Torai aur dhaniya ki kheti : किसान साथियों, अप्रैल का महीना गर्मी की शुरुआत लाता है, और यह तोरई और धनिया की बुआई के लिए बढ़िया वक्त है। दोनों को एक साथ बोने से खेत की जगह का पूरा फायदा होता है। अपने इलाके में तोरई सब्जी के लिए और धनिया मसाले के लिए उगा सकते हैं। यह दोनों 40-60 दिन में तैयार हो जाते हैं और गर्मी में अच्छा मुनाफा देते हैं। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि अप्रैल में तोरई और धनिया को एक साथ कैसे बोएँ और खेती को चमकाएँ।
तोरई-धनिया का कमाल : दो फसलों का जादू
हमारे यहाँ तोरई एक रसीली सब्जी है, जो गर्मी में शरीर को ठंडक देती है और 40-50 दिन में फल देना शुरू करती है। अपने खेतों में यह लता की तरह बढ़ती है और बाजार में 20-30 रुपये किलो बिकती है। दूसरी ओर, धनिया हर रसोई की शान है, जिसकी पत्तियाँ और बीज 30-40 दिन में तैयार हो जाते हैं। यह 50-100 रुपये किलो तक बिकता है। हमारे यहाँ इन्हें एक साथ बोने से खेत में हरा-भरा नज़ारा बनता है और जेब भी भरती है। यह दो फसलों का ऐसा जोड़ा है, जो कम समय में बड़ा फायदा देता है।
खेत को तैयार करें नींव मजबूत, फसल शानदार
अपने खेतों में मार्च के आखिर से तैयारी शुरू करें। दोमट या रेतीली मिट्टी दोनों के लिए उपयुक्त है। मिट्टी को जोतकर ढीला करें और प्रति बीघा 5-7 टन गोबर की खाद डालें। अपने आसपास 3-4 फीट चौड़ी और 6-8 इंच ऊँची क्यारियाँ बनाएँ। तोरई के लिए क्यारी के किनारे 2-3 फीट की दूरी पर गड्ढे खोदें और धनिया के लिए बीच की जगह छोड़ें। हर गड्ढे में 1-2 किलो वर्मीकम्पोस्ट डालें। हमारे यहाँ यह तैयारी 500-700 रुपये में हो जाती है। पानी की निकासी का ध्यान रखें, ताकि जड़ें स्वस्थ रहें।
बीज बोने का हुनर
तोरई और धनिया के बीज नर्सरी या दुकान से लें। तोरई का बीज 100-150 रुपये किलो और धनिया का 50-70 रुपये किलो मिलता है। अप्रैल में बुआई शुरू करें। अपने इलाके में तोरई के 2-3 बीज हर गड्ढे में 2-3 सेमी गहरा बोएँ, 2-3 फीट की दूरी रखें। धनिया के बीज क्यारी के बीच में छिड़कें, 1 सेमी गहरा और 15-20 सेमी की दूरी पर। हल्की मिट्टी से ढकें और पानी का छिड़काव करें। हमारे यहाँ 7-10 दिन में अंकुर निकलते हैं। तोरई को बांस से सहारा दें, ताकि यह ऊपर चढ़े और धनिया नीचे फैले। यह तरीका दोनों को साथ बढ़ने देता है।
देखभाल का राज
बुआई के 5-7 दिन बाद जब पौधे दिखें, हल्की सिंचाई करें। अपने खेतों में तोरई को हर 5-7 दिन में और धनिया को 4-5 दिन में पानी दें। गर्मी बढ़ने पर पानी की मात्रा बढ़ाएँ, लेकिन जमा न हो। नीम का पानी (1 किलो पत्तियाँ 10 लीटर पानी में) हर 10-15 दिन में छिड़कें, यह कीटों से बचाता है। हमारे यहाँ तोरई की लताओं को सहारा दें और धनिया के आसपास खरपतवार हटाएँ। तोरई 40-50 दिन में फल देगी, और धनिया 30-40 दिन में कटाई के लिए तैयार होगा। यह देखभाल दोनों फसलों को लहलहाने में मदद करती है।
फसल से फायदा
एक बीघे में तोरई से 100-150 किलो फल और धनिया से 20-30 किलो पत्तियाँ मिल सकती हैं। अपने आसपास तोरई 20-30 रुपये किलो और धनिया 50-100 रुपये किलो बिकता है। इससे तोरई से 2,000-4,500 रुपये और धनिया से 1,000-3,000 रुपये की कमाई हो सकती है। बीज और खाद का खर्च 1,000-1,500 रुपये पड़ता है। हमारे यहाँ दोनों की माँग गर्मी में बढ़ती है, तो कुल मिलाकर 2,500-6,000 रुपये का मुनाफा मिलता है। फसल को बाजार या घर-घर बेच सकते हैं। यह छोटी मेहनत से बढ़िया कमाई का रास्ता है।
एक खेत, दो फसलें – हरियाली और खुशहाली
अपने इलाके में तोरई और धनिया को एक साथ बोना इसलिए खास है, क्यूँकि यह खेत की हर इंच का इस्तेमाल करता है। अप्रैल में बुआई करें, तो मई-जून में फसल तैयार होगी। गाँव के लोग कहते हैं कि दो फसलें एक साथ उगाना खेत को हरा और जिंदगी को रंगीन बनाता है। तो भाइयों, तोरई और धनिया की बुआई शुरू करें, खेत को हरा-भरा बनाएँ और मेहनत का फल ढेर सारा पाएँ। यह तरीका आपकी खेती को चमका देगा!
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