Bamboo Farming: बाँस (Bamboo) को यूं ही “ग्रीन गोल्ड” नहीं कहा जाता। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहद लाभकारी है, बल्कि किसानों के लिए एक स्थायी और दीर्घकालिक आमदनी का जरिया भी है। एक बार बाँस की खेती करने पर 40 से 50 वर्षों तक बिना दोबारा बोए उत्पादन लिया जा सकता है। भारत में तेजी से बढ़ती इसकी मांग कागज उद्योग, भवन निर्माण, फर्नीचर, हैंडीक्राफ्ट और सजावटी सामग्रियों में हो रहे उपयोग की वजह से है। कम पानी, कम देखभाल और कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला यह पौधा, खासकर सूखे और कम उपजाऊ क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
बाँस की प्रमुख किस्में
भारत में बाँस की लगभग 125 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं। बम्बुसा स्ट्रिक्टा (Bambusa Stricta) का तना सीधा और टिकाऊ होता है, जिसका उपयोग संगीत वाद्य यंत्र, शिल्प और मृदा कटाव नियंत्रण में किया जाता है। इसकी लंबाई 17 से 32 फीट तक होती है और यह पुनर्वनीकरण व मिट्टी संरक्षण परियोजनाओं में लोकप्रिय है। बम्बुसा तुल्दा (Bambusa Tulda) छोटे और मजबूत तनों वाली प्रजाति है, जिसका उपयोग पेपर उद्योग और दर्दनिवारक अर्क निर्माण में किया जाता है। इसकी लंबाई 15 से 25 फीट तक होती है और यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में उगाई जाती है।
बम्बुसा पॉलीमॉर्फा (Bambusa Polymorpha) एक सदाबहार और गुच्छेदार प्रजाति है, जिसका उपयोग फर्नीचर निर्माण और खाद्य व्यंजन में किया जाता है। इसकी लंबाई 20 से 40 फीट तक होती है और इसके तनों से स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। बम्बुसा बालकोआ (Bambusa Balcooa) एक मजबूत और टिकाऊ बाँस है, जिसका उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है। इसकी लंबाई 70 फीट तक हो सकती है। डेंड्रोकैलेमस स्ट्रिक्टस (Dendrocalamus Strictus) ठोस और मजबूत बाँस होता है, जिसका उपयोग शिल्प, फर्नीचर और कृषि उपकरण निर्माण में किया जाता है। इसकी लंबाई 30 से 70 फीट तक होती है।
डेंड्रोकैलेमस गेंगेट्स (Dendrocalamus Giganteus) विशाल आकार की प्रजाति है, जिसका उपयोग भवन निर्माण और कागज उद्योग में किया जाता है। इसकी लंबाई 100 फीट तक हो सकती है। बम्बुसा नाना (Bambusa Nana) अपनी सजावटी पत्तियों के कारण पार्कों और घरों की सजावट के लिए उपयुक्त होती है। इसके नरम तनों से मुरब्बा और सब्जी भी बनाई जाती है।
बाँस का पारिस्थितिक महत्व
बाँस न केवल किसानों की आय बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं और मृदा अपरदन रोकने में मदद करती हैं। यह बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में योगदान देता है। बाँस तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिससे यह पुनर्वनीकरण में सहायक होता है और जंगलों के संरक्षण में मदद करता है। इसके अलावा, यह शुष्क क्षेत्रों में हरियाली बनाए रखने में भी कारगर होता है।
बाँस का आर्थिक महत्व
बाँस से जुड़े उत्पादों की बाजार में भारी मांग है। कागज उद्योग में यह प्रमुख कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होता है। हल्के और टिकाऊ फर्नीचर निर्माण में इसका व्यापक उपयोग किया जाता है। भवन निर्माण में इसके मजबूत तने आदर्श होते हैं। इसके अलावा, बाँस के अंकुर से स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, वहीं सजावटी वस्तुओं और शिल्प उद्योग में भी इसका विशेष स्थान है।
बाँस की खेती के लिए आवश्यकताएँ
बाँस की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन उपजाऊ, हल्की दोमट, भारी दोमट और बलुई मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। बहुत अधिक क्षारीय या जलभराव वाली मिट्टी इसके लिए अनुकूल नहीं होती। यह जलप्रिय पौधा है, इसलिए उचित नमी बनाए रखना आवश्यक होता है। अर्धशुष्क क्षेत्रों में भी इसे उगाया जा सकता है, बशर्ते सिंचाई की उचित व्यवस्था हो।
बाँस की खेती से किसान नियमित आय अर्जित कर सकते हैं। एक एकड़ में बाँस की खेती से हर साल 1-2 लाख रुपये तक कमाए जा सकते हैं। इसका एक प्रमुख लाभ यह है कि एक बार लगाने के बाद बाँस 40-50 साल तक उपज देता है। निर्माण क्षेत्र और कृषि उपकरण निर्माता किसान से सीधे बाँस खरीदते हैं, जिससे इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
बाँस की खेती के लिए सरकारी सहायता
भारत सरकार किसानों को बाँस की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission) के तहत किसानों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। कई राज्यों में बाँस की खेती के लिए सब्सिडी दी जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक संबल मिलता है।
बाँस की खेती किसानों के लिए कम निवेश में अधिक लाभ कमाने का एक बेहतरीन विकल्प है। यह पर्यावरण के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी बेहद फायदेमंद है। यदि किसान वैज्ञानिक तरीकों और उचित प्रबंधन के साथ बाँस की खेती करते हैं, तो वे आने वाले वर्षों में अपने खेतों से बम्पर मुनाफा कमा सकते हैं।
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