किसान भाइयों, हमारे यहाँ मिट्टी की ताकत बढ़ाने में केंचुआ सबसे बड़ा साथी है। ये छोटे जीव मिट्टी को भुरभुरा करते हैं, ह्यूमस बढ़ाते हैं और फसलों को पोषण देते हैं। अगर खेत में केंचुए कम हों, तो फसल की बढ़त धीमी पड़ जाती है। मार्च का महीना चल रहा है, और अब केंचुओं की संख्या बढ़ाने की तैयारी का सही वक्त है। इनके साथ मिट्टी ताकतवर बनती है, और उत्पादन ताबड़तोड़ बढ़ता है। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि केंचुओं की संख्या कैसे बढ़ाएँ और खेती को चमकाएँ।
केंचुआ की खासियत और मिट्टी पर असर
केंचुआ मिट्टी का कुदरती किसान है। ये गोबर, पत्तियाँ और जैविक चीज़ें खाकर ह्यूमस बनाता है, जो मिट्टी को उपजाऊ करता है। अपने इलाके में केंचुए मिट्टी को हवा देते हैं, पानी रोकते हैं और पोषक तत्वों को पौधों तक पहुँचाते हैं। एक बीघे में 50-60 हज़ार केंचुए हों, तो फसल की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। ये रसायनों से दूर रहते हैं और मिट्टी को सालों तक तंदुरुस्त रखते हैं। हमारे यहाँ केंचुओं की संख्या बढ़ाने से खेत की सेहत चमकती है, और मेहनत का फल दोगुना मिलता है।
गोबर और नमी से केंचुओं को बुलाने का तरीका
केंचुओं को बढ़ाने के लिए मिट्टी को नम और जैविक बनाना जरूरी है। खेतों में प्रति बीघा 5-7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। मार्च में इसे बिखेरकर हल्की जुताई करें, ताकि मिट्टी में मिल जाए। गोबर को 2-3 महीने पहले ढेर में रखें और पानी छिड़कें, ये केंचुओं का पसंदीदा खाना बनता है। हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें, क्यूँकि केंचुए नमी में पनपते हैं। अपने आसपास खेत में जलभराव न होने दें, वरना केंचुए ऊपर आ जाते हैं। ये तरीका सस्ता है और केंचुओं को खेत में बुलाता है।
वर्मीकम्पोस्ट और छाया का देसी जुगाड़
वर्मीकम्पोस्ट बनाना केंचुओं की संख्या बढ़ाने का शानदार ढंग है। एक 5×5 फीट का गड्ढा खोदें, उसमें गोबर, पत्तियाँ और थोड़ी मिट्टी डालें। ऊपर से 50-100 केंचुए (Eisenia fetida किस्म) छोड़ दें, ये बाजार में 500-1,000 रुपये किलो मिलते हैं। गड्ढे को जूट की बोरी से ढक दें और हफ्ते में दो बार पानी छिड़कें। 2-3 महीने में केंचुए बढ़कर हज़ारों हो जाएँगे। इस खाद को खेत में डालें। खेतों में पेड़ों की छाया या सूखी घास बिछाएँ, ये केंचुओं को गर्मी से बचाता है। हमारे यहाँ नीम की पत्तियाँ डालने से भी फायदा होता है। ये जुगाड़ मिट्टी को ताकतवर बनाता है।
फसल और फायदे का सीधा हिसाब
केंचुओं से मिट्टी में ह्यूमस बढ़ता है, और फसल की पैदावार 20-30% तक उछाल लेती है। एक बीघे में मक्का या भिंडी से 4-5 क्विंटल ज्यादा निकल सकता है, यानी 8-10 हज़ार रुपये का फायदा। वर्मीकम्पोस्ट का खर्च 2-3 हज़ार रुपये पड़ता है, जो एक बार का निवेश है। केंचुए मिट्टी को ढीला करते हैं, तो पानी और रसायनिक खाद की जरूरत कम होती है। अपने इलाके में ये तरीका सालों तक फायदा देता है। धान, गेहूँ या सब्जियाँ सब लहलहाती हैं। ये मेहनत का ताबड़तोड़ फल है।
केंचुओं से खेत को नई ताकत दें
अपने आसपास केंचुओं को बढ़ाना इसलिए जरूरी है, क्यूँकि ये मिट्टी को जीवंत बनाते हैं। मार्च में शुरू करें, तो मानसून की फसलों को बंपर फायदा मिलेगा। घर में बहनें कहती हैं कि इससे फसल का स्वाद भी बढ़िया होता है। तो भाइयों, गोबर और वर्मीकम्पोस्ट से केंचुओं की संख्या बढ़ाएँ, मिट्टी को ताकतवर बनाएँ और उत्पादन को ताबड़तोड़ करें। खेत चमकेगा, और मेहनत रंग लाएगी!
ये भी पढ़ें- ह्यूमस से मिट्टी को बनायें तंदरुस्त, जाने तरीका फसल की पैदावार हो जाएगी चौगुना