मई का महीना गर्मी का ऐसा समय है, जब तोरई, लौकी, खीरा, ककड़ी, तरबूज और खरबूजा जैसी कद्दू वर्गीय सब्जियों की फसल को खास ध्यान देना पड़ता है। बढ़ता तापमान और तेज धूप इन फसलों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। अगर सही समय पर देखभाल न की जाए, तो पौधे मुरझा सकते हैं, फल खराब हो सकते हैं और किसानों की मेहनत बेकार जा सकती है। लेकिन सही उपाय अपनाने से फसल स्वस्थ रहती है और अच्छा मुनाफा देती है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के आधार पर कुछ आसान और असरदार तरीके अपनाकर फसल को गर्मी से बचाया जा सकता है।
गर्मी में फसलों की देखभाल
उद्यान विशेषज्ञ डॉ. महेश कुमार बताते हैं कि मई में बढ़ता तापमान कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए खतरनाक हो सकता है। तेज गर्मी पौधों को कमजोर करती है, जिससे फल छोटे रह जाते हैं या खराब हो जाते हैं। इसलिए फसल की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए। सही समय पर पानी देना, कीटों से बचाव और पौधों में नमी बनाए रखना इस मौसम में सबसे जरूरी है। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए, तो फसल न सिर्फ बचेगी, बल्कि उसकी गुणवत्ता और पैदावार भी बढ़ेगी।
सही समय पर सिंचाई
गर्मी में पौधों में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। अगर खेत में पानी कम हुआ, तो पौधे सूख सकते हैं और फल खराब हो सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि तोरई, लौकी या खीरा जैसी फसलों में हर चार-पाँच दिन में एक बार पानी देना चाहिए। लेकिन पानी देने का समय बहुत मायने रखता है। हमेशा शाम को सिंचाई करें। सुबह या दोपहर में पानी देने से धूप की गर्मी में पानी जल्दी सूख जाता है और पौधों को पूरा फायदा नहीं मिलता। शाम को पानी देने से मिट्टी धीरे-धीरे नमी सोखती है और पौधों की जड़ों को अच्छा पोषण मिलता है। इससे फल बड़े, रसीले और स्वादिष्ट होते हैं।
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फल सड़न से बचाव
मई की गर्मी में कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल सड़ने की समस्या बहुत आम है। खीरा, तरबूज, ककड़ी, खरबूजा और लौकी में अचानक सड़न शुरू हो सकती है, जिससे बड़ा नुकसान होता है। इस समस्या से बचने के लिए समय पर रोग प्रबंधन जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इंडोफिल एम-45 नाम की दवा का इस्तेमाल करें। इस दवा को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर हर 10 दिन में एक बार फसल पर छिड़काव करें। यह दवा फल सड़न को रोकने में बहुत कारगर है। छिड़काव शाम के समय करें, ताकि दवा पौधों पर अच्छे से काम कर सके। अगर फसल में सड़न के लक्षण दिखें, तो तुरंत यह उपाय करें, ताकि बाकी फल सुरक्षित रहें।
कीटों पर नजर
गर्मी में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। तोरई और दूसरी कद्दू वर्गीय फसलों में फल मक्खी, पत्ती खाने वाले कीट और रस चूसने वाले कीट बड़ी समस्या बन सकते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिए समय पर दवाओं का छिड़काव जरूरी है। अगर खेत में कीट दिखें, तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से सलाह लें। वे सही दवा और छिड़काव का समय बताएंगे। साथ ही, खेत को साफ रखें। पुराने पत्तों, खराब फलों या घास को हटा दें, ताकि कीटों को छिपने की जगह न मिले। सही समय पर कीट प्रबंधन करने से फसल स्वस्थ रहेगी और नुकसान कम होगा।
मई में सही देखभाल से कद्दू वर्गीय सब्जियों की अच्छी पैदावार मिल सकती है। बाजार में तोरई, लौकी, खीरा जैसी सब्जियों की मांग हमेशा रहती है। अगर फल स्वस्थ और अच्छे हों, तो बेहतर दाम मिलता है। सही समय पर पानी देना, फल सड़न रोकने के लिए दवा का छिड़काव और कीटों से बचाव जैसे कदम फसल को मजबूत रखते हैं। कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ हमेशा मदद के लिए तैयार हैं। अगर कोई दिक्कत हो, तो वहाँ से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। थोड़ी सावधानी और मेहनत से फसल गर्मी से बचेगी और खेती फायदे का सौदा बनेगी।
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