42 लाख पशुओं का होगा फ्री बीमा, जल्द शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन, जानिए कैसे मिलेगा लाभ

पशुपालन कई परिवारों की आजीविका का बड़ा ज़रिया है। पशुओं की अचानक मृत्यु या बीमारी से पशुपालकों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इस दिक्कत को समझते हुए राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना शुरू की है। इस योजना के तहत पशुपालकों के गाय, भैंस, भेड़, बकरी और ऊँट जैसे पशुओं का मुफ्त बीमा किया जाता है। यह योजना पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा देती है, ताकि पशु की मृत्यु होने पर उन्हें बड़ा नुकसान न उठाना पड़े। इस योजना से पशुपालकों का हौसला बढ़ता है और वे बिना डर के पशुपालन का धंधा जारी रख सकते हैं।

42 लाख पशुओं का होगा बीमा

राजस्थान सरकार ने साल 2025-26 के लिए इस योजना को और बड़ा करने का फैसला किया है। इस बार 42 लाख पशुओं का मुफ्त बीमा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना में गाय, भैंस, भेड़, बकरी और ऊँट शामिल हैं। पशुपालन और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक में इसकी तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल 2024-25 में 16 लाख 72 हजार आवेदन आए थे, जिनमें से 9 लाख 76 हजार पशुओं के लिए हेल्थ सर्टिफिकेट और 4 लाख 40 हजार के लिए बीमा पॉलिसी जारी की गई। इस बार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को और तेज करने के लिए सरकार ने सर्वेयर की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है।

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ऑनलाइन आवेदन की आसान प्रक्रिया

इस योजना में आवेदन करना बहुत आसान है। पशुपालक अपने जन आधार कार्ड के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए सरकार ने एक खास मोबाइल ऐप और वेबसाइट mmpby.rajasthan.gov.in बनाई है। पशुपालक अपने मोबाइल में ऐप डाउनलोड करके या ई-मित्र केंद्र पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। आवेदन के लिए पशु की फोटो, टैग नंबर, और जन आधार कार्ड जैसे दस्तावेज चाहिए। अगर पशु का टैग गुम हो जाए, तो बीमा विभाग को सूचना देनी होगी, और एक दिन के अंदर नया टैग लगाया जाएगा। इस बार सरकार ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को जून 2025 से शुरू करने का ऐलान किया है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पशुपालक इसका फायदा ले सकें।

कौन उठा सकता है फायदा

मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में राजस्थान के सभी जन आधार कार्ड धारक पशुपालक हिस्सा ले सकते हैं। गोपाल क्रेडिट कार्ड धारकों और लखपति दीदी योजना से जुड़े पशुपालकों को खास तवज्जो दी जाती है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण भी रखा गया है।

इस योजना में हर परिवार के अधिकतम दो दुधारू पशु (गाय या भैंस), 10 भेड़ या बकरी, या एक ऊँट का मुफ्त बीमा किया जाता है। लेकिन शर्त यह है कि ये पशु किसी दूसरी बीमा योजना में शामिल न हों। बीमा की राशि पशु की नस्ल, उम्र, और दूध देने की क्षमता के आधार पर तय होती है, जो अधिकतम 40 हजार रुपये तक हो सकती है।

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मुफ्त बीमा

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पशुपालकों को बीमा के लिए एक पैसा भी नहीं देना पड़ता। अगर पशु की आकस्मिक मृत्यु होती है, तो बीमा राशि सीधे पशुपालक के खाते में आती है। यह राशि पशु की मृत्यु के 21 दिन बाद दी जाती है, बशर्ते मृत्यु प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, या बीमारी की वजह से न हो। अगर पशु को बेचा या उपहार में दिया जाता है, तो बीमा पॉलिसी खत्म हो जाती है। इस योजना से पशुपालकों को न सिर्फ आर्थिक मदद मिलती है, बल्कि वे नए पशु खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित होते हैं। सरकार ने इसके लिए 400 करोड़ रुपये का बजट रखा है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पशुपालकों को फायदा मिले।

योजना को और बेहतर बनाने की कोशिश

पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने समीक्षा बैठक में साफ किया कि इस बार बीमा पॉलिसी और हेल्थ सर्टिफिकेट जारी करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। पिछले साल की धीमी गति को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों को तेजी से काम करने और सर्वेयर की संख्या बढ़ाने के लिए कहा। सरकार का मकसद है कि हर पात्र पशुपालक को इस योजना का लाभ मिले। इसके लिए जिला स्तर पर भी लक्ष्य तय किए गए हैं, ताकि पूरे राजस्थान में योजना का फायदा बराबर बँट सके।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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