सिंदूर की बागवानी कैसे लगाएं, एक एकड़ में कमाई होगी छप्परफाड़

Sindoor Ki Kheti : गाँव के किसान भाई मेहनत से खेती करते हैं। अगर उस मेहनत में कुछ नया जुड़ जाए तो कमाई के साथ-साथ शौक भी पूरा हो जाता है। ऐसा ही एक नया और फायदेमंद काम है सिंदूर की बागवानी। ये वो पौधा है जिसके बीजों से प्राकृतिक सिंदूर बनता है, जो पूजा-पाठ से लेकर बाज़ार तक में काम आता है। इसे कमीला या कुमकुम ट्री भी कहते हैं। आपके खेत में इसे लगाना आसान है, और अगर सही तरीके से देखभाल करें तो ये अच्छा मुनाफा भी दे सकता है। तो आइए जानते हैं कि सिंदूर का पौधा कैसे उगाएं और इसे अपने खेत की शान कैसे बनाएं।

सिंदूर का पौधा क्या होता है?

सिंदूर का पौधा एक छोटा-मोटा पेड़ है, जो 20-25 फीट तक बढ़ता है, हमें इतना ही समझना है कि इसके फल लाल रंग के होते हैं और बीजों से सिंदूर तैयार होता है। हमारे गाँवों में इसे धार्मिक काम के लिए भी उगाया जाता है, और बाज़ार में इसकी माँग भी बढ़ रही है। ये पौधा गर्म और नम मौसम में अच्छे से बढ़ता है, और इसे लगाने में ज्यादा झंझट नहीं है। अगर आपके खेत में आम या नींबू के पेड़ हैं, तो ये भी वहाँ आराम से उग सकता है।

खेत को तैयार करने का तरीका

सिंदूर की बागवानी शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने खेत में सही जगह चुननी होगी। ऐसी जगह चाहिए जहाँ धूप अच्छी पड़े और पानी जमा न हो। मिट्टी चाहे दोमट हो, रेतीली हो या मटियार, सब चलेगी। बस उसमें थोड़ी गोबर की खाद मिला दें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेत को जोतकर गड्ढे बना लें। हर गड्ढा 1-2 फीट गहरा हो और पौधों के बीच 5-6 फीट की दूरी रखें। ऐसा करने से जड़ों को फैलने की जगह मिलेगी और पौधा हरा-भरा रहेगा। मिट्टी को एक दिन धूप में सूखने दें, तो और अच्छा होगा।

पौधा लगाने का आसान तरीका

अब बात आती है कि पौधा कैसे लगाएं। इसके लिए दो रास्ते हैं। पहला रास्ता है बीज से शुरू करना। नर्सरी से लाल और सूखे बीज ले आएं। इन्हें गड्ढे में 1-2 इंच गहरा दबाकर ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें। फिर थोड़ा पानी छिड़कें। 10-15 दिन में छोटे-छोटे पौधे निकलने लगेंगे। दूसरा रास्ता है कलम से लगाना। अगर आसपास कोई बड़ा सिंदूर का पेड़ हो, तो उसकी टहनी काटकर गड्ढे में डाल दें। जड़ों को मिट्टी से अच्छे से दबाएं और हल्का पानी दें। ये तरीका जल्दी पौधा तैयार करता है। दोनों में से जो आसान लगे, वो चुन लें।

पानी और खाद का हिसाब

पौधा लगाने के बाद देखभाल का काम शुरू होता है। पहले महीने में हफ्ते में दो-तीन बार पानी देना ठीक रहेगा। मगर ध्यान रखें कि मिट्टी ज्यादा गीली न हो, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। बारिश के दिनों में पानी कम करें। खाद की बात करें तो गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें। हर 3-4 महीने में थोड़ी खाद डाल दें, पर ज्यादा न करें। ज्यादा खाद से पत्तियाँ तो बढ़ेंगी, मगर फल कम होंगे। खेत में खरपतवार भी निकालते रहें, ताकि पौधे को पूरा खाना मिले।

फल कब मिलेंगे और सिंदूर कैसे बनाएं?

सिंदूर का पौधा 1-2 साल बाद फल देना शुरू करता है। पहले फल हरे रंग के होते हैं, फिर लाल होकर पक जाते हैं। जब फल सूखने लगें, तो उन्हें तोड़ लें। फल के अंदर छोटे-छोटे लाल बीज होंगे। इन्हें धूप में अच्छे से सुखा लें और पीस दें। बस, आपका प्राकृतिक सिंदूर तैयार है। एक पौधे से 1-1.5 किलो बीज मिल सकते हैं। बाज़ार में इसकी कीमत 400-500 रुपये प्रति किलो तक जाती है, तो सोचिए कितना फायदा हो सकता है।

सिंदूर का पेड़ कैसे और कहाँ मिलेगा?

अब सवाल ये है कि सिंदूर का पौधा या इसके बीज कहाँ से लाएं? गाँव में अगर कोई पहले से इसे उगा रहा हो, तो उससे थोड़े बीज या टहनी मांग सकते हैं। नहीं तो नजदीकी नर्सरी में जाकर पूछें, क्यूंकि कई जगह इसे बेचा जाता है। अगर वहाँ न मिले, तो ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं—कई वेबसाइट्स पर इसके बीज 50-100 रुपये में मिल जाते हैं। सरकारी कृषि केंद्र या बागवानी विभाग से भी संपर्क करें, वहाँ से सस्ते में पौधे या बीज मिलने की उम्मीद रहती है। बस ये ध्यान रखें कि बीज ताजा हों, ताकि जल्दी अंकुरित हों।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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