Vegetables Farming Tips: सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए फरवरी-मार्च का वक्त मुश्किल भरा होता है। इस दौरान टमाटर, चोली, ग्वार और बैंगन जैसी फसलों पर छछूंदर कीट का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे बड़ा नुकसान हो रहा है। गर्मियों में ग्रीष्मकालीन गेहूँ की बुवाई भी बड़े स्तर पर होती है, मगर ये कीट सब्जियों को सबसे ज्यादा परेशान करता है। सही उपाय अपनाएँ, तो नुकसान कम होगा और पैदावार बढ़ेगी। आइए, छछूंदर से बचाव के जैविक और रासायनिक टिप्स को समझते हैं।
छछूंदर कीट का नुकसान
छछूंदर एक छोटा, अंडाकार कीट है, जो पौधों के लिए बड़ी मुसीबत बनता है। ये पत्तियों, नई टहनियों, तनों, फूलों और फलियों का रस चूसता है। इससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, पौधा कमजोर हो जाता है और बढ़ना बंद कर देता है। उत्पादन घटता है और मेहनत पर पानी फिर जाता है। अगर वक्त रहते काबू न किया जाए, तो सारी फसल बर्बाद हो सकती है। ये कीट खासतौर पर सब्जियों को निशाना बनाता है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ जाती है।
चिपचिपा पदार्थ और काला कवक
छछूंदर पत्तियों पर एक चिपचिपा, शहद जैसा पदार्थ छोड़ता है, जो चमकदार होकर पत्तियों से चिपक जाता है। ये पदार्थ काले कवक को बुलावा देता है, जो पौधे की साँस रोक देता है। काला कवक फसल की बढ़त को बिगाड़ता है और गुणवत्ता घटाता है। इससे बाजार में दाम कम मिलता है और किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। इस चिपचिपे पदार्थ को जल्दी हटाना जरूरी है, वरना फसल की हालत खराब हो जाती है।
जैविक नियंत्रण से आसान राह
छछूंदर से बचाव के लिए रासायनिक कीटनाशक इस्तेमाल किए जा सकते हैं, मगर जैविक तरीके ज्यादा सुरक्षित और असरदार हैं। लेडीबर्ड बीटल नाम का शिकारी कीट छछूंदर का प्राकृतिक दुश्मन है। ये इसे खाकर फसल को बचा लेता है। रासायनिक छिड़काव से मित्र कीट भी मर सकते हैं, जिससे कीटों का प्रकोप और बढ़ सकता है। लेडीबर्ड बीटल को खेत में लाने के लिए नीम की पत्तियाँ बिछाएँ या जैविक खाद डालें।
रासायनिक उपाय से कंट्रोल
अगर छछूंदर का संक्रमण ज्यादा हो जाए, तो रासायनिक उपाय भी आजमाए जा सकते हैं। 2 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। हर 15 दिन बाद इसे दोहराएँ, ताकि कीट काबू में रहे। ये तरीका फसल को जल्दी राहत देता है। छिड़काव साफ मौसम में करें और पौधे के हर हिस्से तक दवा पहुँचाएँ। मगर इसे आखिरी रास्ता समझें, ताकि मिट्टी और मित्र कीट सुरक्षित रहें।
खेत की देखभाल का तरीका
छछूंदर से बचने के लिए खेत पर नजर रखें। पत्तियों पर चिपचिपापन या पीलेपन के निशान दिखें, तो तुरंत कदम उठाएँ। प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट करें और खेत में नीम का तेल छिड़कें। ड्रिप सिंचाई से पानी दें, ताकि नमी सही रहे। फरवरी-मार्च में कीटों का हमला बढ़ता है, तो पहले से तैयार रहें। जैविक और रासायनिक उपायों से सब्जियाँ सुरक्षित रखें और मेहनत का पूरा फल पाएँ।
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