भारत में खेती की रीढ़ महिलाएं हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश, बिहार राजस्थान जैसे राज्यों में 60% से अधिक कृषि कार्यों में महिलाएं सक्रिय हैं, फिर भी उन्हें किसान के रूप में पहचान, संसाधन, और निर्णय लेने की शक्ति कम मिलती है। इस अंतर को पाटने के लिए केंद्र सरकार ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP) और Deendayal Antyodaya Yojana – National Rural Livelihoods Mission (DAY-NRLM) के तहत महिला किसानों को सशक्त बनाने की पहल शुरू की है। ये योजनाएं, जिन्हें सामूहिक रूप से Women Farmers Empowerment Scheme (WFES) के रूप में जाना जा सकता है, ग्रामीण महिलाओं को खेती, पशुपालन, जैविक खाद उत्पादन, और कृषि-आधारित उद्यमों में प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, और बाजार सहयोग प्रदान करती हैं।
योजना का उद्देश्य: ग्रामीण महिला किसानों को सशक्त बनाना
महिला किसान सशक्तिकरण योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत करना है। भारत में 80% आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाएं कृषि क्षेत्र में काम करती हैं, लेकिन केवल 14% के पास जमीन का मालिकाना हक है। यह योजना महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHG) और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) से जोड़कर उनकी उत्पादकता और आय बढ़ाती है। योजना खेती के साथ-साथ मशरूम उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट, मधुमक्खी पालन, और जैविक खाद जैसे वैकल्पिक आजीविका स्रोतों को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग, और बाजार लिंकेज प्रदान किए जाते हैं।
योजना के तहत मिलने वाले मुख्य लाभ
महिला किसान सशक्तिकरण योजना ग्रामीण और वंचित वर्ग की महिलाओं के लिए कई लाभ प्रदान करती है। ये लाभ महिलाओं को खेती और उद्यमिता में आत्मनिर्भर बनाते हैं:
कृषि संसाधनों पर सब्सिडी: 50-60% सब्सिडी पर बीज, जैविक खाद, ड्रिप सिंचाई, और छोटे कृषि उपकरण (जैसे स्प्रेयर, कुदाल) उपलब्ध।
प्रशिक्षण और कौशल विकास: मशरूम उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट, मधुमक्खी पालन, और पोल्ट्री फार्मिंग में मुफ्त प्रशिक्षण।
FPO और SHG लिंकेज: सामूहिक बिक्री और बाजार पहुंच के लिए FPO से जोड़ा जाता है, जिससे 20-30% अधिक मुनाफा मिलता है।
वित्तीय सहायता: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर 5 लाख रुपये तक का सस्ता ऋण और SHG के लिए 10-15 लाख रुपये तक का लोन।
तकनीकी सहायता: कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और महिला किसान हेल्पलाइन (1800-180-1551) से मुफ्त सलाह।
इन लाभों के जरिए महिलाएं न केवल अपनी खेती को बेहतर बनाती हैं, बल्कि अतिरिक्त आय के स्रोत भी विकसित करती हैं।
पात्रता: कौन ले सकती हैं लाभ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
महिला भारत की नागरिक हो और 18-60 वर्ष की आयु सीमा में हो।
महिला स्वयं खेती करती हो या परिवार के खेत पर सक्रिय रूप से काम करती हो।
स्वयं सहायता समूह (SHG), FPO, या किसी ग्रामीण महिला संस्था से जुड़ी हो।
अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक, या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को प्राथमिकता।
आधार कार्ड और बैंक खाता होना अनिवार्य।
योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें।
आवेदन प्रक्रिया: आसान और सुलभ
महिला किसान सशक्तिकरण योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल है। आप ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों तरीकों से आवेदन कर सकती हैं।
ऑफलाइन आवेदन:
अपने नजदीकी जिला कृषि कार्यालय, ब्लॉक, या तहसील कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त करें।
आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक पासबुक, राशन कार्ड, और खेत/जमीन के कागजात (यदि उपलब्ध हों) संलग्न करें।
आवेदन पत्र को कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जिला कृषि कार्यालय में जमा करें।
आवेदन की स्थिति की जानकारी कार्यालय से प्राप्त करें।
ऑनलाइन आवेदन:
केंद्र सरकार की वेबसाइट (https://agricoop.gov.in/) या राज्य सरकार के कृषि पोर्टल (जैसे upagriculture.com) पर जाएं।
MKSP या DAY-NRLM सेक्शन में WFES योजना का आवेदन फॉर्म खोजें।
फॉर्म में व्यक्तिगत और खेती से संबंधित जानकारी भरें और दस्तावेज अपलोड करें।
आवेदन सबमिट करने के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर नोट करें, जिससे आवेदन की स्थिति चेक की जा सकती है।
आवेदन के बाद, स्थानीय अधिकारी आपके दस्तावेजों की जांच करेंगे और पात्रता के आधार पर लाभ प्रदान करेंगे।
योजना का ज़मीनी असर: बदल रही है महिलाओं की जिंदगी
महिला किसान सशक्तिकरण योजना (Mahila Kisan Sashaktikaran Pariyojana(MKSP) ने लाखों ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदली है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की मीना देवी ने MKSP के तहत वर्मीकम्पोस्ट यूनिट शुरू की। आज वह सालाना 1.5 लाख रुपये कमा रही हैं और अपने गाँव की अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण दे रही हैं। मध्य प्रदेश के एक SHG ने मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षण लिया और अब वह राज्य में मशरूम की अग्रणी आपूर्तिकर्ता हैं, जिससे 50 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला है। पंजाब में 47,000 से अधिक महिला किसानों ने इस योजना के तहत लाभ उठाया है, जिससे उनकी आय में 20-30% की वृद्धि हुई है। ये कहानियां दर्शाती हैं।
योजना से जुड़ी अन्य सहायक योजनाएं
महिला किसान सशक्तिकरण योजना के साथ कई अन्य सरकारी योजनाएं भी महिलाओं को लाभ पहुंचा रही हैं:
ड्रोन दीदी योजना: 15,000 SHG महिलाओं को ड्रोन पायलट बनने का प्रशिक्षण, जिससे वे खेती में उर्वरक और कीटनाशक छिड़काव कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पर 50% सब्सिडी, जिसमें महिलाओं को प्राथमिकता।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): 5 लाख रुपये तक का सस्ता ऋण, जिसमें SHG से जुड़ी महिलाओं को विशेष छूट।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): फसल नुकसान पर बीमा कवर, जिसमें महिला किसानों के लिए कम प्रीमियम।
ये योजनाएं एक साथ मिलकर महिला किसानों को खेती में हर स्तर पर सहायता प्रदान करती हैं।
कैसे होगा लाभ,पूरा विश्लेषण
इस योजना में आवेदन की कोई सीधी लागत नहीं है, क्योंकि प्रशिक्षण और सब्सिडी मुफ्त हैं। उदाहरण के लिए, एक वर्मीकम्पोस्ट यूनिट शुरू करने की लागत 20,000-30,000 रुपये है, जिसमें 50% सब्सिडी मिलती है। इससे सालाना 1-1.5 लाख रुपये की आय हो सकती है। मशरूम उत्पादन में 10,000 रुपये की शुरुआती लागत पर 50,000-80,000 रुपये का मुनाफा संभव है। KCC से सस्ता ऋण और FPO से बाजार लिंकेज लागत को 20-30% कम करते हैं। कुल मिलाकर, यह योजना छोटे निवेश पर 2-3 गुना मुनाफा दे सकती है।
आत्मनिर्भर महिला किसान बनें
महिला किसान सशक्तिकरण योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए एक नई पहचान और आत्मनिर्भरता का रास्ता है। चाहे आप पंजाब में धान उगाएं, मध्य प्रदेश में मशरूम उत्पादन करें, या उत्तर प्रदेश में वर्मीकम्पोस्ट बनाएं, यह योजना आपको हर कदम पर सहायता देगी। आज ही अपने नजदीकी कृषि कार्यालय या KVK से संपर्क करें, SHG से जुड़ें, और एक सशक्त महिला किसान बनें। यह न केवल आपके परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि गाँव और देश की प्रगति में भी योगदान देगा।
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