Top 5 Varieties of Shalgam: किसान भाइयों, सेहत को दुरुस्त रखने में सब्जियाँ बड़ी मददगार होती हैं। लोग तरह-तरह की सब्जियाँ खाना पसंद करते हैं। इनमें शलजम की खास किस्म ‘पूसा स्वेती’ की बाजार में सालभर डिमांड रहती है। ये शलजम की एक उन्नत प्रजाति है, जिसे मार्च में उगाकर किसान अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं। शलजम की कई बढ़िया किस्में हैं, जो खेती को आसान और फायदेमंद बनाती हैं। चलिए, शलजम की पाँच उन्नत किस्मों और खेती के तरीके के बारे में जानते हैं।
शलजम की पाँच उन्नत किस्में
- पूसा स्वेती किस्म
ये एक जल्दी तैयार होने वाली किस्म है। मार्च के मध्य में बुआई करें तो सिर्फ 45 दिन में जड़ें पक जाती हैं। इसकी जड़ें छोटी-मोटी और सफेद होती हैं, जो स्वाद में हल्की मीठी लगती हैं। कम समय में अच्छी पैदावार चाहिए तो ये बेस्ट है। बाजार में इसकी खूब माँग रहती है। - पर्पल टॉप व्हाइट ग्लोब
ये किस्म आकार में बड़ी और देखने में खूबसूरत होती है। इसका ऊपरी हिस्सा बैंगनी और अंदर का गूदा सफेद होता है। 60-65 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 150-180 क्विंटल तक देती है। इसका रंग और स्वाद इसे खास बनाता है। सलाद और सब्जी दोनों में चलती है। - सफेद-4 किस्म
मार्च के आखिर में लगाने वाली ये किस्म 50-55 दिन में तैयार होती है। प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार देती है। ये पूरी तरह सफेद और गोल होती है। इसका गूदा नरम होता है और खाने में अच्छा लगता है। ज्यादा उत्पादन के लिए ये किसानों की पसंद है। - लाल-4 किस्म
बसंत में उगने वाली ये किस्म 60-70 दिन में तैयार होती है। इसकी जड़ें गोल, लाल और सामान्य आकार की होती हैं। स्वाद में हल्की तीखी और रंग में आकर्षक होने से बाजार में अच्छा दाम मिलता है। पैदावार भी बढ़िया देती है, जो इसे फायदेमंद बनाती है। - स्नोवाला किस्म
ये सफेद रंग की गोल शलजम है। 55-60 दिन में तैयार होती है। इसका गूदा नरम और मीठा होता है, इसलिए सलाद में खूब इस्तेमाल होती है। बाजार में इसकी डिमांड ज्यादा है। कम मेहनत में अच्छी फसल चाहिए तो ये किस्म बढ़िया है।
शलजम की खेती का तरीका
शलजम की खेती के लिए बलुई, दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी है। इसकी जड़ें जमीन के अंदर बढ़ती हैं, इसलिए मिट्टी नरम चाहिए। ये ठंडी जलवायु की फसल है। बुआई से पहले खेत को अच्छे से जोतें। फिर प्रति एकड़ 60-80 क्विंटल गाय का सड़ा हुआ गोबर डालें और मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। इसके बाद पंक्तियों में बुआई करें। पौधों के बीच 8-10 सेमी की दूरी रखें। शुरू में हल्का पानी दें और खरपतवार हटाएँ। 45-70 दिन में फसल तैयार हो जाती है।
खेती की खासियत
पूसा स्वेती और दूसरी किस्मों की खासियत ये है कि ये जल्दी तैयार होती हैं और बाजार में अच्छा दाम देती हैं। पर्पल टॉप व्हाइट ग्लोब का रंग और आकार इसे अलग बनाता है। सफेद-4 और स्नोवाला की पैदावार ज्यादा होती है, वहीं लाल-4 का स्वाद और शक्ल ग्राहकों को पसंद आती है। ये सब कम मेहनत में उगती हैं और ठंडी जलवायु में अच्छा उत्पादन देती हैं। मार्च में बुआई करने से गर्मी शुरू होने से पहले फसल तैयार हो जाती है।
किसानों के लिए सलाह
किसान भाइयों और बहनों, शलजम की खेती आपकी कमाई बढ़ा सकती है। पूसा स्वेती, पर्पल टॉप या दूसरी उन्नत किस्में चुनें। मार्च में बुआई शुरू करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से बीज लें और खेत को अच्छे से तैयार करें। जैविक खाद डालें और पानी का ध्यान रखें। ये फसल कम लागत में तैयार होती है और बाजार में सालभर बिकती है। अभी से तैयारी करें ताकि अगले सीजन में मुनाफा आपके हाथ में हो।
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