लाल सड़न से बचने का अचूक तरीका! गन्ने की बुवाई के समय अपनाएं ये फार्मूला और देखें कमाल

Sugarcane Farming Tips: गाँवों में गन्ने की खेती किसानों की कमाई का बड़ा जरिया है, लेकिन लाल सड़न रोग, जिसे गन्ने का कैंसर भी कहते हैं, इसे बर्बाद कर सकता है। इन दिनों बसंतकालीन गन्ने की बुवाई चल रही है। अगर सही वक्त पर सही कदम उठाए जाएँ, तो इस रोग से फसल को बचाया जा सकता है। जैविक उत्पाद “अंकुश” इसकी रोकथाम में कारगर है। बुवाई से पहले खेत और बीज की तैयारी सही तरीके से करें, तो गन्ना लंबे वक्त तक स्वस्थ रहेगा। ये रोग मिट्टी और बीज से फैलता है, इसलिए बचाव ही इसका सबसे बढ़िया इलाज है। आइए, इसे आसानी से समझते हैं।

लाल सड़न से बचाव का जैविक उपाय

लाल सड़न रोग से गन्ने को बचाने के लिए जैविक उत्पाद “अंकुश” बड़ा मददगार है। ये ट्राइकोडर्मा फफूंद से तैयार किया गया एक जैविक कल्चर है, जो न सिर्फ लाल सड़न, बल्कि मिट्टी से होने वाले दूसरे रोगों को भी रोकता है। बुवाई के वक्त खेत की अंतिम जुताई में 10 किलो अंकुश को गोबर की सड़ी खाद या मिट्टी में मिलाकर पूरे खेत में बिखेर दें। अगर चाहें तो 15-20 किलो प्रति हेक्टेयर भी डाल सकते हैं। इसकी खास बात ये है कि ज्यादा डालने से भी कोई नुकसान नहीं।

खेत में अंकुश का इस्तेमाल

बसंत में गन्ने की बुवाई का सही समय है। खेत की आखिरी जुताई करते वक्त अंकुश को गोबर की खाद में मिलाकर बिखेरें और फिर जुताई कर लें। इससे मिट्टी में रोग फैलाने वाले कीटाणु कम होंगे और गन्ना मजबूत होगा। अंकुश की कीमत 56 रुपये प्रति किलो है और इसे उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान से किसी भी कार्य दिवस में खरीदा जा सकता है। ये सस्ता और आसान तरीका गन्ने को स्वस्थ रखने में बड़ा काम करता है।

बीज चयन का खास ध्यान

गन्ने की बुवाई में बीज का सही चयन बहुत जरूरी है। ऐसा खेत चुनें, जहाँ लाल सड़न रोग न लगा हो। बीज के लिए गन्ने का ऊपरी एक-तिहाई हिस्सा काट लें। फिर इसे सिंगल बड (एक आँख वाले टुकड़ों) में तैयार करें और खेत में लगाएँ। बीज को बोने से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें, ताकि रोग शुरू से ही न लगे। ये सावधानी लाल सड़न से बचाने में बड़ी मदद करती है।

बुवाई का सही तरीका

गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि से करें। इसमें 90 सेमी की दूरी पर नालियाँ बनाएँ और दो आँख वाले बीज 20-25 सेमी गहराई पर बोएँ। खेत में गोबर की खाद के साथ 80 किलो नाइट्रोजन, 35 किलो फॉस्फोरस और 35 किलो पोटाश प्रति एकड़ डालें। नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में बाँटकर बुवाई के वक्त, 30 दिन बाद और 60 दिन बाद दें। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें, ताकि पानी बूँद-बूँद जड़ों तक पहुँचे। गाँव में लोग कहते हैं कि सही बुवाई और देखभाल से फसल लहलहाती है।

क्यों जरूरी है बचाव

लाल सड़न एक बार लग जाए, तो फसल का बचना मुश्किल हो जाता है। ये मिट्टी और बीज से फैलता है और गन्ने को खोखला कर देता है। बुवाई के बाद इसका इलाज संभव नहीं, इसलिए पहले ही सावधानी बरतें। अंकुश और सही बीज चयन से ये रोग शुरू से ही काबू में रहता है। बसंत में बुवाई शुरू करें और इन टिप्स को अपनाएँ, तो गन्ना स्वस्थ रहेगा और कमाई बढ़ेगी।

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  • Shashikant

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