यूपी में मक्का खेती: 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य, सरकार दे रही सब्सिडी और उन्नत तकनीक

Up Government Aims To Double Maize Production: उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती अब किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन रही है। सरकार कई योजनाओं के जरिए इसे बढ़ावा दे रही है, ताकि किसानों की मेहनत का पूरा फल मिले। त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत यूपी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की राह पर है। मक्का हर मौसम में उगने वाली फसल है, जो खरीफ, रबी और जायद में बोई जा सकती है।

इसे अनाजों की रानी कहते हैं, क्योंकि ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर है। इथेनॉल, पशु आहार, दवा और पॉपकॉर्न जैसे कई इस्तेमाल की वजह से इसकी माँग बढ़ रही है। सरकार अनुदान और वैज्ञानिक मदद से मक्के को और फायदेमंद बना रही है। आइए जानते हैं कैसे।

मक्का पर सरकार का अनुदान

प्रदेश में मक्का किसानों को बड़ी राहत मिल रही है। सरकार हर क्विंटल मक्का बीज पर 15 हजार रुपये तक का अनुदान दे रही है। ये मदद हाइब्रिड, देशी पॉपकॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न के लिए भी है। खासकर पर्यटन इलाकों में बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की माँग बढ़ी है, जिसे देखते हुए सरकार इनकी खेती को बढ़ावा दे रही है। ये अनुदान किसानों को सस्ते में अच्छे बीज लेने और ज्यादा पैदावार का मौका दे रहा है।

वैज्ञानिकों की मदद से नई राह

उत्तर प्रदेश सरकार वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किसानों को उन्नत खेती की जानकारी दे रही है। हाल ही में लखनऊ में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला हुई, जिसमें मक्के को और लाभदायक बनाने की बात हुई। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान की मदद से गोष्ठियाँ हो रही हैं, जहाँ किसानों को नई तकनीक और बीजों के बारे में बताया जा रहा है। ये सलाह मक्के की पैदावार बढ़ाने में बड़ा काम कर रही है।

2027 तक उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य

सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2027 तक मक्का उत्पादन को 27.30 लाख मीट्रिक टन तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। अभी यूपी में 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती से 21.16 लाख मीट्रिक टन पैदावार हो रही है। इसके लिए सरकार खेती का रकबा बढ़ाने और प्रति हेक्टेयर उपज सुधारने पर जोर दे रही है। 2023-24 के लिए 27.68 करोड़ रुपये का बजट भी रखा गया है।

हर मौसम में मक्का, हर मिट्टी में फायदा

मक्का हर मौसम में उगने वाली खास फसल है। खरीफ, रबी और जायद में इसे बोया जा सकता है। जल निकासी वाली हर मिट्टी में ये अच्छा होता है। इसका इस्तेमाल इथेनॉल, पशु आहार, दवा, कॉस्मेटिक्स, कपड़े, कागज और शराब उद्योग में होता है। इसकी बढ़ती माँग देखकर सरकार MSP और उन्नत तकनीक से किसानों को जोड़ रही है।

उन्नत किस्म से बढ़ेगी पैदावार

विशेषज्ञों का मानना है कि उन्नत तकनीक से मक्के की उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। अभी तमिलनाडु में 59.39, देश में औसत 26 और यूपी में 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें बड़ी गुंजाइश है। डंकल डबल, कंचन 25, डीकेएस 9108, डीएचएम 117 जैसी उन्नत किस्में 80-120 दिन में तैयार हो जाती हैं। पॉपकॉर्न मक्का तो 60 दिन में पक जाता है।

सुखाने और प्रोसेसिंग पर भी अनुदान

मक्के में 30% तक नमी रहती है, जिससे फंगस का खतरा रहता है। सरकार ड्रायर मशीन पर 15 लाख की लागत में 12 लाख तक का अनुदान दे रही है। पॉपकॉर्न मशीन पर 10,000 रुपये की मदद है। बुवाई से प्रोसेसिंग तक की दूसरी मशीनों पर भी अनुदान मिल रहा है। इससे मक्का सुखाना और तैयार करना आसान हो रहा है।

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  • Shashikant

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