बस्ती में धान बीज की कमी, क्यों नहीं किसानों को मिल रहा बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी

Basti News: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह खेती का मौसम चुनौतियों से भरा है। जुलाई में धान की बुवाई का समय चल रहा है, लेकिन राजकीय कृषि बीज भंडार में किसानों की पसंदीदा धान प्रजातियाँ बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी और सांभा सब-1 उपलब्ध नहीं हैं। ये प्रजातियाँ अपनी उच्च उपज और स्थानीय जलवायु के अनुकूलता के कारण बस्ती में सबसे ज्यादा माँग में हैं। बीज की कमी के कारण किसान निराश होकर खाली हाथ लौट रहे हैं और उन्हें निजी दुकानों से महँगे दामों पर बीज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आइए, इस समस्या और इसके समाधान के बारे में विस्तार से जानें।

बीज भंडार में मनपसंद प्रजातियों की कमी

बस्ती के राजकीय कृषि बीज भंडार में इस समय धान की पसंदीदा प्रजातियाँ खत्म हो चुकी हैं। गोदाम प्रभारी धीरेंद्र वर्मा ने बताया कि विभाग ने शुरू में पाँच प्रकार के धान बीज उपलब्ध कराए थे, लेकिन बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी और सांभा सब-1 की भारी माँग के कारण ये जल्दी खत्म हो गए। बभनगाँवा के किसान रामबचन चौधरी और ओम कटास गाँव के श्रीपत सिंह ने बताया कि बस्ती में अधिकांश किसान बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी की खेती करते हैं, क्योंकि यह प्रजाति 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है और बाजार में इसका दाम भी अच्छा मिलता है। लेकिन, बीज भंडार में इसकी अनुपलब्धता ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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वैकल्पिक प्रजातियाँ और उनकी कीमत

गोदाम प्रभारी ने बताया कि वर्तमान में कुछ वैकल्पिक धान प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। एमटीयू 7029 सोना मंसूरी 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दी जा रही है। यह प्रजाति 150-155 दिन में पकती है और मध्यम उपज देती है। सरजू-52 भी 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध है, जो 135 दिन में तैयार होती है। इसके अलावा, सीओ-51 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दी जा रही है, जो केवल 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है। हालाँकि, ये प्रजातियाँ किसानों की पहली पसंद नहीं हैं, क्योंकि इनकी उपज और बाजार माँग बीपीटी 5204 की तुलना में कम है। किसानों का कहना है कि वैकल्पिक प्रजातियों की खेती से मुनाफा कम हो सकता है।

निजी दुकानों पर महँगा बीज

बीज भंडार में मनपसंद प्रजातियों की कमी के कारण किसान निजी दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन यहाँ बीज की कीमत 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। रामबचन चौधरी ने बताया कि निजी दुकानों पर बीज की गुणवत्ता की गारंटी नहीं होती, और कई बार नकली या कम गुणवत्ता वाले बीज बेचे जाते हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का डर रहता है। श्रीपत सिंह ने कहा कि सरकार को समय पर पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि किसानों को महँगे दामों पर बीज न खरीदना पड़े। यह स्थिति छोटे और मध्यम किसानों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, जिनके पास अतिरिक्त खर्च की क्षमता सीमित है।

विभाग की कोशिशें और भविष्य की योजना

गोदाम प्रभारी धीरेंद्र वर्मा ने बताया कि बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी और सांभा सब-1 की कमी को पूरा करने के लिए विभाग से नई खेप की माँग की गई है। इसके अलावा, शुगर-फ्री धान तेलंगाना मंसूरी जैसे नए बीजों की भी डिमांड भेजी गई है। वर्मा ने आश्वासन दिया कि जैसे ही बीज उपलब्ध होंगे, किसानों को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किए जाएंगे। हालाँकि, किसानों का कहना है कि बुवाई का समय निकल रहा है, और देरी से बीज मिलने पर फसल की गुणवत्ता और उपज प्रभावित हो सकती है।

बस्ती में धान बीज की कमी किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन वैकल्पिक प्रजातियों और सरकारी योजनाओं का उपयोग करके वे इस समस्या से निपट सकते हैं। बीपीटी 5204 सांभा मंसूरी की माँग को पूरा करने के लिए सरकार को जल्द कदम उठाने चाहिए। किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें और देसी उपाय अपनाएँ। अपनी खेती की कहानी हमारे साथ साझा करें और बंपर फसल की ओर कदम बढ़ाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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