ये सरकार खरीदेगी गेहूं 60 रुपये और हल्दी 90 रुपये प्रति किलो, किसान ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर है। राज्य सरकार ने प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं और कच्ची हल्दी की खरीद शुरू कर दी है, जिसके लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए 15 मई से 15 जून 2025 तक विशेष रजिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा है। गेहूं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम और कच्ची हल्दी को 90 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जा रहा है।

हमीरपुर, बिलासपुर, और सिरमौर जिलों में 15 मई से गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है, जबकि ऊना, कांगड़ा, चंबा, सोलन, शिमला, और मंडी जिलों में जल्द ही खरीद शुरू होगी। इस पहल का उद्देश्य प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देना और किसानों की आय बढ़ाना है।

गेहूं और हल्दी की खरीद के लिए केंद्र

हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y) के तहत गेहूं की खरीद के लिए 22 केंद्र स्थापित किए हैं। विभाग के अतिरिक्त परियोजना निदेशक डॉ. रविंद्र सिंह जसरोटिया ने बताया कि हमीरपुर, बिलासपुर, और सिरमौर जिलों में खरीद शुरू हो चुकी है। फसल में नमी पूरी तरह खत्म होने के बाद अन्य जिलों में भी खरीद शुरू होगी। कच्ची हल्दी की खरीद के लिए 10 केंद्र बनाए गए हैं। ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, चंबा, सोलन, सिरमौर, और शिमला के कुछ क्षेत्रों में हल्दी की खेती हो रही है। कुल्लू, लाहौल-स्पीति, और किन्नौर को छोड़कर बाकी नौ जिलों (हमीरपुर, बिलासपुर, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा, चंबा, सोलन, शिमला, मंडी) में गेहूं की खरीद होगी।

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हिमाचल का देश में सबसे अधिक MSP

हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ प्राकृतिक गेहूं पर 60 रुपये प्रति किलोग्राम MSP दिया जा रहा है। पहले यह दर 40 रुपये थी, लेकिन हाल ही में सरकार ने इसमें 20 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की। कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम MSP निर्धारित किया गया है। डॉ. जसरोटिया ने बताया कि इस साल 213 मीट्रिक टन प्राकृतिक गेहूं और 17 से 18 टन कच्ची हल्दी के उत्पादन का अनुमान है।

अभी तक प्राकृतिक खेती करने वाले 1,001 किसानों का रजिस्ट्रेशन डेटा तैयार हो चुका है। प्राकृतिक खेती को और प्रोत्साहन देने के लिए, जो किसान 2 किलोमीटर से अधिक दूरी से फसल खरीद केंद्र तक लाएँगे, उन्हें 2 रुपये प्रति किलोग्राम अतिरिक्त परिवहन सब्सिडी दी जाएगी।

हल्दी और गेहूं की प्रोसेसिंग

गेहूं की खरीद के बाद इसका चोकर युक्त आटा सरकार 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बेचेगी। कच्ची हल्दी को हमीरपुर में प्रस्तावित स्पाइस पार्क में प्रोसेस कर हिमाचल हल्दी ब्रांड के तहत बेचा जाएगा। ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, चंबा, सोलन, सिरमौर, और शिमला के कुछ क्षेत्रों में हल्दी की खेती हो रही है। सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण भी देना शुरू किया है, ताकि वे बेहतर तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ा सकें। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

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किसानों की प्रतिक्रिया

हमीरपुर के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान खेमराज शर्मा ने इस योजना की सराहना की। उन्होंने बताया कि वह कई सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, और सरकार द्वारा कच्ची हल्दी को 90 रुपये प्रति किलोग्राम और गेहूं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम खरीदने का फैसला किसानों की आय बढ़ाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल आर्थिक लाभ देगी, बल्कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में भी सहायक होगी। अन्य किसानों ने भी इस अभियान को गाँव की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान बताया है।

रजिस्ट्रेशन अभियान

हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 15 मई से 15 जून 2025 तक रजिस्ट्रेशन अभियान शुरू किया है। इस दौरान प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को अपने गेहूं और हल्दी की फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। डॉ. जसरोटिया ने किसानों से अपील की है कि वे इस अभियान में शामिल होकर योजना का लाभ उठाएँ। रजिस्ट्रेशन के बाद किसान खरीद केंद्रों पर अपनी फसल बेच सकेंगे। यह योजना हिमाचल के नौ जिलों में लागू होगी, जिससे हजारों किसानों को फायदा होगा।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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