February Me Zaid Fasal Ki Kheti: फरवरी का महीना उत्तर पश्चिमी भारत के किसानों के लिए बहुत खास होता है। इस महीने में मौसम धीरे-धीरे बदलता है, ठंड कम होने लगती है और हल्की गर्मी का एहसास होने लगता है। यही समय खेती-बाड़ी के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है, क्योंकि इस दौरान कई फसलों की बुआई की जा सकती है, जिससे आने वाले महीनों में अच्छी पैदावार मिलती है।
गन्ना, सब्जियां, सूरजमुखी और मेंथा जैसी फसलों की बुआई इस महीने में करना फायदेमंद रहता है। इन फसलों की बाजार में अच्छी मांग होती है, जिससे किसानों को बढ़िया दाम मिल सकता है। साथ ही, अगर गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग यानी दूसरी फसलें उगाई जाएं, तो लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो सकता है।
गन्ने की खेती
अगर आप बसंतकालीन गन्ने की खेती करना चाहते हैं, तो 15 फरवरी के बाद इसकी बुआई कर सकते हैं। बुआई के लिए ऐसी किस्में चुनें, जो ज्यादा पैदावार दें और रोगों से बची रहें। इसके लिए अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।
गन्ने की बुआई से पहले, बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करना जरूरी है, ताकि फसल बीमारियों से बची रहे। इसके साथ ही, इंटरक्रॉपिंग का भी फायदा उठाया जा सकता है। गन्ने के बीच में उड़द, मूंग, फ्रेंच बीन्स, सब्जियां या फूलों की फसलें लगाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है।
भिंडी की बुआई:

फरवरी का महीना जायद भिंडी की बुआई के लिए सबसे अच्छा समय होता है। अगर इस मौसम में भिंडी की खेती करनी है, तो जल्द से जल्द इसकी बुआई कर लें। खेत में पौधों की दूरी 15-20 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 25-30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए, ताकि फसल अच्छे से बढ़ सके।
सूरजमुखी
अगर आप सूरजमुखी की खेती करना चाहते हैं, तो 15 से 29 फरवरी के बीच इसकी बुआई करना सही रहेगा। बुआई से पहले, बीजों को कार्बेंडाजिम या थीरम से उपचारित करना न भूलें, इससे फसल को बीमारियों से बचाया जा सकता है। सही किस्म का चुनाव अपने क्षेत्र के अनुसार करें, ताकि उपज अच्छी हो।
टमाटर की रोपाई
अगर गर्मी वाली टमाटर की फसल अभी तक नहीं लगाई है, तो देर न करें। पौधों की रोपाई 45×60 सेंटीमीटर की दूरी पर करें और शाम के समय रोपाई करें, ताकि पौधे आसानी से जम सकें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।
जनवरी में लगाए गए टमाटर के पौधों को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन (यूरिया) देना जरूरी है, ताकि वे अच्छी बढ़वार कर सकें।
बैंगन की रोपाई
बैंगन की फसल के लिए, खेत को अच्छी तरह से जोतकर गोबर या कंपोस्ट खाद मिलाएं। इसके अलावा, 100 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फॉस्फोरस और 80 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
बैंगन के पौधों की रोपाई शाम के वक्त करें, क्योंकि सुबह या दोपहर में रोपाई करने से तेज धूप के कारण पौधे मुरझा सकते हैं। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि पौधे जल्दी बढ़ें।
मेंथा की बुआई

अगर मेंथा की खेती करनी है, तो फरवरी में इसकी रोपाई पूरी कर लें। इसके लिए 400-500 किलो जड़ों का प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें। बुआई से पहले, खेत को खरपतवार मुक्त करें, क्योंकि अनचाहे पौधे मेंथा की बढ़वार में रुकावट डालते हैं।
बुआई के समय 30 किलो नाइट्रोजन, 75 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें और बुआई के बाद हल्की सिंचाई करना न भूलें।
फरवरी का महीना किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस समय गन्ना, सूरजमुखी, भिंडी, टमाटर, बैंगन और मेंथा जैसी फसलों की बुआई कर सकते हैं। सही समय पर खेती करने से पैदावार अच्छी होगी और मुनाफा भी बढ़ेगा। खेती के हर फैसले से पहले अपने कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करें, ताकि फसल की गुणवत्ता अच्छी बनी रहे।
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