Rabi Procurement: किसान ध्यान दें! अगले महीने से शुरू होगी तिलहन और दलहन की खरीद, जानें सरकार का प्लान

Rabi Procurement: देशभर के किसान भाइयों की मेहनत को सही दाम मिले, इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है। नैफेड और एनसीसीएफ अगले महीने से रबी तिलहन और दलहन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू करने जा रही हैं। खरीफ की तुअर की खरीद पहले ही शुरू हो चुकी है और अगले कुछ हफ्तों में ये अपने आखिरी दौर में पहुँच सकती है।

अब तक 0.2 मिलियन टन तुअर खरीदी जा चुकी है। दूसरी तरफ, रबी की चना और मसूर की खरीद अगले महीने के मध्य से शुरू होगी। ये खबर गाँव के किसानों के लिए राहत की साँस लेकर आई है, क्योंकि सरकार का ये कदम उनकी फसल को सही कीमत दिलाने का वादा करता है।

रबी सीजन की खरीद का प्लान

कृषि मंत्रालय ने रबी सीजन के लिए बड़ा इंतजाम किया है। कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत 1.7 मिलियन टन चना और मसूर खरीदने की मंजूरी दी गई है। वहीं, सरसों के लिए 0.6 मिलियन टन की खरीद को हरी झंडी मिली है, जो छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम और तेलंगाना से होगी। जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे बड़े उत्पादक राज्यों से भी जल्द ही खरीद के प्रस्ताव आ सकते हैं। ये खरीद अभियान 15 मार्च से शुरू हो सकता है।

सोयाबीन की कीमतों का संकट

सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए ये वक्त थोड़ा मुश्किल भरा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयामील की कीमतें गिरने से मंडियों में सोयाबीन का भाव 2024-25 सीजन के लिए तय 4892 रुपये प्रति क्विंटल के MSP से नीचे चला गया है। अभी मंडी में ये 3900 से 4100 रुपये के बीच बिक रहा है। सोयाबीन का ज्यादातर हिस्सा पशु आहार में जाता है और इसमें तेल सिर्फ 18-20% होता है, जिससे इसकी माँग पर असर पड़ता है।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने कृषि मंत्रालय से गुहार लगाई है कि नैफेड अपने सोयाबीन स्टॉक को अभी बाजार में न बेचे, वरना कीमतें और गिरेंगी। इससे किसान खरीफ में सोयाबीन बोने से कतराने लगेंगे।

सोपा की माँग और सरकार का रुख

सोपा के अध्यक्ष दविश जैन ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सोयाबीन बेचने का फैसला गलत वक्त पर लिया जा रहा है। उनका कहना है कि अगर अभी स्टॉक बेचा गया, तो कीमतें और नीचे जाएँगी, जो किसानों के लिए नुकसानदेह होगा। सोपा ने सुझाव दिया है कि नैफेड और एनसीसीएफ अपने सोयाबीन स्टॉक को 15 जुलाई 2025 के बाद ही बेचें, जब खरीफ की बुवाई खत्म हो जाए।

दूसरी तरफ, मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया है कि तिलहन और दलहन की MSP पर खरीद होगी, ताकि किसानों को सही दाम मिले। मगर बढ़ते आयात ने चना और सरसों की कीमतों को भी प्रभावित किया है, जो MSP से नीचे रह सकती हैं।

पिछले सीजन का हाल और भविष्य

पिछले रबी सीजन (2023-24) में सरसों का रिकॉर्ड 13.16 मिलियन टन उत्पादन हुआ था। फिर भी मंडी में भाव MSP से कम रहे। इस वजह से हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से सरकारी एजेंसियों ने 1.2 मिलियन टन सरसों खरीदी। अब सरकार दलहन और तिलहन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में है। इसके लिए अरहर, उड़द और मसूर की पूरी खरीद को मंजूरी दी गई है। गाँव में लोग कहते हैं कि अगर MSP का भरोसा हो, तो खेती में जोश आ जाता है। आने वाले महीनों में ये खरीद अभियान किसानों की कितनी मदद करेगा, ये देखना बाकी है।

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  • Shashikant

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