धनिया की इस खास वैरायटी से पाएं 1.5 टन प्रति हेक्टेयर उपज, कमाई होगी शानदार!

Chandrahasini Coriander 2 Variety: धनिया वो मसाला है, जो हर भारतीय रसोई में छाया रहता है। चाहे हरी चटनी हो, सब्जी का तड़का हो, या दाने का मसाला, धनिया हर डिश को लाजवाब बनाता है। अब किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है! इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित ‘श्री चंद्रहासिनी धनिया-2’ किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 1.3 से 1.5 टन तक उपज देने की क्षमता रखती है और इसकी खास बात यह है कि हरे पत्तों की कटाई के बाद भी दाने की अच्छी पैदावार मिल जाती है।

चंद्रहासिनी धनिया-2 की खासियत

श्री चंद्रहासिनी धनिया-2 की सबसे बड़ी खूबी है इसकी उच्च उपज। ये किस्म प्रति हेक्टेयर 1.3-1.5 टन दाने दे सकती है। इतना ही नहीं, इसकी हरी पत्तियों की कटाई 10-15 ग्राम प्रति पौधा करने के बाद भी दाने की उपज बनी रहती है। यानी, किसान पत्तियों और दानों दोनों से कमाई कर सकते हैं। इसकी मांग सालभर रहती है, चाहे वो स्थानीय बाजार हो, थोक व्यापारी हों, या मसाला बनाने वाली कंपनियां। ये किस्म रबी मौसम के लिए एकदम मुफीद है और रोगों से लड़ने में भी माहिर है।

खेती का तरीका

धनिया की खेती शुरू करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को 2.5 ग्राम प्रति किलो की दर से कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें, ताकि बीज रोगमुक्त रहें। बुवाई 30 x 10 सेमी की दूरी पर त्रिभुजाकार कतारों में करें। इससे पौधों को सही जगह मिलती है और उनकी बढ़त शानदार होती है। खेत को 10-12 टन गोबर की खाद से तैयार करें। इसके साथ 150 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस, और 60 किलो पोटाश डालें। उर्वरकों को दो हिस्सों में बांटकर ड्रिप सिंचाई के जरिए दें।

सिंचाई और खरपतवार का इंतजाम

धनिया की फसल को पानी का सही तालमेल चाहिए। ड्रिप सिंचाई से हर दो दिन में 30 मिनट तक पानी दें और एन.पी.के. (19:19:19, 12:61:0, 13:0:45) की घुलनशील खाद डालें। इससे पौधों को लगातार पोषण मिलता है। खरपतवार से बचने के लिए बुवाई के तीन दिन बाद 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर ऑक्सी डाइअर्जिल का छिड़काव करें। इसके बाद 20 दिन और फिर 35 दिन बाद हेंड वीडिंग करें। इससे खेत साफ रहेगा और फसल को पूरा पोषण मिलेगा।

फसल को कीटों और रोगों से बचाना जरूरी है। साइन्ट्रिन क्लोरिपाईरिफॉस (1.5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें, ताकि कीटों का सफाया हो। रोगों जैसे डाउनी मिल्ड्यू से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम और ट्राइकोडरमा (2 ग्राम/लीटर पानी) का इस्तेमाल करें। सही समय पर दवाओं का छिड़काव फसल को स्वस्थ रखता है और उपज बढ़ाता है।

कम लागत, मोटा मुनाफा

धनिया की खेती में लागत ज्यादा नहीं लगती। बीज, खाद, और दवाओं का खर्च प्रति हेक्टेयर 20,000-25,000 रुपये के आसपास होता है। 1.3-1.5 टन दाने और हरी पत्तियों की बिक्री से 1.2-1.5 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। बाजार में धनिया के दाने 8,000-10,000 रुपये प्रति क्विंटल और हरी पत्तियां 50-100 रुपये प्रति किलो तक बिकती हैं। लागत निकालने के बाद किसानों के पास अच्छा मुनाफा बचता है।

किसानों के लिए नई उम्मीद

श्री चंद्रहासिनी धनिया-2 किस्म किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर यह किस्म कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकती है। अगर आप भी खेती में नए प्रयोग करना चाहते हैं और अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो इस किस्म की बुवाई जरूर करें। याद रखें, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करके ही आज के दौर में खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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