों की फसल को बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। मौसम के अनुसार, रोग और कीटों का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन समय पर सही उपचार करने से बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। किसान नियमित निगरानी करें और वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपाय अपनाकर अपनी फसल को सुरक्षित रखें।

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  • Shashikant

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