1 लाख रूपये महीने कमाना चाहते हैं तो जनवरी से मार्च के बीच करें ये 5 बेलों वाली सब्जियों की खेती

खेती-किसानी आज के समय में सही योजना और तकनीक के साथ किसानों के लिए मुनाफे का बेहतर स्रोत बन सकती है। विशेष रूप से बेल वर्गीय फसलों की खेती से किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इस लेख में हम 5 प्रमुख बेल वाली सब्जियों—करेला, गिलकी, तुरई, सेम की फली और लौकी—की खेती के तरीके, उत्पादन और कमाई के बारे में जानेंगे।

बेल वर्गीय फसलों के फायदे

बेल वाली सब्जियां जल्दी तैयार होती हैं और बाजार में इनकी हमेशा मांग बनी रहती है। ये कम लागत में अधिक उत्पादन देती हैं। इनकी खेती के लिए कम जगह की जरूरत होती है और ये जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त हैं।

उपयुक्त सब्जियां और जमीन का उपयोग

इन फसलों की खेती के लिए करेला 1 एकड़ में, गिलकी और तुरई 0.5-0.5 एकड़ में, सेम की फली 0.5 एकड़ में और लौकी खेत के किनारों पर लगाई जा सकती है। इस तरह कुल 2.5 एकड़ जमीन का सही उपयोग कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

सही बीजों का चयन

मंडी की मांग के अनुसार बीज चुनना जरूरी है। करेला के लिए VNR आकाश और Syngenta BGH 106, गिलकी के लिए NSGH 341, तुरई के लिए NSGH 22 रजनी, सेम की फली के लिए Sarpan SFB 42 वाइन, और लौकी के लिए VNR सरिता जैसी वैरायटी उपयुक्त हैं।

बुवाई और खेती की विधि

खेत की अच्छी तरह तैयारी करें। बेड की ऊंचाई 14 इंच और चौड़ाई 2 फीट रखें। दो बेड के बीच 4-5 फीट की दूरी होनी चाहिए। बीज बोने के लिए 1-1.5 फीट की दूरी पर छेद बनाकर उनमें 2-3 बीज डालें। बेल वाली सब्जियों में मंडप प्रणाली अपनाने से उत्पादन बेहतर होता है।

उत्पादन और मुनाफा

करेला की खेती से 1 एकड़ में 100 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है, जिससे ₹1,50,000 तक की कमाई हो सकती है। गिलकी और तुरई की 0.5-0.5 एकड़ खेती से कुल ₹1,00,000 का मुनाफा हो सकता है। सेम की फली से 0.5 एकड़ में 20 क्विंटल उत्पादन के जरिए ₹80,000 की कमाई हो सकती है। खेत के किनारों पर की गई लौकी की खेती से ₹15,000-18,000 तक का लाभ हो सकता है।

कुल कमाई और बाजार की डिमांड

इन फसलों की खेती से 2.5 एकड़ भूमि से ₹3,50,000 तक की कमाई हो सकती है, जो हर महीने ₹1,00,000 के बराबर होगी। इन सब्जियों की बाजार में हमेशा मांग रहती है, खासकर ताजी और उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की।

जैविक खेती से बढ़ेगा लाभ

अगर आप रासायनिक खादों के बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करें, तो न केवल उत्पादन बेहतर होगा बल्कि सब्जियों की गुणवत्ता भी उच्च होगी। जैविक उत्पादों की कीमत बाजार में अधिक मिलती है।

जनवरी से मार्च के बीच बेल वर्गीय फसलों की खेती किसानों के लिए एक मुनाफे का साधन है। करेला, गिलकी, तुरई, सेम की फली और लौकी जैसी सब्जियां कम समय में अधिक उत्पादन और मुनाफा देती हैं। सही योजना, बीज का चयन और आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान हर महीने ₹1,00,000 या उससे अधिक की कमाई कर सकते हैं।

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  • Shashikant

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