कसावा की ऑर्गेनिक खेती : गाँव में प्राकृतिक तरीके से उगाने का आसान ढंग

Organic Cassava Farming : किसान भाइयों, गाँव में कसावा यानी टैपिओका की खेती करना फायदे का सौदा हो सकता है। ये एक ऐसी फसल है जो कम पानी और देखभाल में भी बढ़िया उगती है, और इसका जड़ खाने में काम आता है। ऑर्गेनिक तरीके से कसावा उगाने का मतलब है बिना रासायनिक खाद या दवा के, सिर्फ प्राकृतिक चीजों से खेती करना। बाजार में इसकी माँग अच्छी है, और ये मिट्टी को भी नुकसान नहीं पहुँचाती। आइए, जानें कि कसावा की ऑर्गेनिक खेती कैसे करें और फायदा कैसे उठाएँ।

खेत को तैयार करने का सहज तरीका

कसावा की खेती के लिए खेत को पहले सही करना पड़ता है। जून-जुलाई में बारिश शुरू होने से पहले खेत की हल्की जुताई करें। दोमट या रेतीली मिट्टी इसके लिए ठीक है, पर पानी का निकास अच्छा होना चाहिए। गाँव में गोबर की सड़ी खाद डालें, एक बीघे में 8-10 गट्ठर काफी हैं। इसके साथ नीम की सूखी पत्तियाँ या भूसा मिलाएँ, ये मिट्टी को ताकत देगा। छोटी-छोटी मेड़ें बनाएँ, ताकि जड़ों को जगह मिले। ऐसा करने से खेत कसावा के लिए तैयार हो जाएगा, और रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कसावा की बुआई का सरल ढंग

कसावा को बीज से नहीं, बल्कि डंठल से उगाते हैं। स्वस्थ पौधे की 8-10 इंच लंबी डंठल काट लें, जिसमें 2-3 गांठें हों। इन्हें मेड़ों पर 3-4 फीट की दूरी पर तिरछा रोप दें। गाँव में डंठल को रोपने से पहले गोबर के पानी में डुबोएँ, इससे जड़ें जल्दी निकलती हैं। बरसात शुरू होते ही रोपाई करें, ताकि पानी की कमी न हो। रोपाई के बाद हल्का पानी डालें। कसावा धीरे-धीरे बढ़ता है, और 8-10 महीने में जड़ें तैयार हो जाती हैं। इसकी खास बात ये है कि ये कम पानी में भी चल जाता है।

देखभाल का साधारण उपाय

ऑर्गेनिक खेती में कसावा को संभालना आसान है। शुरू में हफ्ते में एक बार पानी दें, बरसात में ये जरूरत कम हो जाती है। गाँव में नीम का पानी पत्तियों पर छिड़कें, ये कीटों को भगाता है और रासायनिक दवा की जरूरत नहीं पड़ती। हर 20-25 दिन में गोबर का घोल या वर्मी कम्पोस्ट डालें, ये पौधों को पोषण देगा। खेत में घास उग आए तो हाथ से हटाएँ। अगर पौधे के पास सहजन या नीम का पेड़ हो, तो उसकी छाया फायदा देगी। ऐसा करने से कसावा स्वस्थ रहेगा और जड़ें मोटी होंगी।

फसल और कमाई का हिसाब

कसावा की जड़ें 8-10 महीने में तैयार हो जाती हैं। एक बीघे से 15-20 क्विंटल तक जड़ें मिल सकती हैं। गाँव में इसे उबालकर खाते हैं या बाजार में बेचते हैं। बाजार में 20-30 रुपये किलो भाव मिलता है, यानी एक बीघे से 30-50 हज़ार रुपये की कमाई हो सकती है। बचे हुए डंठल अगली बुआई के लिए रख लें। ऑर्गेनिक होने से इसका दाम थोड़ा ज्यादा मिलता है, और खाने में भी सेहतमंद रहता है। ये फसल मिट्टी को कमजोर नहीं करती, जो लंबे समय तक फायदा देता है।

गाँव में कसावा की ऑर्गेनिक खेती इसलिए बढ़िया है, क्योंकि ये कम पानी और देखभाल में उग जाता है। रासायनिक खाद न लगने से खर्चा कम होता है और मिट्टी सालों तक अच्छी रहती है। सहजन के साथ इसे उगाएँ, तो दोहरी फसल मिलेगी। तो भाइयों, कसावा को अपने खेत में प्राकृतिक तरीके से उगाएँ, खेती को मजबूत करें और कमाई बढ़ाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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