Fodder maize Farming: किसान भाइयों, हमारे यहाँ पशुओं के लिए चारा जुटाना बड़ा काम है, और चारे वाला मक्का इसकी आसान और बढ़िया भरपाई करता है। ये मक्का हरा-भरा, पौष्टिक और तेजी से बढ़ने वाला होता है। मार्च का महीना चल रहा है, और अभी बुआई का सही वक्त है। इसे खेतों में उगाकर पशुओं को ताकतवर बना सकते हैं और दूध की पैदावार बढ़ा सकते हैं। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि चारे वाले मक्का की खेती कैसे करें और इसका फायदा कैसे लें।
चारे वाले मक्का की खासियत
चारा मक्का (Zea mays) खाने वाले मक्का से अलग है, क्यूँकि इसे अनाज के लिए नहीं, बल्कि हरे चारे के लिए उगाया जाता है। अपने इलाके में ये इसलिए खास है, क्यूँकि ये 50-60 दिन में तैयार हो जाता है और पशुओं को प्रोटीन, फाइबर देता है। ये सूखा सहन कर लेता है और कम पानी में भी लहलहाता है। हमारे यहाँ गाय-भैंस के लिए ये हरा सोना है, जो दूध को 20-30% तक बढ़ा सकता है। खेतों में इसे बार-बार बो सकते हैं, जिससे सालभर चारा मिलता है। ये पशुपालन का बढ़िया साथी है।
खेत तैयार करने का देसी ढंग
चारे वाले मक्का के लिए दोमट या बलुई मिट्टी बढ़िया रहती है। खेतों में मार्च में हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा करें। प्रति बीघा 5-7 टन गोबर की सड़ी खाद डालें और अच्छे से मिलाएँ। अपने आसपास 2-3 फीट चौड़ी क्यारियाँ बनाएँ। हर क्यारी में 30-40 सेमी की दूरी पर लाइनें खींचें। मिट्टी में 1-2 किलो वर्मीकम्पोस्ट प्रति बीघा डालें, ये पौधों को ताकत देता है। पानी की निकासी का ध्यान रखें, ताकि जड़ें न सड़ें। हमारे यहाँ ये तैयारी सस्ती पड़ती है और मक्का को तेजी से बढ़ने का रास्ता देती है।
बुआई और देखभाल का आसान तरीका
चारे वाले मक्का के बीज बाजार से लें—किस्में जैसे African Tall या J-1006 बढ़िया हैं, जो 40-60 रुपये किलो मिलते हैं। प्रति बीघा 20-25 किलो बीज काफी है। मार्च में लाइनों में 2-3 सेमी गहरा बो दें। 5-7 दिन में अंकुर निकल आएँगे। अपने इलाके में हर 7-10 दिन में हल्का पानी दें। गर्मी बढ़े, तो सुबह-शाम सिंचाई करें। नीम का पानी हफ्ते में एक बार छिड़कें, ये कीटों से बचाता है। गोबर का घोल (5 किलो 20 लीटर पानी में) 15 दिन बाद डालें। खरपतवार को हाथ से हटाएँ। 50-60 दिन में हरा चारा तैयार हो जाता है। ये देखभाल आसान और फायदेमंद है।
पैदावार और फायदे का सीधा हिसाब
एक बीघे से 80-100 क्विंटल हरा चारा निकलता है। ये 10-15 गायों को 2-3 महीने तक खिला सकता है। अपने आसपास इसे बेचें, तो 2-3 रुपये किलो से 20,000-25,000 रुपये की कमाई होगी। अगर पशु पालते हैं, तो दूध की पैदावार 2-3 लीटर प्रति गाय बढ़ेगी, यानी महीने में 5-7 हज़ार रुपये का फायदा। बीज और खाद का खर्च 2-3 हज़ार रुपये पड़ता है। खेतों में साल में 2-3 बार बो सकते हैं। ये चारा पशुओं को ताकत देता है और जेब को राहत।
चारे वाले मक्का से खेत और पशु चमकाएँ
अपने इलाके में ये खेती इसलिए खास है, क्यूँकि ये कम समय में ढेर सारा चारा देता है। मार्च में बोएँ, तो मई-जून में पशुओं को हरा-भरा खाना मिलेगा। घर में बहनें कहती हैं कि इससे दूध गाढ़ा और स्वादिष्ट होता है। तो भाइयों, चारे वाले मक्का की खेती शुरू करें, खेत और पशुओं को चमकाएँ और फायदे का मज़ा लें। मेहनत का फल हरा सोना बनेगा!
ये भी पढ़ें- गाय-भैंस का दूध हुआ कम? बस 7 दिन में बढ़ाएं 30% तक दूध, आजमाएं यह देसी पाउडर!