खेती होगी सुपरहिट! बुवाई से पहले बीजों को ऐसे करें ट्रीट, उपज होगी ताबड़तोड़

Natural Farming Seeds Care: किसान भाइयों, खेती का काम आसान नहीं है। गर्मी, बरसात और सर्दी में मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन बुवाई से पहले बीज की देखभाल सही हो तो फसल बंपर मिलती है। प्राकृतिक खेती पद्धति से बीज तैयार करें तो अंकुरण अच्छा होता है और पैदावार बढ़ती है। ये तरीका मिट्टी और सेहत को संवारता है, और पारंपरिक खेती का शानदार विकल्प है। तो चलिए, अपनी आसान भाषा में जानते हैं कि बीज की देखभाल कैसे करें और फसल को कैसे लहलहाएँ।

प्राकृतिक खेती की ताकत

प्राकृतिक खेती देसी गाय पर आधारित है और इसके 5 मुख्य ढांचे हैं बीजामृत, जीवामृत, वाफ्सा, आच्छादन और मिश्र खेती। ये पद्धति मिट्टी को तंदुरुस्त रखती है और रसायनों से दूर ले जाती है। खासकर बुवाई से पहले बीज को बीजामृत से तैयार करना फसल की मजबूत नींव डालता है। इससे बीज जल्दी और अच्छे से उगते हैं, और जमीन से होने वाले रोग भी कम लगते हैं। हमारे यहाँ ये पुराना नुस्खा अब फिर से जोर पकड़ रहा है, क्यूँकि ये सस्ता और कारगर है।

बीजामृत से बीज की देखभाल

बीज की देखभाल का मतलब है बुवाई से पहले उसे तैयार करना। प्राकृतिक खेती में बीजामृत का इस्तेमाल होता है, जो सब्जियों और दूसरी फसलों के लिए वरदान है। बीजामृत में डूबे बीज अच्छे से अंकुरित होते हैं, और फसल शानदार निकलती है। ये बीज को ताकत देता है, ताकि वो मिट्टी के रोगों से लड़ सके। चाहे धान हो, गेहूं हो या सब्जियाँ, बीजामृत से तैयार बीज जल्दी उगते हैं और पौधे मज़बूत बनते हैं। हमारे यहाँ इसे फसल की पहली सीढ़ी कहते हैं।

बीजामृत बनाने का देसी तरीका

बीजामृत बनाना बच्चों का खेल है। इसके लिए 5 किलो देसी गाय का गोबर, 5 लीटर गौमूत्र, 50 ग्राम भीगा चूना, 20 लीटर पानी और 1 मुट्ठी जीवित मिट्टी लें। इन सबको एक बर्तन में अच्छे से मिलाएँ। दिन में दो बार लकड़ी से हिलाएँ, ताकि मिश्रण अच्छा बने। 24 घंटे बाद ये बीजामृत तैयार हो जाता है। बुवाई से पहले बीज को इसमें 2-3 घंटे भिगो दें, फिर छाया में सुखाकर बोएँ। ये आसान तरीका बीज को ताकत देता है और अंकुरण को बढ़िया बनाता है। हमारे यहाँ ये नुस्खा पीढ़ियों से चलता आ रहा है।

फायदा और देखभाल का हिसाब

बीजामृत से तैयार बीज 80-90% तक अंकुरित होते हैं, जबकि बिना देखभाल के ये आंकड़ा कम रहता है। इससे फसल की पैदावार 15-20% तक बढ़ सकती है। एक बीघे में धान की पैदावार 20-25 क्विंटल तक हो सकती है, और सब्जियों में भी फर्क दिखता है। लागत बस 50-100 रुपये की है गोबर और गौमूत्र तो घर में ही मिल जाते हैं। ये मिट्टी को भी ताकत देता है, और कीटनाशकों का खर्च बचता है। फसल जल्दी तैयार होती है, और बाजार में अच्छा दाम मिलता है। ये सस्ता उपाय मेहनत का पूरा फल देता है।

खेती को नया रंग दें

हमारे यहाँ प्राकृतिक खेती इसलिए खास है, क्यूँकि ये मिट्टी और सेहत का ख्याल रखती है। बीजामृत से बीज तैयार करें तो फसल शुरू से मजबूत होती है। घर में सब कहते हैं कि इससे सब्जियों का स्वाद बढ़िया लगता है। ये रसायनों से दूर रखता है और जेब भी भरता है। तो किसान भाइयों, बुवाई से पहले बीज को बीजामृत से तैयार करें, खेती को प्राकृतिक बनाएँ और फसल को लहलहाएँ। मेहनत का फल ढेर सारा मिलेगा, और खेत हरा-भरा रहेगा!

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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