CG 1029 गेहूं की किस्म से करें खेती, प्रति हेक्टेयर मिलेगी रिकॉर्ड तोड़ उपज!

Kanishka CG 1029 Wheat Variety: किसान भाइयों, छत्तीसगढ़ की धरती, जिसे धान का कटोरा कहते हैं, अब गेहूं की खेती में भी नया नाम कमा रही है। छत्तीसगढ़ कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र ने गेहूं की उन्नत किस्म कनिष्का (सीजी 1029) को बढ़ावा देना शुरू किया है। ये किस्म अपनी बंपर उपज और रोगों से लड़ने की ताकत के लिए मशहूर है, जो आपकी मेहनत को दोगुना फायदा दे सकती है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के विशेषज्ञों ने इसकी बुआई और देख-रेख की वैज्ञानिक विधि बताई है। चलिए, गाँव की चौपाल की तरह इस किस्म की खेती का आसान तरीका समझते हैं।

कनिष्का (सीजी 1029): क्यों है खास

कनिष्का (सीजी 1029) गेहूं की ऐसी किस्म है, जो कम समय में ज्यादा पैदावार देती है और रोगों से कम प्रभावित होती है। ये छत्तीसगढ़ के मौसम और मिट्टी के लिए बिल्कुल मुफीद है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर ये पारंपरिक किस्मों से कहीं ज्यादा उपज देती है, जिससे आपकी कमाई बढ़ सकती है। चाहे छोटा खेत हो या बड़ा, इस किस्म से हर किसान फायदा उठा सकता है।

बुआई की तैयारी और बीज की मात्रा

कनिष्का की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लीजिए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रति हेक्टेयर 100 से 120 किलोग्राम बीज काफी है। खेत में बीज बोने से पहले बीज उपचार जरूर करिए। इसके लिए कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) और जैविक तत्व जैसे पीएसबी, एजेटोबैक्टर, जेएसबी, और केएसबी (5 से 15 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज) का इस्तेमाल करिए। ये उपचार बीज को रोगों से बचाता है और अंकुरण को बेहतर बनाता है।

खेत की तैयारी और खाद का प्रबंधन

खेत को जोतकर समतल कर लीजिए और 5 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद (F.Y.M.) डालिए। इसके साथ ही नत्रजन (120 किग्रा), स्फूर (60 किग्रा), और पोटाश (40 किग्रा) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खाद डालिए। नत्रजन की आधी मात्रा बुआई के समय और बाकी आधी पहली और दूसरी सिंचाई के समय टॉप ड्रेसिंग के रूप में दीजिए। गोबर खाद और सही उर्वरक प्रबंधन से मिट्टी की ताकत बढ़ती है और फसल लहलहाती है।

बुआई का सही तरीका

कनिष्का की बुआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर रखिए। इससे पौधों को सूरज की रोशनी और पोषण अच्छे से मिलता है। सीड ड्रिल मशीन से बुआई करना सबसे अच्छा है, क्योंकि इससे बीज एक समान गहराई और दूरी पर बोया जाता है। अगर मशीन नहीं है, तो देशी हल से कूड़ बनाकर भी बुआई कर सकते हैं। पंक्ति बुआई से खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई, और फसल की निगरानी में भी आसानी होती है।

सिंचाई का सही समय

कनिष्का की फसल को कुल 5 सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करिए। इसके बाद, जब पौधे कल्ले निकालें, बालियाँ निकलने से पहले, दाने बनने के समय, और दाने भरने के दौरान सिंचाई जरूर करिए। सही समय पर पानी देने से फसल की पैदावार बढ़ती है। ध्यान रखिए, खेत में पानी जमा न होने पाए, वरना जड़ें खराब हो सकती हैं।

खरपतवार और कीट नियंत्रण

खरपतवार फसल की ताकत चूस लेते हैं, इसलिए इन्हें समय पर हटाना जरूरी है। खरपतवार नियंत्रण के लिए मेटसलफ्यूरॉन मिथाइल 20% डब्ल्यूपी का छिड़काव करिए। कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 18.5% + हेक्साकोनाजोल 1.5% एफएस या थायोमीथोक्सम 25% डब्ल्यूजी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये दवाएँ फसल को कीटों और रोगों से बचाती हैं। दवा छिड़कते समय विशेषज्ञ की सलाह ले लीजिए, ताकि सही मात्रा का पता चले।

फसल की देख-रेख और वैज्ञानिक तरीके

कनिष्का (सीजी 1029) की खेती में वैज्ञानिक तरीके अपनाने से उपज दोगुनी हो सकती है। जैविक बीज उपचार, सही समय पर खाद और पानी, और कीट-खरपतवार नियंत्रण से ये किस्म पारंपरिक गेहूं से कहीं ज्यादा पैदावार देती है। फसल की नियमित निगरानी करिए और किसी भी रोग या कीट के लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करिए।

जरूरी बातें ध्यान में रखिए

किसान भाइयों, कनिष्का की खेती में कुछ छोटी-छोटी बातें बड़ा फर्क डालती हैं। बीज उपचार के लिए सही मात्रा में दवाएँ और जैविक तत्व इस्तेमाल करिए। खाद और पानी का समय सख्ती से पालन करिए। खरपतवार और कीटों पर नजर रखिए, ताकि फसल को नुकसान न हो। अगर खेत में नमी ज्यादा है, तो बुआई से पहले मिट्टी की जाँच कर लीजिए। अपने गाँव के कृषि विज्ञान केंद्र से समय-समय पर सलाह लेते रहिए। और हाँ, अगर कोई बिचौलिया बीज या दवाएँ बेचने के नाम पर ठगने की कोशिश करे, तो तुरंत शिकायत करिए।

किसानों के लिए बात

किसान भाइयों, कनिष्का (सीजी 1029) छत्तीसगढ़ के खेतों के लिए एक सुनहरा मौका है। इसकी बंपर उपज और रोग प्रतिरोधक ताकत आपकी मेहनत को दोगुना फायदा देगी। सही बुआई, खाद, पानी, और कीट नियंत्रण के साथ आप इस रबी सीजन में अपने खेतों को लहलहा सकते हैं। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करिए और इस किस्म के बीज और तकनीक की पूरी जानकारी लीजिए। खेतों में मेहनत करिए, और कनिष्का की बंपर फसल के साथ अपनी कमाई बढ़ाइए।

कनिष्का (सीजी 1029) गेहूं की उन्नत किस्म छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। वैज्ञानिक तरीकों से इसकी खेती करके आप कम लागत में ज्यादा पैदावार ले सकते हैं। बुआई के लिए 100-120 किग्रा बीज, सही बीज उपचार, 5 टन गोबर खाद, और समय पर 5 सिंचाई के साथ खरपतवार-कीट नियंत्रण को अपनाइए। आज ही अपने गाँव के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करिए, कनिष्का के बीज लीजिए, और इस रबी सीजन में अपने खेतों को सुनहरा बनाइए। खेत लहलहाएँ, आपकी मेहनत रंग लाए, यही इस किस्म का वादा है।

ये भी पढ़ें- गर्मी में मटर की खेती कैसे करें? जानिए मुनाफा देने वाली उन्नत किस्में, पूरी जानकारी

Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

    View all posts

Leave a Comment