बंजर जमीन पर करें सहजन की खेती, एक एकड़ से होगी 6 लाख की कमाई

Sahjan ki kheti in hindi : किसान भाइयों, खेती में मेहनत तो सब करते हैं, लेकिन सही फसल चुनिए तो कम मेहनत में लाखों की कमाई हो सकती है। सहजन का पेड़ ऐसा ही है इसे मोरिंगा, सहजना, मुनगा या ड्रमस्टिक कहिए, ये हर नाम से कमाल का है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसकी खासियत ये है कि ये बंजर जमीन पर भी उग जाता है, ज्यादा पानी नहीं माँगता, और इसके फल, पत्तियाँ, फूल, बीज सब कुछ बिकता है। एक एकड़ में सहजन की खेती से आप 6 से 7 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। आज हम आपको सहजन की खेती का आसान तरीका बताएँगे, ताकि आपकी मेहनत और कमाई दोनों बढ़ें।

सहजन का पेड़: छोटा पैकेट, बड़ा धमाका

सहजन का पेड़ 4-6 मीटर तक बढ़ता है, पर 10 मीटर तक भी जा सकता है। लोग इसे 1.5-2 मीटर पर काटते हैं, ताकि फल-पत्तियाँ आसानी से तोड़ सकें। पेड़ लगाने के 90-100 दिन में फूल आते हैं, और 160-170 दिन में फल तैयार। एक पेड़ से साल में 200-400 फलियाँ (40-50 किलो) मिलती हैं। नए शोध से पता चला है कि कुछ किस्में साल में दो बार फल देती हैं फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर। 2025 में डिमांड बढ़ने से ये और फायदेमंद हो रहा है।

सहजन के गुण: सेहत का खजाना

सहजन में 90 मल्टीविटामिन, 45 एंटी-ऑक्सीडेंट, 35 दर्द निवारक गुण और 17 एमिनो एसिड हैं। इसमें कैल्शियम, लोहा, प्रोटीन, पोटैशियम सब कुछ भरा है। आयुर्वेद में इसे 300 बीमारियों का इलाज बताया गया है। आजकल शहरों में लोग इसे “सुपरफूड” कहते हैं। डायबिटीज, बीपी, कुपोषण—हर चीज में ये काम आता है। पशुओं के चारे में भी इसकी पत्तियाँ डालिए तो दूध डेढ़ गुना बढ़ जाता है।

सहजन का इस्तेमाल: हर हिस्सा बिकाऊ

  • फलियाँ: सब्जी के लिए हॉट डिमांड।
  • पत्तियाँ: सब्जी, चाय, पाउडर बनाइए।
  • फूल: मशरूम जैसे स्वाद, पकाइए और खाइए।
  • बीज: तेल निकालिए, दवा और कॉस्मेटिक में बिकता है।
  • छाल-जड़: देसी दवाइयाँ बनती हैं।
  • पानी साफ करने में: बीज का पाउडर यूज़ होता है।
    2025 में पत्तियों का पाउडर और बीज का तेल एक्सपोर्ट के लिए बड़ा ट्रेंड बन रहा है।

बेस्ट किस्में चुनिए- Sahjan ki kheti in hindi

सहजन की सही किस्म चुनना मुनाफे की कुंजी है। कोयम्बटूर 2 बेस्ट है, क्योंकि ये जल्दी फल देता है और पैदावार ज्यादा होती है। रोहित 1 साल में दो बार फल देता है, जो गर्म इलाकों के लिए शानदार है। पी.के.एम 1 और पी.के.एम 2 मोटी फलियाँ देते हैं, जिनकी बाजार में खूब माँग है। ODC-3 भी नई किस्म है, जो 6-7 महीने में फल देती है और बड़े शहरों में पसंद की जाती है। इन किस्मों को गर्म और सूखे इलाकों में आजमाइए, ये कम देखभाल में भी बंपर फसल देती हैं। अपनी जमीन और मौसम के हिसाब से चुनिए, फिर देखिए कमाई का जादू।

जमीन और मौसम

सहजन को बंजर, सूखी या बलुई मिट्टी पसंद है। 6-7.5 pH वाली मिट्टी बेस्ट है। गर्मी में ये खूब फलता है, 25-30 डिग्री तापमान फूलों के लिए ठीक रहता है। सर्दी-पाला इसे नुकसान देता है, इसलिए ठंडे इलाकों में बचिए। बारिश कम हो या ज्यादा, ये बर्दाश्त कर लेता है। ड्रिप सिंचाई से पानी बचाइए और पैदावार बढ़ाइए।

पौधे तैयार करने का आसान तरीका

एक हेक्टेयर के लिए 500-700 ग्राम बीज लीजिए। पॉलीथिन बैग में 2-3 बीज डालिए, 10-12 दिन में अंकुर निकल आएँगे। एक महीने बाद पौधे गड्ढों में लगाइए। जुलाई से अक्टूबर तक रोपाई का सही समय है। पौधे 75 सेंटीमीटर के हो जाएँ तो ऊपर का हिस्सा तोड़ दीजिए, इससे शाखाएँ ज्यादा निकलेंगी।

रोपाई का सही तरीका

खेत को साफ करिए, 2.5 x 2.5 मीटर दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर के गड्ढे बनाइए। हर गड्ढे में 10 किलो सड़ा गोबर डालकर मिट्टी मिलाइए। बीज से रोपाई करिए, साल में दो बार फल के लिए ये बेस्ट है। टहनी से भी उगाया जा सकता है, पर बीज से फायदा ज्यादा।

खाद और पानी का हिसाब

सहजन को ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं, पर सही हिसाब से दीजिए तो पैदावार बढ़ेगी। पौधे लगाने के तीन महीने बाद हर गड्ढे में 100 ग्राम यूरिया, 100 ग्राम सुपर फॉस्फेट और 50 ग्राम पोटाश डालिए। फिर तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया दोबारा डालिए। जैविक तरीके से खेती करनी हो तो 15 किलो सड़ा गोबर और 5 किलो प्रति हेक्टेयर एजोस्पिरिलम व पी.एस.बी. मिलाइए। पानी की बात करें तो हल्की सिंचाई ही काफी है। बीज बोने के बाद अंकुरण तक नमी रखिए। फूल आने पर खेत न बहुत सूखा हो, न बहुत गीला, वरना फूल झड़ जाएँगे। ड्रिप या फव्वारा सिंचाई यूज़ करिए, इससे पानी बचेगा और पौधे को सही नमी मिलेगी।

कीटों से लड़ाई

सहजन की खेती आसान है, पर कीटों से थोड़ी सावधानी रखनी पड़ती है। सबसे बड़ा दुश्मन है भुआ पिल्लू, जो पत्तियाँ चट कर जाता है और आसपास फैलता है। इसके लिए डाइक्लोरोवॉस (नूभान) लीजिए, 0.5 मिलीलीटर को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़क दीजिए। दूसरा कीट है फल मक्खी, जो फल बर्बाद करती है। इसके लिए भी यही दवा काम करेगी। लेकिन अगर जैविक तरीका चाहते हैं, तो नीम का तेल आजमाइए—5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़किए। एक्सपर्ट बताते हैं कि नीम तेल से कीट भागते हैं और फसल भी सुरक्षित रहती है। पौधों की नियमित जाँच करिए, शुरू में ही कीट दिखें तो फौरन कदम उठाइए, वरना नुकसान बढ़ सकता है।

कटाई और पैदावार

160-170 दिन में फल तैयार। फल में रेशा आने से पहले तोड़ लीजिए, बाजार में मांग बनी रहेगी। एक पेड़ से 40-50 किलो फल साल भर में मिलता है। दो बार फल वाली किस्में फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर में तोड़ी जाती हैं। हर साल कटाई के बाद पेड़ को 1 मीटर ऊँचाई पर काटिए। ये 10 साल तक फल देता है।

कमाई का गणित

एक एकड़ में 1200-1500 पौधे लगाइए। लागत 50-60 हज़ार रुपये आएगी। हर पेड़ से 40-50 किलो फल मिले तो 3000-4000 किलो पैदावार होगी। थोक में 25-30 रुपये/किलो और फुटकर में 40-50 रुपये/किलो बिकता है। पत्तियाँ और बीज का तेल अलग से बिकेगा। कुल मिलाकर 7.5-8 लाख का माल बनेगा, खर्च निकालकर 6-7 लाख मुनाफा। 2025 में पाउडर और तेल की डिमांड बढ़ रही है, एक्सपोर्ट का मौका भी है।

बाजार भाव और नए रुझान

सहजन का बाजार भाव सुनकर आपकी आँखें चमक जाएँगी। थोक में ये 25-30 रुपये किलो बिकता है, और फुटकर में 40-50 रुपये तक जाता है। लेकिन 2025 में इसके नए रुझान कमाल कर रहे हैं। सहजन की पत्तियों का पाउडर अब 200-300 रुपये किलो बिक रहा है, क्योंकि शहर वाले इसे इम्यूनिटी बूस्टर मानते हैं। बीजों से निकला तेल 1000-1500 रुपये लीटर तक बिकता है, जो कॉस्मेटिक और दवा कंपनियाँ खरीद रही हैं। अब बड़ी कंपनियाँ सहजन की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवा रही हैं, यानी आप सीधे उन्हें बेच सकते हैं। ऑर्गेनिक सहजन की डिमांड बढ़ रही है, और विदेशों में एक्सपोर्ट का मौका भी बन रहा है। तो भाइयों, सही समय पर सही बाजार चुनिए, मुनाफा दोगुना हो जाएगा।

क्यों है सहजन खास?

इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये बंजर जमीन पर भी उग जाता है, जहाँ दूसरी फसलें मुश्किल से पनपती हैं। ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, फिर भी साल में दो बार फल देता है। इसके फल, पत्तियाँ, फूल, बीज, छाल सब कुछ बिकता है। सेहत के लिए तो ये वरदान है, इसमें 90 से ज्यादा मल्टीविटामिन, 45 एंटी-ऑक्सीडेंट और 300 बीमारियों से लड़ने की ताकत है। पशुओं के चारे में डालिए तो दूध डेढ़ गुना बढ़ जाता है। ऊपर से एक बार लगाइए, तो 10 साल तक कमाई देता है। शहरों में इसे “सुपरफूड” कहते हैं, और गाँव में ये हमारी सेहत और जेब दोनों संभालता है।

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  • Shashikant

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