White Sandalwood Cultivation Tips: मध्य प्रदेश का छतरपुर जिला अब एक नए तरह की खेती के लिए चर्चा में है। जी हाँ, बात हो रही है सफेद चंदन की खेती की, जो पहले सिर्फ कर्नाटक के जंगलों तक सीमित थी। अब ये कीमती पेड़ छतरपुर की जमीन पर भी उग रहा है। ये खेती स्थानीय किसान भाइयों के लिए किसी सुनहरे मौके से कम नहीं है।
लंबे समय में ये न सिर्फ अच्छा मुनाफा दे सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा पहुंचाती है। लेकिन, इस खेती को शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातें जानना बेहद जरूरी है, ताकि मेहनत बेकार न जाए। आइए, समझते हैं कि छतरपुर में सफेद चंदन की खेती कैसे हो रही है और इसे करने का सही तरीका क्या है।
छतरपुर में क्यों खास है सफेद चंदन?
छतरपुर की मिट्टी और मौसम सफेद चंदन की खेती के लिए बिल्कुल मुफीद है। आस्था ग्रीन विलेज नर्सरी के मैनेजर और खेती के माहिर राजू गौतम बताते हैं कि यहाँ सफेद चंदन के पौधे बड़ी सफलता के साथ तैयार किए जा रहे हैं। शुरूआत में बीज कर्नाटक से मंगवाए गए थे, लेकिन अब उनकी नर्सरी में ही बीज और पौधे तैयार हो रहे हैं।
राजू भाई कहते हैं कि छतरपुर की पथरीली जमीन सफेद चंदन के लिए सबसे अच्छी है। लेकिन, अगर जमीन काली या लाल मिट्टी वाली हो, तो ये पेड़ ठीक से नहीं उग पाता। यही वजह है कि यहाँ लाल चंदन की खेती कामयाब नहीं हो पाई। लाल चंदन में वो खास सुगंध और सैंड (चंदन का तेल) नहीं बनता, जो बाजार में बड़ी कीमत देता है।
पौधे की कीमत और नर्सरी की सुविधा
सफेद चंदन की खेती शुरू करना जेब पर भारी नहीं पड़ता। राजू गौतम की नर्सरी में एक सफेद चंदन का पौधा सिर्फ 100 रुपये में मिलता है। अगर आप 500 या उससे ज्यादा पौधे लेते हैं, तो 10 फीसदी की छूट भी दी जाती है। उनकी नर्सरी में अब तक 5300 से ज्यादा पौधे तैयार हो चुके हैं। चाहे आपको एक पौधा चाहिए या हजार, यहाँ हर किसान की जरूरत का ख्याल रखा जाता है। राजू भाई बताते हैं कि उनकी नर्सरी में सिर्फ सफेद चंदन पर ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यही यहाँ की जमीन और मौसम के लिए सबसे सही है।
सही समय और सही तरीका
सफेद चंदन की खेती में समय का बहुत बड़ा रोल है। राजू भाई के मुताबिक, पौधे लगाने का सबसे अच्छा वक्त बारिश का मौसम है, खासकर 15 जून से 15 जुलाई के बीच। अगर इस दौरान न लग पाए, तो सितंबर तक भी पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधा लगाने से पहले खेत की तैयारी जरूरी है। बारिश शुरू होने से पहले गड्ढे खोदकर उनमें गोबर की खाद और मिट्टी अच्छे से मिला देनी चाहिए। बारिश के बाद गड्ढों की मिट्टी अपने आप बैठ जाती है, जिससे पौधा लगाना आसान हो जाता है। एक खास बात का ध्यान रखें कि जमीन पथरीली हो, क्योंकि काली या लाल मिट्टी में चंदन का पेड़ अच्छा नहीं उगता।
12 साल बाद बंपर मुनाफा
सफेद चंदन की खेती में धैर्य की जरूरत होती है, लेकिन इसका फल इतना शानदार है कि सारी मेहनत वसूल हो जाती है। राजू भाई बताते हैं कि एक चंदन का पेड़ 12 साल में करीब 40 फीट लंबा हो जाता है। इस दौरान एक पेड़ से 25 किलो तक सैंड वाली लकड़ी मिलती है। आज के बाजार में एक किलो सफेद चंदन की कीमत लगभग 19 हजार रुपये है।
इसमें सरकार का 25 फीसदी शुल्क देना पड़ता है, लेकिन फिर भी एक पेड़ से 12 साल बाद करीब 4 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल सकता है। अगर आप 100 पौधे लगाते हैं, तो सोचिए कितना बड़ा फायदा होगा। ये खेती न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत करती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
किसानों के लिए सलाह
सफेद चंदन की खेती शुरू करने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। सबसे पहले, अपनी जमीन की जाँच करें कि वो पथरीली है या नहीं। दूसरा, पौधे किसी भरोसेमंद नर्सरी से ही खरीदें, ताकि उनकी क्वालिटी अच्छी हो। तीसरा, बारिश के मौसम में ही पौधे लगाएँ, क्योंकि इस समय पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं। और सबसे बड़ी बात, धैर्य रखें। ये खेती तुरंत फायदा नहीं देती, लेकिन जब फायदा देती है, तो कई पीढ़ियों तक उसका लाभ मिलता है। राजू भाई की नर्सरी जैसे स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल करें और समय-समय पर उनके सुझाव लेते रहें।
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