दरभंगा के वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी! 9 साल की मेहनत के बाद सिंघाड़े की दो नई वैरायटी की विकसित

2 New Variety of Water Chestnut: किसान भाइयों, अब तक आपने जो सिंघाड़ा देखा, उसमें काँटे होते थे, जो खेती और छीलने में परेशानी खड़ी करते थे। लेकिन अब राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने लाल और हरे रंग के बिना काँटों वाले सिंघाड़े की दो नई किस्में तैयार की हैं। इनमें औषधीय गुण भी भरपूर हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सिंघाड़े की खेती खूब होती है, और अब इन नई किस्मों से किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है।

दो नई किस्में: स्वर्ण आरोही और स्वर्ण हरित

केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. इंदु शेखर सिंह बताते हैं कि बिहार में अभी तक जो सिंघाड़ा उगाया जाता था, वो ज्यादातर लाल रंग का और काँटेदार होता था। लेकिन अब वैज्ञानिक डॉ. बी.एन. जाना के साथ मिलकर दो नई किस्में—‘स्वर्ण आरोही’ और ‘स्वर्ण हरित’—विकसित की गई हैं। ये दोनों बिना काँटों वाली हैं। जबलपुर, झारखंड, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से सिंघाड़े की अलग-अलग किस्में इकट्ठा करके इन पर शोध किया गया। कई साल की मेहनत के बाद ये नई किस्में तैयार हुईं, जो न सिर्फ देखने में अच्छी हैं, बल्कि खेती के लिए भी आसान हैं।

2023 में तैयार, अब रिलीज की राह में

डॉ. इंदु शेखर सिंह कहते हैं कि ‘स्वर्ण आरोही’ का वजन ज्यादा होता है और इससे आटा भी बनाया जा सकता है। इसकी खासियत ये है कि ये बाज़ार में अच्छी कीमत दिला सकता है। दूसरी ओर, ‘स्वर्ण हरित’ हरे रंग का है और सेहत के लिए फायदेमंद है। इन किस्मों पर काम 2014 से चल रहा था, और 2023 में इन्हें पूरी तरह विकसित कर लिया गया। बिहार सरकार से मान्यता भी मिल चुकी है। अब इन्हें रिलीज करने के लिए केंद्रीय सरकार की वैरायटी रिलीज कमेटी को पत्र लिखा गया है। जब ये भारतीय गजट में छप जाएँगी, तभी इन्हें आधिकारिक तौर पर किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

गाँव के किसानों के लिए फायदे

ये नई किस्में गाँव के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। बिना काँटों की वजह से इन्हें उगाना, तोड़ना और छीलना आसान होगा। साथ ही, इनमें औषधीय गुण होने से बाज़ार में डिमांड बढ़ेगी। डॉ. सिंह बताते हैं कि बिहार में सिंघाड़े की खेती तालाबों और पानी वाली जमीन में खूब होती है। अब इन नई किस्मों से पैदावार बढ़ेगी और मेहनत कम लगेगी। गाँव में अगर आपके पास छोटा तालाब या गीली जमीन है, तो आप भी इसे आजमा सकते हैं।

खेती का आसान तरीका

सिंघाड़े की खेती के लिए पानी का ठहराव जरूरी है। गर्मी खत्म होने के बाद मई-जून में इसकी बुआई शुरू करें। तालाब में पानी 2-3 फीट गहरा रखें और पौधों को सही दूरी पर लगाएँ। नई किस्मों में बीज कम लगेगा और फसल 3-4 महीने में तैयार हो जाएगी। पानी साफ रखें और कीड़ों से बचाने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाएँ। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन किस्मों में रोग कम लगते हैं, तो ज्यादा दवा की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

किसानों के लिए सलाह

किसान भाइयों, राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र का ये प्रयास आपकी खेती को नई ऊँचाई देगा। स्वर्ण आरोही और स्वर्ण हरित को आजमाएँ। ये न सिर्फ आपकी मेहनत को आसान बनाएँगी, बल्कि कमाई भी बढ़ाएँगी। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और इन नई किस्मों के बीज के बारे में पूछें। गाँव में सिंघाड़े की खेती सेहत और जेब दोनों को मजबूत कर सकती है।

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  • Shashikant

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