Lauki Ki Kheti: खेती-किसानी में अगर सही फसल और सही तरीके का इस्तेमाल किया जाए, तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आजकल बहुत से किसान भाई परंपरागत फसलों जैसे धान और गेहूं को छोड़कर सब्जियों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें लौकी की खेती एक ऐसा विकल्प है, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे सकता है। बिहार के एक किसान ने इसे साबित कर दिखाया है। आइए, जानते हैं कि लौकी की खेती कैसे की जाए, इसमें कितनी लागत आती है और कितना मुनाफा मिल सकता है।
लौकी की खेती क्यों है फायदेमंद
लौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसकी मांग पूरे साल रहती है। चाहे गांव हो या शहर, हर घर में लौकी का इस्तेमाल होता है। शादी-विवाह के सीजन में तो इसका भाव और भी अच्छा मिलता है। लौकी की खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे साल में तीन बार उगाया जा सकता है रबी, खरीफ और जायद सीजन में। अगर सही तरीके से खेती की जाए, तो कम जमीन में भी अच्छी कमाई हो सकती है। इसके अलावा, लौकी की फसल में रोग कम लगते हैं, जिससे नुकसान का डर भी कम रहता है।
मचान विधि से लौकी की खेती का आसान तरीका
लौकी की खेती (Lauki Ki Kheti) में मचान विधि सबसे कारगर मानी जाती है। इस तरीके में लौकी की बेलों को जमीन पर फैलने नहीं दिया जाता, बल्कि बांस या तार के जाल पर चढ़ाया जाता है। इससे पौधे को ज्यादा धूप और हवा मिलती है, जिससे फसल अच्छी होती है और रोगों का खतरा भी कम हो जाता है। मचान बनाने के लिए खेत में बांस गाड़कर उन पर रस्सी या तार का जाल बिछाया जाता है। इस विधि से लौकी की फसल चार महीने में तैयार हो जाती है और एक पौधे से कई लौकी मिलती हैं।
खेत की तैयारी और बीज की बुवाई
लौकी की खेती (Lauki Ki Kheti) के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लें। पहले खड़ी, फिर क्षैतिज जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत में गोबर की खाद या हरी खाद डालें। अगर जरूरत हो, तो थोड़ा डीएपी उर्वरक भी मिला सकते हैं। बीज बोने के लिए खेत में 5-6 फीट की दूरी पर छोटे-छोटे गड्ढे बनाएं। प्रत्येक गड्ढे में 2-3 बीज डालें और हल्की मिट्टी से ढक दें। बुवाई के बाद खेत में हल्की सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रखें कि पानी का जमाव न हो।
लौकी की फसल की देखभाल
लौकी के पौधों को नियमित पानी की जरूरत होती है। गर्मियों में 4-5 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 7-8 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। जब पौधों में फूल आने शुरू हों, तो फसलों की संख्या बढ़ाने के लिए घुलनशील उर्वरक का छिड़काव करें। मचान पर बेल चढ़ाने के बाद समय-समय पर बेलों को सहारा दें, ताकि वे टूटें नहीं। अगर कोई कीट या रोग दिखे, तो देसी तरीके जैसे नीम का तेल या गौमूत्र का छिड़काव करें। इससे फसल सुरक्षित रहती है और रसायनों का इस्तेमाल भी कम होता है।
लौकी की खेती से कितना मुनाफा
लौकी की खेती (Lauki Ki Kheti) में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। मान लीजिए, आप चार बीघा खेत में लौकी की खेती करते हैं। इसमें जुताई, बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी मिलाकर करीब 80-90 हजार रुपये का खर्च आता है। अगर बाजार में लौकी का भाव 10-15 रुपये प्रति किलो भी मिले, तो एक सीजन में 3-4 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। शादी-विवाह के मौसम में तो भाव और भी अच्छा मिलता है। कई बार व्यापारी खेत पर ही आकर लौकी खरीद लेते हैं, जिससे ढुलाई का खर्च भी बच जाता है।
किसानों के लिए सलाह
अगर आप भी धान-गेहूं की खेती से अच्छा मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं, तो लौकी जैसी सब्जियों की खेती जरूर आजमाएं। यह न सिर्फ कम मेहनत मांगती है, बल्कि बाजार में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है। मचान विधि अपनाकर आप अपनी फसल को रोगों से बचा सकते हैं और ज्यादा उपज पा सकते हैं। अपने आसपास के बाजारों में लौकी की मांग का पता करें और उसी हिसाब से खेती की योजना बनाएं। थोड़ी सी मेहनत और सही जानकारी के साथ आप भी लौकी की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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