कैसे करें ब्रेडफ्रूट की खेती: आसान तरीके से कम लागत में बम्पर मुनाफा कमाएं

Bread Fruit Farming: ब्रेडफ्रूट एक अनोखा उष्णकटिबंधीय फल है, जो भारत के दक्षिणी राज्यों, जैसे केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, और कोंकण तट पर खूब उगाया जाता है। इसे बकरी-चज्जर, निर्फनास, या कदपिला जैसे स्थानीय नामों से जाना जाता है। ये फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। चाहे आप इसे सब्जी की तरह पकाएं, चिप्स बनाएं, या पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल करें, ब्रेडफ्रूट की खेती गाँव के किसानों के लिए फायदेमंद है। इस लेख में हम ब्रेडफ्रूट की खेती के हर पहलू को सरल तरीके से समझाएंगे, ताकि आप इसे अपने खेत में आसानी से शुरू कर सकें।

खेत और मिट्टी की सही तैयारी

ब्रेडफ्रूट की खेती के लिए मिट्टी का सही चुनाव जरूरी है। ये फल रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है, जहां जल निकासी अच्छी हो। मिट्टी का पीएच 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर आपके खेत में मिट्टी भारी है, तो गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालकर उसे हल्का करें। बुआई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और 2-3 बार हैरो से मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। मिट्टी की जाँच अपने नजदीकी कृषि केंद्र पर करवाएं, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता चल सके। अगर मिट्टी में नाइट्रोजन या पोटाश कम है, तो जैविक खाद डालकर इसे ठीक करें। अच्छी मिट्टी फसल की पैदावार को दोगुना कर सकती है।

ब्रेडफ्रूट का पेड़ कैसे प्राप्त करें

ब्रेडफ्रूट के पौधे प्राप्त करना खेती की शुरुआत का सबसे महत्वपूर्ण कदम है। भारत में ब्रेडफ्रूट के पौधे ज्यादातर जड़ कटिंग या रूट शूट से तैयार किए जाते हैं, क्योंकि इसके फल में बीज नहीं होते। आप अपने नजदीकी कृषि नर्सरी से पौधे खरीद सकते हैं। केरल, तमिलनाडु, और कर्नाटक में कई नर्सरी, जैसे कोयंबटूर की तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय नर्सरी या कोझिकोड की नर्सरी, ब्रेडफ्रूट के पौधे उपलब्ध कराती हैं। अगर नर्सरी दूर है, तो स्थानीय किसानों से संपर्क करें, जो पहले से ब्रेडफ्रूट उगा रहे हैं। वे आपको जड़ कटिंग दे सकते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, जैसे IndiaMART या AgriBegri, पर भी ब्रेडफ्रूट के पौधे मिलते हैं।

सही समय और रोपण का तरीका

भारत में ब्रेडफ्रूट की खेती के लिए मॉनसून का मौसम, यानी जून से दिसंबर, सबसे अच्छा है। इस समय बारिश पौधों को प्राकृतिक पानी देती है। रोपण के लिए 60x60x60 सेंटीमीटर का गड्ढा खोदें और उसमें गोबर की खाद, कम्पोस्ट, और ढीली मिट्टी बराबर मात्रा में डालें। जड़ कटिंग 2.5 सेंटीमीटर मोटी और 20 सेंटीमीटर लंबी होनी चाहिए। गड्ढों के बीच 10-12 मीटर की दूरी रखें, ताकि पेड़ फैल सकें। रोपण के बाद पौधे को अच्छे से पानी दें और मल्चिंग करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। शुरूआती 1-2 महीनों में पौधों को छाया दें, ताकि वे तेज धूप से बचे रहें।

पानी और उर्वरक का प्रबंधन

ब्रेडफ्रूट के पेड़ को शुरूआती 1-3 महीनों में नियमित पानी चाहिए। मॉनसून में बारिश काफी होती है, लेकिन अगर बारिश कम हो, तो सप्ताह में एक बार पानी दें। गर्मी में पानी की मात्रा बढ़ाएं, लेकिन मिट्टी में पानी जमा न होने दें। ज्यादा पानी जड़ों को सड़ा सकता है। उर्वरक के लिए प्रति पेड़ 25 किलो गोबर की खाद या कम्पोस्ट हर साल डालें। अगर मिट्टी कमजोर है, तो NPK (7:10:5) उर्वरक 1-2 किलो प्रति पेड़ डालें। जैविक खेती के लिए नीम की खली या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करें। उर्वरक फलने से पहले और कटाई के बाद डालना सबसे अच्छा है।

कीट और रोगों से सुरक्षा

ब्रेडफ्रूट के पेड़ कम कीटों से प्रभावित होते हैं, लेकिन फल सड़न और व्हाइट फ्लाई परेशानी खड़ी कर सकते हैं। फल सड़न से बचने के लिए पके फलों को पेड़ पर ज्यादा देर न छोड़ें और खराब फलों को हटा दें। नीम का तेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। अगर फल सड़न ज्यादा हो, तो 1% बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें। पेड़ के आसपास सूखे पत्तों को हटाएं, ताकि रोगों का खतरा कम हो। अपने गाँव के कृषि सलाहकार से समय-समय पर सलाह लें। अगर पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखें, तो तुरंत नीम तेल या जैविक फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें।

कटाई और भंडारण की तकनीक

ब्रेडफ्रूट के पेड़ रोपण के 3-6 साल बाद फल देना शुरू करते हैं। फल हरे और सख्त होने पर कटाई के लिए तैयार होते हैं। कटाई के लिए जाल वाली छड़ी का इस्तेमाल करें, ताकि फल गिरकर खराब न हों। कटे फलों को ठंडे पानी में 15 मिनट डुबोएं, इससे उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ती है। फलों को धोकर और सुखाकर पैक करें। कोल्ड स्टोरेज में 12-14 डिग्री सेल्सियस पर फल 20 दिन तक ताजा रह सकते हैं। एक परिपक्व पेड़ 600-2000 फल दे सकता है, जिनका वजन 1-5 किलो होता है।

ब्रेडफ्रूट की बिक्री और मार्केटिंग

ब्रेडफ्रूट की बिक्री के लिए स्थानीय बाजारों में ताजा रेट चेक करें। केरल और तमिलनाडु में लोग इसे सब्जी, चिप्स, या आटे के रूप में खरीदते हैं। जैविक ब्रेडफ्रूट की मांग ज्यादा है, इसलिए जैविक खेती करें और इसे प्रीमियम दाम पर बेचें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स या कोऑपरेटिव सोसाइटी के जरिए बिक्री करें। अपने ब्लॉग krishitak.com पर ब्रेडफ्रूट के स्वास्थ्य लाभ (जैसे पोटैशियम, फाइबर) शेयर करें। गाँव के किसानों के साथ मिलकर थोक में बिक्री करें, इससे बेहतर दाम मिलेगा।

ब्रेडफ्रूट की खेती को सफल बनाने के लिए अनुभवी किसानों से सलाह लें। कृषि केंद्रों से नई तकनीकों की जानकारी लेते रहें। पेड़ों की छंटाई करें, ताकि उनकी ऊंचाई 4.5-5.5 मीटर रहे। ब्रेडफ्रूट के पत्तों को पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल करें। अपने ब्लॉग पर खेती की फोटो और अनुभव शेयर करें। ब्रेडफ्रूट की खेती आपके खेत को हरा-भरा और जेब को भरा रखेगी। इस मॉनसून, इसे शुरू करें और मुनाफा कमाएं!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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