Rice CO 59: 5867 किलो/हेक्टेयर उपज देने वाली किस्म, जानिए इसकी खासियतें

Rice CO 59 Variety: धान की खेती भारत के किसानों के लिए रीढ़ की हड्डी है, खासकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में, जहाँ ये मुख्य फसल है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) ने धान की एक नई और बेहतरीन किस्म राइस सीओ 59 विकसित की है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। ये किस्म इम्प्रूव्ड व्हाइट पोन्नी और आपो के संकर से बनी है। इसकी खासियतें, जैसे सूखा सहन करने की क्षमता, ज्यादा चावल निकलना और अच्छी खाना पकाने की गुणवत्ता, इसे किसानों के लिए खास बनाती हैं। आइए, राइस सीओ 59 की पूरी जानकारी, खेती का तरीका, लागत, मुनाफा और बीज की उपलब्धता के बारे में जानते हैं।

Rice CO 59 की खासियतें

राइस सीओ 59 एक मध्यम अवधि की किस्म है, जो 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ये सांबा, लेट सांबा और थालाडी मौसम में बोने के लिए सबसे अच्छी है। इसका पौधा सेमी-ड्वार्फ यानी मध्यम ऊंचाई का होता है, जिससे ये गिरता नहीं और कटाई आसान रहती है। इसकी औसत पैदावार 5867 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो पुरानी किस्म बीपीटी 5204 से 15% ज्यादा है। इसके दाने का वजन (1000 दानों का) 14.0 ग्राम है, जबकि बीपीटी 5204 का 16.0 ग्राम होता है। इसका मतलब है कि दाने हल्के लेकिन संख्या में ज्यादा होते हैं।

चावल की निकासी 65-70% और हेड राइस रिकवरी 60-65% है, जो इसे बाजार में मूल्यवान बनाता है। खाना पकाने की गुणवत्ता अच्छी है, क्योंकि इसमें मध्यम एमाइलोज होता है, जो चावल को नरम और स्वादिष्ट बनाता है। ये किस्म सूखा सहन करने में माहिर है, यानी कम बारिश या पानी की कमी में भी अच्छा उत्पादन देती है। साथ ही, ये सफेद पीठ वाला पौधा कीट, पत्ती मोड़क और ब्लास्ट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

खेती के लिए सही मौसम और क्षेत्र

Rice CO 59 को तमिलनाडु के सांबा (अगस्त-सितंबर), लेट सांबा (सितंबर-अक्टूबर) और थालाडी (अक्टूबर-नवंबर) मौसम में बोना चाहिए। ये तंजावुर, तिरुवारुर, नागपट्टिनम, कुड्डालोर, पुदुक्कोट्टई, त्रिची, करूर, अरियालुर और पेरंबलुर जैसे जिलों के लिए खास तौर पर उपयुक्त है। ये किस्म पूरे तमिलनाडु में रोपाई वाली खेती के लिए अच्छी है, सिवाय विरुधुनगर, रामनाथपुरम और शिवगंगई जैसे कुछ इलाकों के। दोमट या मटमैली मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, इसके लिए सबसे अच्छी है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 होना चाहिए। कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में ये किस्म खास तौर पर फायदेमंद है, क्योंकि ये सूखा सहन कर सकती है।

खेती का तरीका

Rice CO 59 की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। खेत को 3-4 बार जुताई करके भुरभुरा बनाएं। 5-6 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालें, ताकि मिट्टी की ताकत बढ़े। रोपाई के लिए 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रमाणित बीज चाहिए। नर्सरी में 25-30 दिन पुरानी पौध तैयार करें और फिर खेत में 20×15 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें। बुवाई का सही समय अगस्त से अक्टूबर है, ताकि सांबा या थालाडी मौसम का फायदा मिले। खेत में पानी का स्तर 5-7 सेंटीमीटर रखें, लेकिन ज्यादा पानी से बचें।

नाइट्रोजन (150 किलोग्राम), फास्फोरस (50 किलोग्राम) और पोटाश (50 किलोग्राम) प्रति हेक्टेयर डालें। खरपतवार रोकने के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। अगर जरूरत हो, तो प्री-इमर्जेंस हर्बिसाइड जैसे ब्यूटाक्लोर का छिड़काव करें।

कीट और रोग प्रबंधन

Rice CO 59 सफेद पीठ वाले पौधा कीट, पत्ती मोड़क और ब्लास्ट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। फिर भी, कुछ सावधानियां जरूरी हैं। बुवाई से पहले बीज को थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें। ब्लास्ट रोग के लिए ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव करें, खासकर अगर खेत में नमी ज्यादा हो। सफेद पीठ वाले कीट और पत्ती मोड़क के लिए क्लोरपायरीफॉस या मोनोक्रोटोफॉस का इस्तेमाल करें। नियमित खेत की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सलाह लें। सांबा मौसम में फॉल्स स्मट रोग का खतरा रहता है, इसलिए निवारक छिड़काव जरूरी है।

लागत और मुनाफा

Rice CO 59 की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 25,000-30,000 रुपये आती है। इसमें बीज, खाद, उर्वरक, जुताई, रोपाई, सिंचाई और मजदूरी का खर्च शामिल है। एक एकड़ से औसतन 23-25 क्विंटल धान मिलता है। अगर बाजार में धान का भाव 2,000-2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो, तो प्रति एकड़ 46,000-62,500 रुपये की कमाई हो सकती है। लागत निकालने के बाद 20,000-35,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है। इसकी उच्च चावल निकासी और अच्छी खाना पकाने की गुणवत्ता की वजह से बाजार में अच्छा दाम मिलता है। अगर जैविक खेती करें और प्रमाणपत्र लें, तो मुनाफा और बढ़ सकता है।

बीज की उपलब्धता और खरीद

Rice CO 59 के प्रमाणित बीज तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU), कोयंबटूर और इसके क्षेत्रीय केंद्रों से मिलते हैं। राइस रिसर्च स्टेशन, तिरूर और अन्य सरकारी बीज केंद्र भी इसे उपलब्ध कराते हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और निजी बीज कंपनियां जैसे बायर या सिनजेंटा भी इस किस्म के बीज बेच सकती हैं। बीज की कीमत 80-120 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है। हमेशा प्रमाणित बीज खरीदें और खरीदने से पहले पैकेट पर TNAU का लोगो चेक करें। नजदीकी KVK या TNAU के राइस रिसर्च स्टेशन से संपर्क करें, जहाँ बीज के साथ तकनीकी सलाह भी मिलेगी।

खेती के लिए आसान नुस्खे

Rice CO 59 की खेती को कामयाब बनाने के लिए कुछ आसान नुस्खे अपनाएं। हमेशा प्रमाणित बीज इस्तेमाल करें। बुवाई का सही समय अगस्त से अक्टूबर चुनें। खेत में जल निकासी का अच्छा इंतजाम रखें, ताकि ज्यादा पानी न रुके। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट डालें। कीट और रोगों की नियमित निगरानी करें। अगर जैविक खेती करना चाहते हैं, तो NPOP या PGS-India प्रमाणन लें। TNAU या KVK से नई तकनीकों की जानकारी लेते रहें। सरकारी योजनाओं, जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, का फायदा उठाएं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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