भूलकर भी न डालें ये 4 खादें गर्मियों में, वरना रोएंगे अपने सूखे पौधों को देखकर

Fertilizers to avoid in summer: गर्मी का मौसम आते ही कई लोग अपने घर के आँगन, छत या छोटे गार्डन में पौधों की देखभाल शुरू कर देते हैं। फूलों, सब्जियों या सजावटी पौधों को हरा-भरा रखने के लिए प्राकृतिक खाद डालना हमारी पुरानी आदत है। लेकिन गर्मियों की चिलचिलाती धूप में कुछ प्राकृतिक खादें पौधों के लिए फायदे की जगह नुकसान कर देती हैं। लोग गोबर, केंचुआ खाद या रसोई के कचरे को हर मौसम में अच्छा मानते हैं, पर गर्मी में ये चीजें पौधों को मुरझा सकती हैं या बीमार कर सकती हैं। आइए, जानते हैं कि गर्मियों में गार्डनिंग में कौन सी प्राकृतिक खादों से बचना चाहिए और अपने पौधों को कैसे बचाएँ।

ताजा गोबर खाद से पौधे मुरझाएँगे

गाँव में गोबर की खाद को पौधों का सबसे बड़ा दोस्त माना जाता है। यह मिट्टी को ताकत देता है, लेकिन गर्मियों में ताजा गोबर डालना गार्डन के पौधों के लिए मुसीबत बन सकता है। ताजा गोबर में नाइट्रोजन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, और गर्मी में यह तेजी से सड़ता है। इससे गमले या गार्डन की मिट्टी में गर्मी बढ़ जाती है, जिससे पौधों की जड़ें जलने लगती हैं। कई बार ताजा गोबर में कीटाणु भी होते हैं, जो पौधों को बीमार कर देते हैं। ताजा गोबर डालने से गुलाब, मनी प्लांट या टमाटर जैसे पौधे मुरझा सकते हैं।

केंचुआ खाद का ज्यादा इस्तेमाल

केंचुआ खाद यानी वर्मी कम्पोस्ट आजकल गार्डनिंग में बहुत पॉपुलर है। यह पौधों को ताकत देती है, लेकिन गर्मियों में इसका ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है। इस खाद में नमी ज्यादा होती है, और गर्मी में यह मिट्टी को गर्म कर देती है। इससे पौधों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं, खासकर गमलों में लगे पौधों की। अगर केंचुआ खाद अच्छे से तैयार न हुई हो, तो उसमें फंगस या छोटे कीड़े हो सकते हैं, जो गार्डन को खराब कर देते हैं।

गार्डनिंग करने वाले लोग बताते हैं कि गर्मियों में केंचुआ खाद को बहुत कम मात्रा में डालें और मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। इसे गमले की जड़ों के पास सीधे डालने से बचें, ताकि फूलों और सब्जियों के पौधे सुरक्षित रहें।

रसोई का कचरा बन सकता है मुसीबत

कई लोग रसोई के कचरे जैसे प्याज के छिलके, सब्जियों के टुकड़े या बचे हुए खाने को सीधे गमलों या गार्डन में डाल देते हैं, यह सोचकर कि यह खाद बन जाएगा। लेकिन गर्मियों में यह गलती पौधों को बर्बाद कर सकती है। गर्मी में रसोई का कचरा तेजी से सड़ता है, जिससे बदबू और कीड़े-मकौड़े बढ़ते हैं। इसमें नमक, तेल या मसाले होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को खराब कर देते हैं। इससे गार्डन में फंगस या बीमारी फैल सकती है। अगर रसोई के कचरे से खाद बनाना चाहते हैं, तो इसे पहले कम्पोस्ट बिन में एक-दो महीने सड़ने दें। सड़ा हुआ कचरा ही गार्डन में डालें, ताकि पौधों को फायदा हो और गमले हरे-भरे रहें।

अधूरी सड़ी पत्तियों से नुकसान

सूखी पत्तियों या घास से बनी खाद गर्मियों में गार्डन की मिट्टी को ठंडा रखने में मदद करती है, लेकिन अगर यह पूरी तरह सड़ी न हो, तो पौधों को नुकसान हो सकता है। गर्मी में अधूरी सड़ी पत्तियाँ मिट्टी में गर्मी बढ़ाती हैं, जिससे जड़ें कमजोर हो जाती हैं। कई बार इसमें फंगस या कीटाणु होते हैं, जो गार्डन के पौधों को बीमार करते हैं। कुछ लोग जल्दबाजी में बिना सड़ी पत्तियों को गमलों में डाल देते हैं, जिससे फूल या सब्जियाँ खराब हो जाती हैं। सलाह है कि पत्तियों को कम से कम दो महीने सड़ने दें। गर्मियों में इसे मल्चिंग के लिए इस्तेमाल करें, यानी पौधों के चारों ओर बिछाएँ, ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे।

गर्मियों में गार्डनिंग का सही तरीका

गर्मियों में गार्डनिंग करते वक्त खाद डालने में सावधानी बरतें। हमेशा सड़ी हुई खाद डालें, चाहे वह गोबर हो, केंचुआ खाद हो या पत्तियों की खाद। खाद को पौधों की जड़ों के पास सीधे न डालें, बल्कि मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। गर्मी में नीम की खली या जैविक खाद कम मात्रा में डालें, क्योंकि ये मिट्टी को ठंडा रखते हैं और कीटों से बचाते हैं। मल्चिंग के लिए सूखी घास या सड़ी पत्तियाँ बिछाएँ, ताकि गमले या गार्डन की मिट्टी सूखे नहीं। खाद डालने का सही समय सुबह या शाम है, जब धूप तेज न हो। इन छोटी-छोटी बातों से आप अपने गार्डन को गर्मी से बचा सकते हैं।

गार्डनिंग करने वालों के लिए सलाह

गर्मियों में गार्डनिंग करने वाले भाइयों और बहनों को सलाह है कि खाद डालने से पहले मिट्टी की जाँच करें। अगर मिट्टी सूखी है, तो पहले हल्का पानी दें। नजदीकी बागवानी केंद्र से पूछें कि आपके गार्डन के लिए कौन सी खाद सही है। नीम की खली या सड़ी गोबर खाद का इस्तेमाल करें। गमलों में खाद डालते वक्त उसे मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। पानी देने के लिए ड्रिप बोतल या छोटे गिलास का इस्तेमाल करें, ताकि मिट्टी ज्यादा गीली न हो। इन टिप्स से आपका गार्डन गर्मियों में भी फूलों और सब्जियों से भरा रहेगा।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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