बारहमासी हरे प्याज की खेती, एक हेक्टयर में होगा 26 टन उत्पादन, बचत होगी 8 लाख रुपये तक

हरी प्याज की बढ़ती मांग ने गाँव के किसानों के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं, और बंचिंग प्याज की पूसा सौम्या किस्म इस दिशा में एक गेम-चेंजर है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा 2013 में विकसित यह किस्म साल भर हरी प्याज देती है, जिसे एक बार लगाने के बाद कई बार काटा जा सकता है। प्रति हेक्टेयर 26 टन तक उत्पादन के साथ, यह उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, और हरियाणा के किसानों के लिए मुनाफे का खजाना है। इसके कोमल, मीठे डंठल सलाद, सूप, और व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाते हैं। इस लेख में हम पूसा सौम्या की खेती के सरल और प्रभावी तरीके बताएंगे, ताकि आपका खेत हरी प्याज से लहलहाए।

हरी प्याज पूसा सौम्या की ताकत

पूसा सौम्या एक बंचिंग प्याज है, जो बल्ब नहीं बनाती, बल्कि इसके हरे डंठल और सफेद तने खाने के लिए उपयोग होते हैं। यह बारहमासी किस्म एक बार लगाने के बाद 2-3 साल तक उत्पादन देती है, जिससे बार-बार बुवाई की जरूरत नहीं पड़ती। इसके डंठल 30-50 सेंटीमीटर लंबे, रसीले, और हल्के मीठे होते हैं, जो बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। यह किस्म ठंड और गर्मी दोनों सहन कर सकती है, जिससे साल भर हरी प्याज का उत्पादन संभव है। प्रति हेक्टेयर 26 टन की पैदावार इसे छोटे किसानों के लिए लाभकारी बनाती है। X पर किसानों ने शेयर किया कि पूसा सौम्या ने उनकी आय को दोगुना कर दिया है।

मिट्टी और मौसम, खेत को कैसे करें तैयार

पूसा सौम्या की खेती के लिए सही मिट्टी और जलवायु का चयन जरूरी है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास अच्छा हो, इसके लिए सबसे उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 होना चाहिए। भारी मिट्टी में गोबर की खाद डालकर जल निकास सुधारें। उत्तर प्रदेश और बिहार की उपजाऊ मिट्टी इसके लिए आदर्श है। यह किस्म 15-30 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी बढ़त करती है और हल्की ठंड सहन कर सकती है। खरीफ (जून-जुलाई) और रबी (अक्टूबर-नवंबर) में बुवाई करें। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र पर मिट्टी की जाँच करवाएं, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता लगे।

बुवाई, एक बार लगाएं, बार-बार काटें

खेत की तैयारी के लिए गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद डालें। खेत को समतल कर 1-1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं। पूसा सौम्या की बुवाई बीज या पौध रोपण से की जा सकती है। प्रति हेक्टेयर 7-8 किलो बीज पर्याप्त हैं। बीज को थिरम (2.5 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें। कतारों में 20-25 सेंटीमीटर और पौधों में 10 सेंटीमीटर की दूरी रखें। बीज को 1-2 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए अक्टूबर में बीज बोएं और 6-8 सप्ताह बाद रोपें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि अंकुरण तेज हो।

मुनाफे का मंत्र, लागत कम, कमाई ज्यादा

पूसा सौम्या की खेती की लागत प्रति हेक्टेयर 50,000-60,000 रुपये है, जिसमें बीज (10,000 रुपये), उर्वरक (15,000 रुपये), सिंचाई (10,000 रुपये), और मजदूरी (15,000 रुपये) शामिल हैं। प्रति हेक्टेयर 26 टन हरी प्याज 20-30 रुपये प्रति किलो बिकती है, जिससे 5-7 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। साल भर में 3-4 कटाइयों से मुनाफा और बढ़ता है। स्थानीय मंडियों, होटलों, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (जैसे IndiaMART) पर बिक्री करें। अपने ब्लॉग krishitak.com पर पूसा सौम्या की खेती और इसके स्वास्थ्य लाभ (जैसे विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट) शेयर करें, ताकि ग्राहक आकर्षित हों।

आज शुरू करें, कल मुनाफा पाएं

पूसा सौम्या की खेती गाँव के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इसकी बारहमासी प्रकृति, कम लागत, और साल भर उत्पादन इसे हर छोटे किसान का सपना बनाती है। चाहे आप उत्तर प्रदेश के खेतों में हों या बिहार की उपजाऊ जमीन पर, पूसा सौम्या आपके खेत को हरी प्याज के खजाने में बदल सकती है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से बीज और सलाह लें, जैविक तरीके अपनाएं, और नियमित देखभाल करें। आज ही इस किस्म की खेती शुरू करें और साल भर मुनाफे की फसल काटें। पूसा सौम्या सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि आपके परिवार की समृद्धि का रास्ता है!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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