असील मुर्गी पालन: कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने वाला देसी व्यवसाय

किसान भाइयों, भारत के गाँवों में आज भी देसी नस्लों की मुर्गियों का पालन एक परंपरागत तरीका है आय का। लेकिन अब समय बदल रहा है और लोग देसी स्वाद व सेहत को ज़्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं। इसी कड़ी में असील प्रजाति की मुर्गी पालन एक ऐसा विकल्प बन चुका है जो कम लागत में शुरू होकर नियमित और अच्छी कमाई देने वाला व्यवसाय है। असील मुर्गियाँ सिर्फ दिखने में हट्टी-कट्टी नहीं होतीं, बल्कि उनका मीट और अंडे भी स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फ़ायदेमंद होते हैं। यही वजह है कि इनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

असील मुर्गी की पहचान और खासियत

असील मुर्गी भारत की एक पुरानी और खास देसी नस्ल है जो अपने दमदार शरीर और ताकतवर चाल के लिए जानी जाती है। इस नस्ल के मुर्गे देखने में बेहद आकर्षक होते हैं जिनका शरीर चौड़ा और गर्दन लंबी होती है। इनका वजन 4 से 5 किलो तक पहुंच जाता है, जबकि मादा मुर्गी भी आसानी से 2.5 से 3 किलो की हो जाती है। इनका स्वभाव थोड़ा लड़ाकू होता है लेकिन अगर इन्हें सही माहौल मिले तो ये शांत भी रहती हैं। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनका शरीर बीमारियों से खुद लड़ने की ताकत रखता है, जिससे इनके पालन में दवाइयों पर खर्च भी कम आता है।

पालन की शुरुआत: तैयारी और व्यवस्था

अगर आपके पास थोड़ी सी भी खाली जगह है तो आप इस व्यवसाय को छोटे स्तर से शुरू कर सकते हैं। शुरुआत में 10 या 20 चूजों से किया जा सकता है। इनके लिए एक साधारण शेड बना लें जहाँ धूप और ताज़ी हवा का आवागमन हो। ठंडी में चूजों को गर्म रखने के लिए बल्ब या देशी तरीका अपनाना पड़ता है। जैसे-जैसे चूजे बढ़ते हैं, उन्हें खुला वातावरण दें ताकि उनकी सेहत अच्छी बनी रहे। असील मुर्गियों को दौड़-भाग की आदत होती है, इसलिए उन्हें बंधे नहीं रखें। दिनभर खुले में घूमने देने से उनका शरीर और मीट दोनों मजबूत बनते हैं।

चारा, देखभाल और लागत

इन मुर्गियों को खिलाने के लिए महंगे पैकेज्ड फीड की जरूरत नहीं होती। आप चाहें तो घर का बचा हुआ खाना, मक्का, गेहूं, चोकर, मूंगफली की खली, हरी पत्तियाँ और दालों का चूड़ा भी दे सकते हैं। अगर आप खुद देसी फीड तैयार करते हैं तो खर्च काफी कम हो जाता है। एक मुर्गी पर महीने का औसत खर्च ₹100 से ₹120 आता है। सही पोषण देने पर 5 से 6 महीने में मुर्गा 4 किलो से ऊपर और मुर्गी 2.5 किलो तक तैयार हो जाती है, जो ₹700 से ₹1500 तक में आसानी से बिक जाती है।

बिक्री के रास्ते और मुनाफे की गणना

जब मुर्गियाँ तैयार हो जाएं तो उन्हें बेचने के लिए आसपास की मंडी, पोल्ट्री दुकानदार, होटल या सीधे ग्राहक से संपर्क करें। आजकल व्हाट्सएप और सोशल मीडिया से भी बिक्री होने लगी है। यदि आपके पास 50 मुर्गियाँ हैं और हर एक ₹1000 की औसत से बिकती है, तो आप एक खेप में ₹50,000 तक की कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा इनके अंडे भी ₹15 से ₹20 में बिकते हैं, जिससे महीने भर में ₹3000 से ₹5000 की अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। ये आय लगातार चलने वाली होती है, जिससे गांव के किसान भाई आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

सरकार की मदद और आगे का विस्तार

अगर आप इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो पशुपालन विभाग से संपर्क करें। कई योजनाएं चल रही हैं जिनके तहत शेड निर्माण, चूजे खरीदने और फीड पर सब्सिडी मिलती है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन और AIF स्कीम के तहत बैंक से सस्ते ब्याज पर लोन भी मिल सकता है। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र में पोल्ट्री पालन की ट्रेनिंग दी जाती है, जहाँ आप इस काम को वैज्ञानिक ढंग से करना सीख सकते हैं। एक बार अनुभव हो जाने के बाद आप खुद चूजे तैयार कर बेच सकते हैं, जिससे और ज्यादा मुनाफा मिलेगा। आप चाहें तो इनक्यूबेटर मशीन लगाकर अंडों से चूजे निकालने का व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें – सिर्फ ₹90 में शुरू करें देसी मुर्गी पालन का बिजनेस और करें लाखों की कमाई, जानें कैसे?

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment