जानिये क्या होती है टिलेज कृषि, गाँव में बिना हल चलाए खेती का नया ढंग

Zero Tillage Farming : किसान भाइयों, गाँव में खेती का पुराना तरीका सबको पता है—हल चलाओ, फिर बीज बोओ। मगर जीरो टिलेज कृषि कुछ अलग और आसान है। इसमें खेत को जोतने की जरूरत नहीं, सीधे बीज डालकर फसल उगाते हैं। इससे मिट्टी की ताकत बनी रहती है, पानी की खपत कम होती है, और मेहनत भी बचती है। गाँव में धान, गेहूँ या मक्के के लिए ये तरीका बढ़िया काम करता है। अब तो इसके लिए मशीनें भी मिलती हैं। आइए, गाँव की अपनी भाषा में समझें कि जीरो टिलेज क्या है और इसे कैसे अपनाएँ, ताकि फसल भी अच्छी हो और जेब भी भरे।

जीरो टिलेज का असली मतलब

जीरो टिलेज यानी खेत को बिना जोते फसल तैयार करना। गाँव में फसल कटने के बाद जो ठूंठ बचते हैं, उन्हें हटाते नहीं, बल्कि उनके बीच ही बीज बोते हैं। इससे मिट्टी की ऊपरी परत सख्त रहती है, जो पानी और खुराक को अपने पास रखती है। मिट्टी का कटाव रुकता है, और सूखे में भी फायदा होता है। जुताई का समय और पैसा बचता है। गाँव में ये तरीका धीरे-धीरे चलन में आ रहा है, क्यूँकि ये मेहनत कम करता है और मिट्टी को सालों तक हरा-भरा रखता है।

खेत को सजाने का आसान रास्ता

जीरो टिलेज में खेत जोतने का झंझट नहीं। पिछले फसल के ठूंठ को वैसे ही छोड़ दें। गाँव में फसल काटने के बाद खेत को हल्का साफ करें, पर मिट्टी न पलटें। गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट बिखेर दें, एक बीघे में 4-5 गट्ठर डालना ठीक है। नीम की पत्तियाँ डालें, ये कीटों से बचाएगी। अगर खरपतवार ज्यादा हो, तो हाथ से हटाएँ या हल्का जैविक दवा छिड़कें। मिट्टी में नमी चाहिए, तो बारिश के बाद शुरू करें या हल्का पानी दें। ऐसा करने से खेत बुआई के लिए तैयार हो जाएगा।

बीज बोने की सुलभ तरकीब

इस खेती (zero tillage farming) में जीरो टिल ड्रिल मशीन काम आती है, जो गाँव में किराए पर मिलती है। गेहूँ, धान या मक्का के बीज लें। मशीन से बीज को ठूंठ के बीच 2-3 इंच गहरा बो दें। एक बीघे में 30-40 किलो बीज काफी है। गाँव में बीज को पहले हल्का भिगो लें, अंकुर जल्दी फूटेंगे। बुआई के बाद हल्का पानी छिड़कें। मशीन साफ कतार में बोती है, जिससे फसल बढ़िया उगती है। ये तरीका बुआई को 15-20 दिन पहले शुरू करने देता है, तो फसल जल्दी कटने को तैयार होती है।

खेती की देखरेख और फायदा

जीरो टिलेज में देखभाल का बोझ कम है। शुरू में हर 5-7 दिन में हल्का पानी दें, मिट्टी नम रहे। गाँव में गोबर का घोल हर 20 दिन में डालें, पौधे तंदुरुस्त होंगे। नीम का पानी छिड़कें, कीटों का डर नहीं रहेगा। ठूंठ मिट्टी को ढकते हैं, तो नमी टिकती है। गेहूँ 100-120 दिन में पक जाता है। एक बीघे से 12-15 क्विंटल फसल मिल सकती है। बाजार में 20-25 रुपये किलो बिके, तो 25-35 हज़ार रुपये कमाई होगी। जुताई का खर्च बचने से 2-3 हज़ार रुपये और जेब में आएँगे।

गाँव के लिए इसकी खासियत

गाँव में जीरो टिलेज इसलिए बढ़िया है, क्यूँकि ये मेहनत, पानी और पैसा बचाता है। मिट्टी की सेहत बनी रहती है, जो सालों तक फायदा देती है।  मशीन से काम आसान हो जाता है, और किराया भी सस्ता है। तो भाइयों, बिना जुताई की ये खेती अपनाएँ, मिट्टी को हरा रखें और फसल से मुनाफा कमाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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