गाय-भैंस के लिए वरदान साबित हो रहा रबर मैट, दूध उत्पादन में जबरदस्त इजाफा

जैसे इंसानों को गद्देदार बिस्तर पर आराम करना पसंद है, वैसे ही पशुओं को भी आरामदायक बिछावन पसंद होता है। रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि अगर पशुओं को गद्देदार बिस्तर दिया जाए, तो उनका दूध उत्पादन बढ़ जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मार्केट में तरह-तरह के गद्दे यानी मैट उपलब्ध हैं। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार रबर मैट सबसे उपयुक्त विकल्प है। यह ना सिर्फ जल्दी खराब नहीं होता, बल्कि पशुओं को गद्देदार बिस्तर का पूरा आनंद भी देता है।

रबर मैट क्यों है बेहतर?

रबर मैट पशुओं के लिए आरामदायक होता है और यह जल्दी खराब भी नहीं होता। बाजार में विभिन्न आकार और कीमतों के रबर मैट उपलब्ध हैं, जिन्हें पशुओं के साइज और वजन के अनुसार चुना जा सकता है। जितना आरामदायक मैट होगा, पशु उतना ही आराम से बैठ और लेट पाएंगे। इससे उनकी थकान कम होगी, ऊर्जा अधिक रहेगी और इसका असर दूध उत्पादन पर सकारात्मक रूप से दिखाई देगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिछावन की अनदेखी

ग्रामीण इलाकों में अक्सर पशुओं के बिछावन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। ज्यादातर मामलों में उन्हें खुले में जमीन या कंक्रीट की सतह पर बैठाया जाता है, जो उनके लिए आरामदायक नहीं होता। कंक्रीट की सख्त सतह पर बैठने और उठने में पशुओं को कठिनाई होती है। कई बार जमीन की कठोरता के कारण उन्हें चोट लग जाती है, जो बाद में घाव का रूप ले लेती है।

गाय-भैंस के लिए वरदान साबित हो रहा रबर मैट, दूध उत्पादन में जबरदस्त इजाफा

रबर मैट के फायदे

  • रबर मैट पर पशु आराम से बैठ और लेट सकते हैं, जिससे उनकी थकान कम होती है और ऊर्जा अधिक बनी रहती है।
  • आरामदायक बिछावन के कारण पशुओं को अच्छी नींद मिलती है, जिससे उनका दूध उत्पादन बढ़ जाता है।
  • कंक्रीट की सतह पर बैठने की तुलना में रबर मैट पर बैठने से पशु को कम ऊर्जा लगती है, जिससे उनके शरीर में ऊर्जा की बचत होती है और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • रबर मैट से पशुओं को बैठने और उठने में कोई कठिनाई नहीं होती, जिससे खरोंच या घाव का खतरा भी कम होता है।

समय-समय पर रबर मैट बदलना जरूरी?

रबर मैट के उपयोग के साथ इसे समय-समय पर बदलना भी आवश्यक है। पशुओं के खुर कठोर होते हैं, जिससे मैट के फटने या खराब होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, पशुओं के मल-मूत्र के संपर्क में आने से मैट में दुर्गंध और संक्रमण फैल सकता है। यह संक्रमण केवल पशुओं तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि दूध और थन के माध्यम से इंसानों तक भी पहुंच सकता है।

रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जैसे इंसानों को पुरानी चीजें पसंद नहीं आतीं, वैसे ही पशुओं को भी पुरानी चीजों से परहेज होता है। नई चीजें उन्हें अधिक आरामदायक और मनभावन लगती हैं, जिससे उनका दूध उत्पादन भी बढ़ जाता है। इसलिए, समय-समय पर पुराने रबर मैट को बदलकर नए मैट का उपयोग करना चाहिए।

पशुओं के लिए रबर मैट का उपयोग एक प्रभावी तरीका है जिससे न केवल उनका आराम सुनिश्चित होता है, बल्कि उनके दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, समय-समय पर मैट को बदलना भी महत्वपूर्ण है ताकि संक्रमण और अन्य समस्याओं से बचा जा सके। यदि आप चाहते हैं कि आपके पशु स्वस्थ रहें और अधिक दूध दें, तो रबर मैट का चयन और उसका सही तरीके से रखरखाव जरूर करें।

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  • Shashikant

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