मौसम पर काबू : टनल फार्मिंग की ताकत
हमारे यहाँ टनल फार्मिंग इसलिए खास है, क्यूँकि यह मौसम की मार से फसलों को बचाती है। अपने खेतों में प्लास्टिक टनल के अंदर तापमान और नमी को नियंत्रित कर सकते हैं। सर्दियों में टमाटर, मिर्च, खीरा या शिमला मिर्च उगाएँ, जो बाहर मुश्किल होते हैं। गर्मी में भी फसलें तेज धूप और सूखे से सुरक्षित रहती हैं। बाजार में बेमौसमी सब्जियाँ 50-100 रुपये किलो तक बिकती हैं। हमारे यहाँ यह तकनीक कीटों और बीमारियों को भी कम करती है, जिससे पैदावार बढ़ती है और नुकसान घटता है।
टनल बनाने का आसान तरीका
अपने खेतों में टनल फार्मिंग के लिए अप्रैल से तैयारी शुरू करें। दोमट मिट्टी चुनें और 500-1000 वर्ग मीटर जगह तैयार करें। अपने आसपास लो-टनल (2-3 फीट ऊँचा) या हाई-टनल (6-8 फीट ऊँचा) बनाएँ। बांस, लोहे के पाइप और यूवी प्लास्टिक शीट से ढाँचा तैयार करें। लो-टनल की लागत 20,000-30,000 रुपये और हाई-टनल की 50,000-70,000 रुपये हो सकती है। मिट्टी में 5-7 टन गोबर की खाद और 2-3 किलो वर्मीकम्पोस्ट प्रति 100 वर्ग मीटर डालें। हमारे यहाँ यह तैयारी छोटे किसानों के लिए भी आसान और किफायती है।
फसल चुनें और बोएँ
टनल फार्मिंग में सब्जियाँ जैसे टमाटर, खीरा, मिर्च या स्ट्रॉबेरी उगाना फायदेमंद है। अप्रैल में बीज या पौधे तैयार करें। अपने इलाके में बीज को ट्रे में बोएँ और 20-25 दिन बाद टनल में रोपें। पौधों के बीच 30-40 सेमी दूरी रखें। ड्रिप सिंचाई लगाएँ, जिससे पानी और खाद सीधे जड़ों तक पहुँचे। हमारे यहाँ टमाटर 60-70 दिन में फल देता है, और खीरा 40-50 दिन में तैयार होता है। बेमौसमी फसलों की माँग बढ़ने से दाम अच्छे मिलते हैं। सही फसल चुनना मुनाफे की नींव रखता है।
देखभाल का मंत्र फसल को लहलहाएँ
टनल में फसलों की देखभाल आसान है। अपने खेतों में हर 5-7 दिन में ड्रिप से पानी दें, गर्मी में नमी बनाए रखें। नीम का घोल (1 किलो पत्तियाँ 10 लीटर पानी में) हर 10-15 दिन में छिड़कें, यह कीटों से बचाता है। हमारे यहाँ टनल के अंदर हवा के लिए छोटे पंखे या छेद रखें। खरपतवार को हाथ से हटाएँ और हर 15 दिन में जैविक खाद डालें। फसल तैयार होने पर सुबह जल्दी काटें, ताकि ताज़गी बनी रहे। यह देखभाल पैदावार को बढ़ाती है और बाजार में अच्छी कीमत दिलाती है।
कमाई का हिसाब मेहनत का फल
एक 500 वर्ग मीटर टनल से टमाटर की 2-3 टन पैदावार हो सकती है। अपने आसपास यह 50-80 रुपये किलो बिकता है, यानी 1-2 लाख रुपये की कमाई। खीरा या मिर्च से भी 1.5-2 टन मिल सकता है, जो 75,000-1,50,000 रुपये देता है। शुरूआती खर्च (टनल, बीज, खाद) 50,000-70,000 रुपये पड़ता है। हमारे यहाँ साल में 2-3 फसलें ले सकते हैं, तो मुनाफा 2-3 लाख रुपये तक हो सकता है। बेमौसमी सब्जियाँ बेचकर बाजार में नाम और दाम दोनों मिलते हैं। यह तकनीक मेहनत को सोने में बदल देती है।
टनल खेती की नई उड़ान
अपने इलाके में टनल फार्मिंग इसलिए खास है, क्यूँकि यह छोटे किसानों को भी बड़ा मौका देती है। अप्रैल से शुरू करें, तो सालभर कमाई का सिलसिला चलता रहेगा। गाँव के लोग कहते हैं कि नई तकनीक खेती को नई पहचान देती है। तो भाइयों, टनल फार्मिंग अपनाएँ, खेतों को हरियाली दें और मेहनत का फल ढेर सारा पाएँ। यह तरीका आपकी खेती को उन्नति की राह पर ले जाएगा!
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