Okra Farming Tips: हमारे किसान भाई मेहनत से खेतों में भिंडी की फसल उगाते हैं ताकि बाजार में अच्छा दाम मिले और घर-परिवार का खर्च चल सके। लेकिन इन दिनों भिंडी की फसल में सुंडी की समस्या ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। ये सुंडी फल को खराब कर देती है, जिससे फसल का नुकसान होता है और कमाई पर भी असर पड़ता है। आज हम आपके लिए कुछ ऐसे देसी और सुरक्षित उपाय लाए हैं, जिनसे आप अपनी भिंडी की फसल को सुंडी से बचा सकते हैं। ये तरीके न सिर्फ आसान हैं, बल्कि फसल और सेहत दोनों के लिए सुरक्षित भी हैं।
सुंडी की समस्या
भिंडी की फसल में सुंडी, जिसे फली भेदक कीट भी कहते हैं, बहुत तेजी से फैलती है। ये कीट भिंडी के फल में घुसकर उसे खराब कर देता है, जिससे फल काना हो जाता है और बाजार में बिकने लायक नहीं रहता। कई किसान इस समस्या से निपटने के लिए रासायनिक दवाओं का छिड़काव करते हैं।
लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. आई.के. कुशवाहा बताते हैं कि रासायनिक दवाएँ फल पर कई दिनों तक रहती हैं। चूंकि भिंडी की तुड़ाई हर दो-तीन दिन में होती है, ऐसे में दवाओं के कण फल में रह जाते हैं। जब ये भिंडी खाने वाले के शरीर में जाते हैं, तो सेहत को नुकसान हो सकता है। इसलिए रासायनिक दवाओं की जगह प्राकृतिक और सुरक्षित तरीकों को अपनाना ज्यादा समझदारी है।
फेरोमेन ट्रैप: कीटों को फँसाने का देसी जाल
सुंडी की समस्या से बचने का एक आसान और कारगर तरीका है फेरोमेन ट्रैप। ये एक ऐसा जाल है, जो मादा कीट की गंध का इस्तेमाल करके नर कीट को अपनी ओर खींचता है और उसे फँसा लेता है। डॉ. कुशवाहा बताते हैं कि किसान अपने खेत में बुवाई के समय ही फेरोमेन ट्रैप लगा सकते हैं। एक बीघे खेत में एक ट्रैप काफी होता है।
इस ट्रैप में एक खास तरह का ल्यूर (गंध वाला पदार्थ) होता है, जो नर कीट को आकर्षित करता है। जैसे-जैसे नर कीट इसमें फँसते जाते हैं, उनकी संख्या कम होती जाती है। जब नर कीट मादा तक नहीं पहुँच पाते, तो मादा अंडे नहीं दे पाती और सुंडी बनने की प्रक्रिया रुक जाती है। ये तरीका बिना किसी दवा के कीटों को काबू में करता है और फसल को पूरी तरह सुरक्षित रखता है।
ट्राइकोडर्मा कार्ड
फेरोमेन ट्रैप के साथ-साथ ट्राइकोडर्मा कार्ड भी सुंडी की समस्या को जड़ से खत्म करने में बहुत मदद करता है। ये कार्ड खेत में लगाए जाते हैं, जिनसे मित्र कीट निकलते हैं। ये मित्र कीट सुंडी के अंडों को खा जाते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं, जिससे सुंडी का जीवन चक्र टूट जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब भिंडी का पौधा एक से दो फीट का हो जाए, तब प्रति एकड़ दो ट्राइकोडर्मा कार्ड लगाने चाहिए। ये कार्ड आसानी से कृषि विज्ञान केंद्रों या स्थानीय कृषि दुकानों पर मिल जाते हैं। इस तरीके की खास बात ये है कि इसमें किसी जहरीली दवा की जरूरत नहीं पड़ती, और फसल भी पूरी तरह प्राकृतिक रहती है।
अगर दवा छिड़कनी ही हो, तो क्या करें?
अगर फिर भी आपको लगता है कि रासायनिक दवा का इस्तेमाल करना जरूरी है, तो डॉ. कुशवाहा सलाह देते हैं कि इमामेक्टिन जैसी हल्की दवा का इस्तेमाल करें। लेकिन इसे बहुत सोच-समझकर और कम मात्रा में छिड़कें। साथ ही, दवा छिड़कने के बाद कम से कम सात दिन तक भिंडी की तुड़ाई न करें, ताकि दवा का असर कम हो जाए। लेकिन बेहतर यही है कि फेरोमेन ट्रैप और ट्राइकोडर्मा कार्ड जैसे प्राकृतिक तरीकों को प्राथमिकता दें। इससे न सिर्फ आपकी फसल सुरक्षित रहेगी, बल्कि ग्राहकों को भी स्वच्छ और सेहतमंद भिंडी मिलेगी।
किसानों के लिए सलाह
भिंडी की फसल को सुंडी से बचाने के लिए जरूरी है कि आप शुरू से ही सावधानी बरतें। खेत में बुवाई के समय फेरोमेन ट्रैप लगाएँ और जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएँ, तो ट्राइकोडर्मा कार्ड का इस्तेमाल करें। ये दोनों तरीके न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि पर्यावरण और सेहत के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। साथ ही, अपने खेत की नियमित निगरानी करें। अगर कहीं सुंडी दिखे, तो तुरंत उसे हटाएँ और मित्र कीटों की मदद लें। इन छोटे-छोटे कदमों से आप अपनी फसल को बचा सकते हैं और बाजार में अच्छा दाम पा सकते हैं।
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